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नवरात्रि 2021 दिन 3 और 4: माँ चंद्रघंटा और मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना

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आज 9 अक्टूबर पर्व के तीसरे दिन को ही तृतीया और चौथा दिन यानी चतुर्थी दोनों ही पड़ा है। तीसरे दिन भक्त सुहाग की देवी के नाम से जानी जाने वाली मां चंद्रघंटा की पूजा करते हैं और चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा। मां चंद्रघंटा  दुनिया में न्याय और धर्म का प्रतीक है। वह देवी पार्वती का विवाहित संस्करण है। चंद्र शब्द का अर्थ है चंद्रमा और घंटा का अर्थ है वह देवी जिसके पास ज्ञान का सागर है और शक्ति, बहादुरी और साहस का प्रसार करता है। देवी चंद्रघंटा सिंह पर विराजमान हैं और एक हाथ में गदा, तलवार, धनुष, कमंडल, त्रिशूल, तीर, जप माला और दूसरे हाथ में कमल धारण करती हैं। वह अनुशासन और न्याय प्रदान करके दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने के लिए जानी जाती हैं, वह हमें आपस में राक्षसों से लड़ने की ताकत भी देती हैं।

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा होती है, जो भक्त कुष्मांडा की उपासना करते हैं, उनके समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। आपको बता दें, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी। इन्हें सृष्टि की आदि- स्वरूप, आदिशक्ति माना जाता है। मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।

पूजा विधि: सुबह स्नान करने के बाद, देवी चंद्रघंटा की मूर्ति को मंदिर में रखा जाता है। फिर मूर्ति के बगल में मिट्टी से बना एक उथला पैन रखा जाता है। बाद में तवे पर चावल के साथ पानी छिड़ककर देवी की मूर्ति के बगल में अक्षत, सिक्के, ध्रुव घास, गंगा जल, सुपारी और सिक्कों से भरा एक कलश रखा जाता है। कलश आम के पत्तों से घिरा हुआ होना चाहिए। मंत्र पढ़कर मां की पूजा करें।

मां चंद्रघंटा, जिनका वाहन सिंह है और जिनके दस हाथों में से चार दाहिनी हाथों में कमल का फूल, धनुष, जप माला और तीर है और पांचवां हाथ अभय मुद्रा में रहता है, जबकि चार बाएं हाथों में त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है और पांचवां हाथ वरद मुद्रा में रहता है, उनका स्वरूप भक्तों के लिए बड़ा ही कल्याणकारी है। इनके घंटे की ध्वनि के आगे बड़े से बड़ा शत्रु भी नहीं टिक पाता है, लिहाजा देवी चंद्रघंटा हर परिस्थिति में सभी तरह के कष्टों से छुटकारा दिलाने में सहायक है।

 


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