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न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया है। वाईएसआर कांग्रेस नेताओं की ओर से राज्य की न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखे गए अपशब्दों वाले पोस्ट को. . .

आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने सोमवार को न्यायपालिका के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी को लेकर सीबीआई जांच का आदेश दिया है। वाईएसआर कांग्रेस नेताओं की ओर से राज्य की न्यायपालिका के खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखे गए अपशब्दों वाले पोस्ट को लेकर हाई कोर्ट ने केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच करने को कहा है।

जस्टिस राकेश कुमार और जस्टिस जे उमा देवी की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि राज्य पुलिस का क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (CID) टिप्पणी करने वालों के खिलाफ उचित ऐक्शन लेने में असफल रहा, निष्पक्ष पड़ताल के लिए जांच सीबीआई को सौंपी जा रही है।

बेंच ने सीबीआई को जांच शुरू करने का निर्देश दिया और कहा कि हाई कोर्ट में रिपोर्ट आठ सप्ताह में जमा कर दी जाए। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जांच में सीबीआई को पूरा सहयोग दिया जाए। 8 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीआईडी ने सोशल मीडिया पर जजों के खिलाफ अपमानजनक पोस्ट पर कोई कदम नहीं उठाया है।

हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील लक्ष्मी नारायण के मुताबिक, कोर्ट ने पाया कि सीआईडी ने केवल कुछ सोशल मीडिया एक्टिविस्ट के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है, जबकि 90 से अधिक लोगों ने राज्य सरकार के खिलाफ फैसला सुनाने को लेकर न्यायपालिका पर अपशब्दों वाली टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा, ”सीआईडी फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम से गाली-गलौज वाली टिप्पणियों को डिलीट करवाने में भी नाकाम रहा।” कोर्ट ने यह भी कहा कि वाईएसआरसी के नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं की गई।

सुनवाई के दौरान एचसी बेंच ने विधानसभा स्पीकर तामिनेनी सिथाराम, डेप्युटी चीफ मिनिस्टर नारायण स्वामी, सांसद विजयासाई रेड्डी और एन सुरेश, पूर्व विधायक अमानची कृष्णमोहन के भी बयानों को न्यायपालिका के खिलाफ पाया। कोर्ट ने पाया कि यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सीआईडी ने उन लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया जो सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना कर रहे थे, नाकि हाई कोर्ट के शिकायतों पर कार्रवाई की गई।

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