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पाकिस्तान में ही आईएसआई गेस्ट हाउस में छिपा है मसूद अजहर, अफगानिस्तान में बताने के पीछे है ये चाल

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नई दिल्ली। पाकिस्तान ने बुधवार को उस समय सभी को चौंका दिया, जब उसने कहा कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का मुखिया मसूद अजहर अफगानिस्तान भाग गया है। भारतीय संसद पर हमले के आरोपी मसूद की गिरफ्तारी के लिए पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान को पत्र भी लिख दिया।
हालांकि अफगानिस्तान ने थोड़ी ही देर बाद पाकिस्तान के दावे को गलत भी ठहरा दिया। भारतीय खुफिया एजेंसियों ने भी कहा कि मसूद अजहर पाकिस्तान में ही वहां की सेना की सुरक्षा में मौजूद है। इसके बाद सवाल उठ रहे हैं कि आखिर पाकिस्तान ने ऐसा क्यों किया है? चलिए हम आपको बताते हैं।
बहावलपुर में ही आईएसआई के गेस्ट हाउस में है मसूद
भारतीय खुफिया एजेंसियों के पास इस बात की पुख्ता जानकारी है कि आतंकी मसूद अजहर पाकिस्तान के बहावलपुर में ही मौजूद है, जो जैश-ए-मोहम्मद का हेडक्वार्टर है। वहां मसूद अजहर आईएसआई के गेस्ट हाउस में मजे से दिन काट रहा है. उसकी सिक्योरिटी के लिए पाकिस्तानी सेना के जवान लगाए गए हैं। डिफेंस एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मसूद हमेशा बहावलपुर में ही रहता है. खासतौर पर रावलपिंडी में अपने ऊपर हुए घातक हमले के बाद से वह पूरी तरह सुरक्षा घेरे में घिरा रहता है। इसी कारण वह बहावलपुर से बाहर नहीं जाता है।
एससीओ बैठक में पाकसाफ दिखने का पैंतरा
उज्जबेकिस्तान की राजधानी समरकंद में 15-16 सितंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ ) की बैठक होने वाली है। इस बैठक में भारत पाकिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ एक्शन नहीं होने की बात उठा सकता है। मसूद अजहर के पाकिस्तान में होने के सबूत भारत कई बार दे चुका है, लेकिन बाजवा और उनकी सरकार इस बात से इनकार करती रही है। इसके चलते यह भी संभावना है कि भारत अजहर की गिरफ्तारी की मांग उठा दे। इसी डर से पाकिस्तान खुद को आतंक पीड़ित बताने की कवायद में जुट गया है।
18 अक्टूबर का भी सता रहा है डर
पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 18 से 21 अक्टूबर तक बैठक होने वाली है। FATF पूरी दुनिया में आतंकवाद को मिल रही पनाह और वित्तीय मदद पर नजर रखती है और ऐसा करने वाले देशों पर कार्रवाई करती है। पाकिस्तान को FATF ने लंबे समय से ग्रे लिस्ट में रखा हुआ है।
इस्लामाबाद स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक तबादलाबी द्वारा प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के मुताबिक, एफएटीएफ की तरफ से साल 2008 से ग्रे लिस्ट में रहने की वजह से पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को 38 अरब डॉलर का भारी नुकसान हुआ है। IMF से लोन मिलने के बाद भी उसकी हालत लगातार बिगड़ रही है। ऐसे में आतंकवादियों पर कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान के ऊपर भारी दबाव है।
पाकिस्तान पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एफएटीएफ की टीम ने हाल ही में पाकिस्तान का दौरा किया था, जिसमें आतंकवाद को रोकने के लिए पाकिस्तानी कदमों को नाकाफी बताया गया था। अक्टूबर की बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाए जाने पर फैसला होना है, लेकिन पाकिस्तान का दौरा करने वाले एफएटीएफ अधिकारियों ने साफ तौर पर कह दिया है कि आतंक के खिलाफ पाकिस्तान की कार्रवाई नाकाफी है. इसलिए मसूद अजहर को गिरफ्तार करने के लिए उसने पत्र लिखने का दिखावा किया है।
पहले भी कर चुका है कार्रवाई का दिखावा
पाकिस्तान पहले भी FATF के दबाव में आतंक के बड़े आकाओं पर कार्रवाई का दिखावा कर चुका है. लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar E Taiba) के प्रमुख हाफिज सईद (Hafiz Saeed) को सजा सुनाने का भी नाटक हुआ है। साथ ही मुंबई हमले में आतंकियों के हैंडलर और लश्कर ए तैयबा के ऑपरेशन कमांडर साजिद मीर पर भी कार्रवाई करने का दिखावा किया गया, जबकि इससे पहले पाकिस्तान साजिद मीर के मारे जाने का दावा करता रहा है।
इसी तरह लश्कर का मुखौटा भी कई बार बदला जा चुका है। लश्कर पर बैन लगने के बाद इसे जमाद उद दावा के नाम से एक्टिव किया गया। इस संगठन पर भी बैन लगने के बाद यह फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन के नाम से काम करने लगा। जब यह भी जांच के घेरे में आ गया तो इसका नाम अल्लाह हू अकबर तहरीर कर दिया गया। इससे साफ पता चलता है कि पाकिस्तान की कथनी और करनी में कितना अंतर है।
इसलिए भी मसूद को अफगानिस्तान में बताया
एक्सपर्ट्स यह भी मानते हैं कि मसूद के अफगानिस्तान में मौजूद होने की बात कहना, उसे बचाने की साजिश का ही हिस्सा है। दरअसल पाकिस्तान को अच्छी तरह मालूम है कि तालिबान हुकूमत मसूद के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी, क्योंकि मसूद के तालिबान से पुराने और अच्छे संबंध हैं। इसी कारण तालिबान ने 1999 में भारतीय विमान का अपहरण कर कंधार लाने वाले आतंकियों की मदद की थी। इस अपहरण कांड में यात्रियों के बदले भारत से रिहा कराए आतंकियों में मसूद अजहर भी शामिल था। इसके अलावा पिछले साल अफगानिस्तान में तालिबानी शासन आने पर भी मसूद ने खुलेआम खुशी जताई थी। ऐसे में वह अफगानिस्तान में पाकिस्तान से भी ज्यादा सुरक्षित है।

 


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