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‘न्याय जनता की भाषा में सरल और सुगम हो,’ जजों के सम्मेलन में बोले पीएम मोदी, कोर्ट लोकल लैंग्वेज को बढ़ावा दें

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नई दिल्ली। दिल्ली के विज्ञान भवन में हाई कोर्ट्स के चीफ जस्टिस और मुख्यमंत्रियों का सम्मेलन शुरू हो गया है। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टेक्नोलॉजी पर खासा जोर दिया। पीएम ने कहा कि डिजिटलाइजेशन को बढ़ावा दिया जा रहा है । न्याय की देरी कम करने की कोशिश की जा रही हैं। बुनियादी सुविधाओं को पूरा किया जा रहा है। कोर्ट में वैकेंसी भरने की प्रोसेस चल रही है। न्यायपालिका की भूमिका संविधान के संरक्षक के रूप में है।
पीएम मोदी ने आज सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और चीफ जस्टिस की जॉइंट कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया। इसमें सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, केंद्रीय कानून मंत्री और सभी 25 हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस भी मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुआ। इससे पहले यह कार्यक्रम 2016 में हुआ था।
इस दौरान PM ने कहा- हमें कोर्ट में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की जरूरत है। इससे देश के आम नागरिकों का न्याय प्रणाली में भरोसा बढ़ेगा, वो उससे जुड़ा हुआ महसूस करेंगे। देश में 3.5 लाख कैदी अंडर ट्रायल हैं, इनके मसले को निपटाने पर जोर दिया जाए। मैं सभी मुख्यमंत्रियों और हाईकोर्ट के जजों से इस पर ध्यान देने की अपील करता हूं।
सीजेआई बोले- कोर्ट की अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए
इससे पहले सीजेआई एनवी रमना ने कहा- न्याय का मंदिर होने के नाते अदालत को लोगों का स्वागत करना चाहिए, कोर्ट की अपेक्षित गरिमा और आभा होनी चाहिए। पब्लिक इंटरेस्ट याचिका अब पर्सनल इंटरेस्ट के लिए इस्तेमाल हो रही हैं। यह अफसरों को धमकाने का जरिया बन गई हैं। पीआईएल राजनीतिक और कॉर्पोरेट विरोधियों के खिलाफ एक टूल बन गया है।
ज्यूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की
आजादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशियरी और एग्जक्यूटिव, दोनों के ही रोल्स और रिसपाॉन्सिबलिटी को निरंतर स्पष्ट किया है। जब भी जरूरी हुआ, देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है। हम देश में जजों की संख्या को पूरा करने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।
हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशियरी की भूमिका संविधान संरक्षक की है, वहीं लेजिस्लेचर नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। मुझे विश्वास है कि संविधान की इन दो धाराओं का ये संगम और संतुलन देश में प्रभावी और समयबद्ध न्याय व्यवस्था का रोड मैप तैयार करेगा।
सरकार और ज्यूडिशियरी के बीच बातचीत का यह एक अनूठा मौका
कार्यक्रम की शुरुआत में केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजूजू ने कहा- यह कार्यक्रम सरकार और ज्यूडिशियरी के बीच ईमानदार और कंस्ट्रक्टिव बातचीत का यह एक अनूठा मौका है। इससे लोगों को ठोस न्याय दिलाने में मदद मिलेगी।


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