कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 27 मई को दिल्ली आने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री नीति आयोग की कार्यकारी परिषद की बैठक में शामिल होने के लिए राजधानी जा सकती हैं। वहीं, बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार के आह्वान पर विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई जा सकती है। अगर ऐसा होता है तो उस बैठक में तृणमूल नेता भी शामिल होंगी।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अलग-अलग राज्यों में विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं। उन तमाम चर्चाओं में वह विपक्षी दलों के शीर्ष नेताओं के साथ बैठक का प्रस्ताव रख रहे हैं।
तृणमूल के सूत्र के मुताबिक, ममता बनर्जी इस मामले को लेकर नीतीश कुमार के संपर्क में हैं। इससे पहले नीतीश कुमार अपने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ कोलकाता आये थे और ममता बनर्जी से मुलाकात की थी. उस वक्त ममता बनर्जी ने पटना में विपक्षी दलों की बैठक का सुझाव दिया था।
प्रारंभ में नीतीश कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने और सरकार गठन की प्रक्रिया तय होने के बाद संभावित बैठक के दिन 18 मई को आगे बढ़ रहे थे, लेकिन राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक गैर-बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री 27 मई को नीति आयोग बोर्ड की बैठक में शामिल होंगे।
पटना के बजाय दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक का प्लान
ऐसे में उस वक्त ममता बनर्जी, नीतीश कुमार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सरेन दिल्ली में होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल भी बैठक में शामिल हो सकते हैं। ऐसे में विरोधी दल के नेताओं का मानना है कि पटना की बजाय दिल्ली में बैठक ज्यादा सुविधाजनक होगी।उस समय पटना की बजाय दिल्ली में विपक्षी दलों की बैठक को 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि राजनीतिक नेताओं का कहना है कि शनिवार को कर्नाटक चुनाव में जिस तरह से कांग्रेस को बढ़त मिल रही है और यदि उसकी सरकार बनती है तो विरोधी दलों की आवाज और बुलंद होगी और कांग्रेस की दावेदारी भी ज्यादा होगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री लंबे समय तक नीति आयोग की कार्यकारी परिषद की बैठक से परहेज करती थीं। लेकिन पिछले साल अगस्त में वह दिल्ली गई थीं और इस बैठक में शामिल हुई थीं। उनके इस बार 27 मई की बैठक में शामिल होने की संभावना है. लोकसभा चुनाव से पहले परिषद की यह आखिरी बैठक हो सकती है।
पिछले साल जब ममता बनर्जी नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लेने दिल्ली गईं थी तो उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव हो रहा था। राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनावों के लिए विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवारों के चयन को लेकर तृणमूल और कांग्रेस सहित बाकी विपक्ष के बीच दूरी बन गई थी। तृणमूल सूत्रों का दावा है कि मौजूदा हालात में तृणमूल नेता को विपक्षी एकता के संयोजक के तौर पर नीतीश कुमार से कोई दिक्कत नहीं है। इसके बजाय तृणमूल सूत्रों का दावा है कि नीतीश कुमार ममता बनर्जी के संपर्क में रहकर आगे बढ़ रहे हैं।
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