पटना। भारतीय जनता पार्टी (BJP) इन दिनों 2024 लोक सभा चुनाव के बहाने अपनी पार्टी को भले दुरुस्त करने में लगी है। पर उसकी तैयारी 2025 के विधान सभा चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें पर अकेले दम पर लड़ने की तैयारी भी कर रही है। बीजेपी जानती है कि नीतीश कुमार की उम्र अब ज्यादा दिन राजनीति करने की इजाजत नहीं देगी। ऐसे में बीजेपी कुर्मी और कुशवाहा वोट बैंक का कैच पीट एरिया को विस्तार दे रही है। अब चाहे सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाना हो या आरसीपी सिंह और सुहेली मेहता को पार्टी में शामिल करना। उपेंद्र कुशवाहा से भी नजदीकियों का मकसद भी यही है। लेकिन इतना तो तय है कि सुहेली मेहता और आरसीपी सिंह का इतना तो नहीं है जो फिलहाल सक्रिय राजनीत में नीतीश कुमार के रहते कुर्मी कुशवाहा वोट का स्थानांतरण बीजेपी के पक्ष में करा दे। और यह बीजेपी के रणनीतिकार भी बखूबी समझते हैं, पर इतना जरूर है कि इन लोगों के शामिल होने से एक सकारात्मक माहौल जरूर बन पाएगा।
पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह की पहचान एक अधिकारी के रूप में रही है। नीतीश कुमार ने उन्हें धीरे धीरे राजनीत की राह पर उतारने लगे। राज्य सभा भी दो बार गए। बीजेपी नीत सरकार में वह केंद्रीय इस्पात मंत्री भी बने। संगठन की भी जिम्मेदारी उन्हें दी गई। नीतीश कुमार ने अपने करीबी होने के कारण इन्हें पार्टी की कमान भी सौंपी। बीजेपी की सांगठनिक ढांचा का अनुसरण करते हुए आरसीपी ने कई प्रकोष्ठ का गठन किया, जिसमें अनूठा प्रयोग कलमजीवी प्रकोष्ठ और कमल क्लब के तर्ज पर तीर क्लब की स्थापना कर छात्र और युवा को जोड़ने का अभियान चलाया। बूथ कमिटी बनाई। इनके प्रशिक्षण का कार्यक्रम भी बनाया। परंतु उनकी इस नेतृत्व का कोई फायदा जेडीयू को नहीं मिला। हुआ यह कि वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में 115 विधायकों वाली पार्टी 43 विधायकों वाली पार्टी बन गई।
Comments are closed.