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बिहार चुनाव 2025 : किसे मिलेगा बिहार का ताज ? जाने सीमांचल में चार जिलों के मतदाताओं का कैसा है मियाज

डेस्क। बिहार चुनाव के दूसरे चरण के तहत मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार का शोर रविवार को थम गया है। इस चरण में सबकी निगाहें कल के चुनाव पर लगी हुई है। साथ ही इसको अटकले. . .

डेस्क। बिहार चुनाव के दूसरे चरण के तहत मंगलवार को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार का शोर रविवार को थम गया है। इस चरण में सबकी निगाहें कल के चुनाव पर लगी हुई है। साथ ही इसको अटकले भी तेज हो गई है। इसी कड़ी में हम बात कर रहे हैं सीमांचल की।
हिमालय की तराई से सटे हुए सीमांचल की अपनी कहानी है। एक ओर बांग्लादेश और नेपाल है, तो दूसरी तरफ बंगाल। चारों जिलों में नदियों का जाल भी फैला हुआ है। इन नदियों की कभी सुस्त तो कभी तेज चाल यहां के बाशिंदों को आबाद और बर्बाद करने का काम करती है। नार्थ इस्ट के प्रवेश द्वार के तौर पर पहचान रखने वाले इस इलाके में विकास का सूर्योदय भी हो चुका है।
पूर्णिया जिले में एयरपोर्ट शुरू हो चुका है। यहां से रोजाना पांच फ्लाइट से हजारों लोगों का आवागमन हो रहा है। यहां रेल कनेक्टिविटी भी मजबूत हुई है। वंदे भारत और अमृत भारत समेत कई ट्रेनों की सौगात मिली है। पूर्णिया, कटिहार, अररिया, किशनगंज में सड़कों का जाल बिछा है। हाईवे पर विकास की डगर भर रहे सीमांचल की चिंता भी है।

समझिए क्या है सीमांचल का दर्द?

क्षेत्र में रोजी और रोजगार के लिए दर बदर होने का दर्द है। उच्च शिक्षा और रोजगार के लिए हर दिन वाहां से पलायन होता है। सीमांचल डुब्बा इलाका है। इसलिए बाढ़ पीड़ितों की अपनी टीस है। सीमांचल के चारों जिलों में 80 फीसदी लोगों की आजीविका अब भी खेतीबाड़ी और पशुपालन है।

आखिर क्यों परेशान होते हैं किसान?

मक्का और मखाना ने किसानों को आर्थिक तौर पर समृद्ध बनाया है। वहीं, इथेनॉल प्लांट लगने से मक्के की खपत बढ़ गयी है। लेकिन मक्के की एमएसपी तय होने के साथ इसकी सरकारी स्तर पर खरीद हो तो किसान और समृद्ध होंगे। साथ ही खाद-बीज की किल्लत भी किसानों के लिए कई बार परेशानी का सबब बन जाती है।

वोटबैंक की सियासत बनी पहचान!

सीमांचल के चारों जिलों खासकर पूर्णिया में कई औद्योगिक इकाइयां हैं। मगर कुटीर उद्योग को प्रमुखता देने की जरूरत है। सीमांचल है…इसलिए इन तमाम मुद्दों के बावजूद दल चाहे कोई भी हो…मतदाताओं का दिल जीतने के लिए, वे वोट बैंक की राजनीति करने से गुरेज नहीं करते हैं।

प्रत्याशियों से नाराजगी दलों से नहीं!

वोटर भी सियासी फिरकी में फंसने के बाद घूम-फिरकर वहीं पहुंच जाते हैं। तभी तो भट्टा बाजार के मच्छली मंडी में विक्रेता शंकर कहते हैं…पहले मौसम कुछ था, अब मिजाज कुछ और है। इसी तरह कटिहार जिले के मतदाता विजय ठाकुर बयां करते हैं…प्रत्याशियों के चेहरे को लेकर कुछ नाराजगी जरूर है, लेकिन दलों से किसी को शिकवा नहीं।

कदवा में पूर्व सांसद-मंत्री की टक्कर

कटिहार सदर सीट से पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर का मुकाबला वीआईपी प्रत्याशी भाजपा एमलएसी अशोक अग्रवाल के पुत्र सौरभ अग्रवाल से है। कदवा सीट से पूर्व सांसद जदयू प्रत्याशी दुलाल चंद गोस्वामी और कांग्रेस के शकील अहमद खान आमने-सामने हैं।

अररिया में दो भाइयों के बीच लड़ाई

कोढ़ा, प्राणपुर, मनिहारी, बलरामपुर, बारसोई में भी एनडीए महागठबंधन के बीच ही मुख्य मुकाबला है। अररिया जिला की सिकटी सीट से एनडीए से मंत्री विजय कुमार मंडल खड़े हैं। इन्हें महागठबंधन से वीआईपी के हरिनारायण प्रामाणिक चुनौती दे रहे हैं। जोकीहाट से दो भाई पूर्व मंत्री राजद से शहनवाज आलम और जनसुराज से सरफराज आलम एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं।

कुल 24 सीटें हैं

सीमांचल में चार जिले पूर्णिया, कटिहार, अररिया और किशनगंज में कुल 24 सीटें हैं। पूर्णिया और कटिहार में सात-सात तो अररिया में छह और किशनगंज में चार सीटें हैं। यहां एनडीए और महागठबंधन के बीच मुख्य मुकाबला है, जबकि कुछ सीटों पर ओवैसी तो कुछ पर जनसुराज के प्रत्याशी मुकाबले को रोचक बना रहे है।

दांव पर इन दिग्गजों की सियासी साख

सीमांचल में दो मंत्री पूर्णिया के धमदाहा से जदयू प्रत्याशी लेशी सिंह, अररिया के सिकटी से भाजपा के विजय कुमार मंडल, कटिहार सदर से पूर्व डिप्टी सीएम भाजपा प्रत्याशी तारकिशोर प्रसाद, अमौर सीट से एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान, राजद के संतोष कुशवाहा धमदाहा से और जदयू के दुलाल चंद गोस्वामी कदवा से और दो भाई तस्लीमुद्दीन के पुत्र जोकीहाट से प्रत्याशी शाहनवाज आलम और सरफराज आलम की किस्मत का फैसला मतदाता 11 नवंबर को करने वाले हैं।

धमदाहा में लेशी-संतोष की कड़ी टक्कर

2020 के चुनाव में जदयू को सबसे अधिक लीड दिलाने वाली मंत्री लेशी सिंह का मुकाबला कुछ दिन पहले तक जदयू के साथ रहे अब राजद प्रत्याशी संतोष कुशवाहा से है। बनमनखी में भाजपा प्रत्याशी कृष्ण कुमार ऋषि का मुकाबला भाजपा के ही पूर्व विधायक और अब कांग्रेस में शामिल देवनारायण रजक से है।

यहां भी रोचक होगा चुनावी मुकाबला

रूपौली में जदयू के कलाधर मंडल, राजद की बीमा भारती और निर्दलीय शंकर सिंह के बीच मुकाबला है। कसबा सीट पर भाजपा व कांग्रेस के बागी खड़े है। यहां मुख्य मुकाबला एनडीए समर्थित लोजपा प्रत्याशी नितेश सिंह व महागठबंधन समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी इरफान आलम के बीच है।
अमौर में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान का जदयू के सबा जफर व कांग्रेस के जलील मस्तान से मुकाबला है। पूर्णिया सीट से भाजपा के विजय खेमका व कांग्रेस के जितेंद्र यादव मैदान में हैं। बायसी में पूर्व मंत्री राजद से अब्दुस सुबहान, एआईएमआईएम के गुलाम सरवर व भाजपा के विनोद यादव के बीच मुकाबला है।

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