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पाकिस्तान में जारी है हिंदुओं से हैवानियत : विधवा हिंदू महिला से दरिंदगी, गला काटा, उधेड़ डाली चमड़ी, आपबीती जान कांपेगी रूह

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नई दिल्ली। पाकिस्तान में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं। अब एक विधवा हिंदू महिला की बेरहमी से हत्या करने का मामला सामने आया है। महिला का कत्ल करने के बाद उसकी लाश के साथ इस तरह से दरिंदगी की गई है कि हैवानियत की सभी हदें पार हो गयी है।
महिला के स्तन भी काट दिए
सिंध प्रांत के संघार में रहने वाली 40 साल की जिस विधवा महिला का कत्ल किया गया, उसका नाम दया भील (40) है। दया की सिर कटी लाश बरामद की गई है। उसके चेहरे की चमड़ी उधेड़ दी गई है। किसी धारदार हथियार से महिला के स्तन भी काट दिए गए हैं। साथ ही उसके पूरे शरीर पर जगह-जगह कट और चमड़ी छीलने के निशान भी बरामद हुए हैं।
यह पहला मामला नहीं है, जब पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया गया है। पाकिस्तान के पाप के कई सबूत दुनिया के सामने आ चुके हैं।
पाकिस्तान से जान बचाकर दिल्ली पहुंचें सोनादास
दिल्ली के हिंदू परिवार कैंप में रहने वाले सोनादास, पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अपनी और अपने परिवार की जान बचाकर किसी तरह तो दिल्ली पहुंच गए। लेकिन उनके जो रिश्तेदार वहां छूट गए, वह वहां उन गलियों के आतंक की कहानी बयां कर रहे हैं। जहां सोनादास अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ सालों तक रहे। अब से करीब 2 महीने पहले उनके मोबाइल पर एक ऐसा वीडियो वहां से आया, जिसे देखकर उनके पैरों के तले से जमीन खिसक गई। वीडियो हमारी टीम को दिखाकर उन्होंने उसका सच बताया। इस वीडियो में दिख रहा है कि मंदिर के बाहर की दीवार पर तोड़-फोड़ करती भीड़ अंदर की तरफ जा रही है।
नरक की जिंदगी बिताने को हैं मजबूर
सोनादास की तरह ही पाकिस्तान में अपमान और नरक की जिंदगी बिता रहे ज्यादातार परिवारों को जब ये लगने लगा कि अगले कुछ दिनों के भीतर ही स्थिति ये हो जाएगी कि उनको परिवार सहित मौत के घाट उतार दिया जाएगा तो उन्होंने रातों-रात भारत आने का फैसला कर लिया। किसी तरह वो तो भारत आ गए लेकिन उनके नाते-रिश्तेदार जो वहां से भारत नहीं आ पाए उनके साथ अन्याय, बर्बरता की कहानी पहले से ज्यादा क्रूर होती चली गई। पाकिस्तान के अलग-अलग प्रांतों में बने हिंदुओं के मंदिरों, देवी-देवताओं की मूर्तियों को तहस-नहस करके बर्बाद कर दिया गया। हिंदुओं के परिवारों की बेटियों के साथ घर की गलियों के बाहर, चौराहों पर जो बेहूदगी और नीच व्यवहार किया गया, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।
पाकिस्तान वापस जाने की सोचते भी नहीं शरणार्थी
जो हिंदू परिवार पाकिस्तान से किसी तरह से भारत आ पाए, वो अब दोबारा वहां वापस जाने की सपने में भी कल्पना नहीं कर सकते। बावजूद इसके कि उनके परिवारों के कई सदस्य अब भी वहीं फंसे हैं और नरक की जिंदगी बसर करने को विवश हैं। इस अस्थायी कैंप के घरों पर शान से लहराते तिरंगा से यहां रहने वाले लोग अब मरते दम तक अलग नहीं होना चाहते हैं और साथ ही ये हसरत भी है कि उनकी आने वाली पीढ़ियां इस देश की मिट्टी में ही खेल कर बड़ी हों और इसका नाम रोशन करें।


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