पटना: बिहार की राजनीति में महिला मतदाताओं की भूमिका अब निर्णायक होती जा रही है। यही वजह है कि कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू — सभी प्रमुख दल अपने-अपने स्तर पर महिला वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटे हैं।
प्रियंका गांधी की एंट्री से कांग्रेस को मिली नई ऊर्जा
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर के मुताबिक, वोटर अधिकार यात्रा में प्रियंका गांधी की मौजूदगी ने खासकर युवा और महिला मतदाताओं को उत्साहित किया है। उन्होंने कहा, “प्रियंका में लोग इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं। बिहार में उनकी बढ़ती सक्रियता महिलाओं को कांग्रेस और INDIA गठबंधन के पक्ष में संगठित करने में मदद करेगी।”
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को प्रियंका गांधी को प्रचार में उतारने की मजबूरी इसलिए आई, क्योंकि हाल के चुनावों में महिला वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा है।
- 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने 60% मतदान किया जबकि पुरुषों का आंकड़ा 54% रहा।
- 2015 में 202 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से अधिक वोट डाले थे।
- यह बदलाव 2010 से धीरे-धीरे शुरू हुआ, जो अब स्पष्ट दिखने लगा है।
महिला वोट बैंक के लिए कांग्रेस के वादे
कांग्रेस ने महिलाओं के लिए ‘माई बहन मान योजना’ का ऐलान किया है, जिसके तहत
- सत्ता में आने पर महिलाओं के बैंक खातों में हर महीने ₹2,500 भेजे जाएंगे।
- 5 लाख महिलाओं को सैनिटरी पैड बांटने की भी घोषणा की गई है।
राज्य कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार और महिला कांग्रेस अध्यक्ष अलका लांबा ने कहा कि ये योजनाएं समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाएंगी। गौरतलब है कि तेजस्वी यादव भी इस योजना का ऐलान दिसंबर 2023 में कर चुके हैं।
नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित राजनीति
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2005 से ही महिलाओं को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया है। शिक्षा, स्वास्थ्य, शासन में भागीदारी और शराबबंदी जैसे कदमों से उन्होंने महिला मतदाताओं के बीच गहरी पकड़ बनाई है।
2025 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए नीतीश ने महिला सशक्तिकरण को लेकर सात बड़ी घोषणाएं की हैं:
- जीविका दीदी योजना:
- 1.4 लाख जीविका कार्यकर्ताओं का मानदेय दोगुना किया गया।
- बैंक ऋण पर ब्याज 10% से घटाकर 7% किया गया।
- मुख्यमंत्री कन्या विवाह मंडप योजना:
- ग्रामीण क्षेत्रों में विवाह के लिए सुविधाएं और सहायता।
- आशा और ममता कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाया गया:
- आशा: ₹1,000 से ₹3,000
- ममता: ₹300 से ₹600
- मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना:
- महिलाओं को स्वरोजगार के लिए आर्थिक सहायता।
- स्कूल रसोइयों का मानदेय:
- ₹1,600 से बढ़ाकर ₹3,300 किया गया, जो मुख्य रूप से महिलाएं हैं।
- पंचायती राज में 50% आरक्षण:
- महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का ऐतिहासिक कदम।
- सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण:
- पुलिस से शुरू होकर सभी सरकारी सेवाओं में लागू।
नीतियों के निर्माण का केंद्र
बिहार में महिला वोट बैंक अब केवल “समर्थन” नहीं, बल्कि नीतियों के निर्माण का केंद्र बन चुका है। कांग्रेस जहां प्रियंका गांधी के सहारे भावनात्मक जुड़ाव और योजनाओं के जरिए बढ़त लेने की कोशिश में है, वहीं नीतीश कुमार अपनी स्थायी नीतिगत बढ़त को बनाए रखने में लगे हैं।