नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी निवेश फर्म ब्लैकरॉक एक हाई प्रोफाइल घोटाले का शिकार हो गई है। करीब 4,200 करोड़ रुपये की इस गड़बड़ी के पीछे भारतीय मूल के CEO बंकिम ब्रह्मभट्ट का नाम आ रहा है, जिन्होंने अपनी कंपनियों के जरिए कथित तौर पर इस घोटाले को अंजाम दिया है।
2020 से शुरू हुए इस घोटाले को जानकारों द्वारा ‘अविश्वसनीय’ बताया जा रहा है। अमेरिका की ब्रॉडबैंड टेलीकॉम और ब्रिजवॉयस कंपनी के भारतीय मूल के सीईओ बंकिम ब्रह्मभट्ट पर धोखाधड़ी करने के आरोप लगे हैं। उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी निवेश कंपनी ब्लैकरॉक समेत कई ऋणदाताओं के साथ कथित तौर पर 50 करोड़ डॉलर की धोखाधड़ी की है। भारतीय मूल के सीईओ पर आरोप है कि उन्होंने अपनी कंपनियों के जरिए फर्जी बिल बनाकर ऋण लिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में मुकदमा दायर किया गया था। हालांकि, ब्रह्मभट्ट के वकील ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है।
निवेश समूह ब्लैकरॉक की निजी ऋण निवेश शाखा- एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स ने बंकिम ब्रह्मभट्ट के खिलाफ अगस्त में केस दर्ज कराया था। एचपीएस का कहना है कि ब्रह्मभट्ट की कंपनियों को 2020 में इस शर्त पर कर्ज दिया था कि वे ग्राहकों से मिलने वाले बकाया रकम को गिरवी रखेगें। बता दें कि एचपीएस इन्वेस्टमेंट पार्टनर्स को इस साल की शुरुआत में ब्लैकरॉक ने खरीदा था।
ऋणदाता कंपनी ब्लैकरॉक का दावा है कि जब बंकिम ब्रह्मभट्ट की कंपनियों के खातों की सत्यापन प्रक्रिया शुरू हुई, तो पता चला कि ऋण की राशि भारत और मॉरीशस से जुड़े खातों में भेज दी गई थी। इसी रकम को गिरवी रखा जाना था। ब्लैकरॉक का आरोप है कि, यह धोखाधड़ी पूरी योजना के साथ की गई है। बंकिम ब्रह्मभट्ट को फाइनेंस करने में फ्रांस का एक बैंक बीएनपी परिबा भी शामिल है।
कर्ज की लगभग आधी राशि बीएनपी परिबा ने फंड की
इस मामले पर वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दावा किया है कि एचपीएस ने सितंबर 2020 की शुरुआत में ब्रह्मभट्ट से जुड़ी फर्मों को ऋण देना शुरू कर दिया था, बाद में 2021 में कुल निवेश को 385 मिलियन डॉलर से बढ़ाकर अगस्त 2024 तक लगभग 430 मिलियन डॉलर कर दिया। इस बैंक ने ब्रह्मभट्ट की कैरिऑक्स और अन्य सहायक कंपनियों को दिए गए कर्ज की लगभग आधी राशि फंडिंग की थी। इस कंपनी ने सितंबर 2020 में ब्रह्मभट्ट की दूरसंचार कंपनियों से संबद्ध कम से कम एक वित्तपोषण शाखा को ऋण देना शुरू किया।
ऐसे हुए फ्रॉड का खुलासा
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2025 में धोखाधड़ी तब सामने आई जब एक एचपीएस कर्मचारी ने इनवॉइस सत्यापित करने के लिए इस्तेमाल किए गए ग्राहकों के ईमेल पतों में अनियमितताएं देखीं। रिपोर्ट में दावा किया गया था कि इनमें से कई पते असली दूरसंचार कंपनियों की नकल करने वाले नकली डोमेन से आए थे, और आगे की जांच से पता चला कि ग्राहकों से कथित तौर पर किए गए कुछ पत्राचार भी फर्जी थे।
एचपीएस अधिकारियों द्वारा पूछताछ किए जाने पर ब्रह्मभट्ट ने कथित तौर पर चिंताओं को खारिज कर दिया और फिर फोन कॉल का जवाब देना बंद कर दिया।इसके बाद जब एक एचपीएस कर्मचारी ने ब्रह्मभट्ट की कंपनियों के कार्यालयों का दौरा किया, तो उन्हें कंपनियों के परिसर बंद मिले।