डेस्क। पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा और आजादी के बाद से ही यह लगतार जारी है। इस देश में हिन्दुओं को जबरन धर्मांतरण के साथ अपहरण और नाबालिगों हिन्दू बेटियों निकाह जबरदस्ती कराया जा रहा है। यही कारन हैं कि इस देश में हिन्दुओं की और सिखों की आबादी लगातार घटती जा रहीं है। विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदू-सिख वहां की कुल आबादी में 15-16 प्रतिशत थे, जो अब मात्र दो प्रतिशत रह गए हैं। अभी पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 21-22 करोड़ है।
यदि विभाजन के समय के पाकिस्तानी हिंदू-सिख अनुपात को आधार बनाएं, तो वहां आज हिंदू-सिखों की आबादी कम से कम तीन करोड़ होनी चाहिए थी। किंतु 2017 के पाकिस्तानी जनगणना के अनुसार, इनकी संख्या 45 लाख है। प्रश्न है कि ढाई करोड़ पाकिस्तानी हिंदू-सिख कहां गए? इसका उत्तर उन तीन विकल्पों में निहित है, जो इन्हें बीते 75 वर्षों में पाकिस्तान के वैचारिक अधिष्ठान के अनुरूप स्थानीय कट्टरपंथियों द्वारा दिए गए है— मतांतरण, पलायन और पहले दो की अवहेलना करने पर मौत।
एक बार फिर से पाकिस्तान में एक समारोह आयोजित कर करीब 50 हिंदुओं का धर्म परिवर्तन कराया गया है। खास बात यह रही कि यह समारोह पाकिस्तान के प्रमुख शहर कराची में मंत्री के बेटे के सामने आयोजित किया गया। हिंदू संगठनों का दावा है कि इन लोगों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। हिंदू संगठनों ने कहा कि इससे पहले भी पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें आती रहती है। लोग जान बचाने के लिए डर के मारे इस्लाम कबूल कर रहे हैं।
धर्म बदल कर इस्लाम अपनाने वाले कारी तैमूर राजपूत ने कहा कि इस्लाम कबूल करने वाले सभी लोग मदरसे में रहेंगे। वो चार महीनों तक नए धर्म के बारे में पढ़ाई करेंगे और उनके नियमों को सीखेंगे। इन चार महीनों के दौरान संगठन उन्हें कपड़े, भोजन और दवाइयां देगा। चार महीने रहने के बाद धर्मान्तरित लोगों को कहीं भी जाने की अनुमति दी जाएगी।
इधर सामूहिक धर्मांतरण पर नाराजगी जाहिर करते हुए हिंदू कार्यकर्ताओं ने इस पर रोक के लिए कानून बनाने की मांग की है। हिंदू कार्यकर्ता फकीर शिव कुच्ची ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य इन धर्मांतरणों में शामिल है। स्थानीय समुदाय के सदस्य पिछले पांच सालों से सरकार से इस प्रथा के खिलाफ कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।