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बिहार में भाजपा-जेडीयू में फिर से ‘तलाक’ तय, नीतीश कुमार ने पार्टी के सांसदों-विधायकों की बुलाई बैठक, सोनिया से की बात

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पटना। बिहार में एक बार फिर भाजपा-जेडीयू गठबंधन टूट सकता है। खबर है कि 11 अगस्त तक दोनों अलग हो सकते हैं और राज्य में फिर जेडीयू और आरजेडी की सरकार बन सकती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सभी सांसद और विधायकों को अगले दो दिन में पटना पहुंचने को कहा है।
उधर, आरजेडी भी इसी नक्शेकदम पर है। उसने सभी विधायकों को पटना में रहने के लिए कहा है। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश ने सोनिया गांधी से टेलीफोन पर बात की। 11 अगस्त तक राज्य में नई सरकार बन सकती है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि मंगलवार को ही तेजस्वी यादव अपने सभी विधायकों के साथ बैठक करेंगे। हालांकि, सरकार के भविष्य को लेकर नेताओं ने कोई आधिकारिक बात नहीं कही है।
बिहार में जनता दल और भाजपा गठबंधन की सरकार में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए, जिसके बाद एनडीए के भीतर फूट को लेकर अलग-अलग तरह की अटकलें लग रही हैं। इस बीच सूत्रों के अनूसार नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी के सांसदों और विधायकों की 9 अगस्त को बैठक बुलाई है। माना जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा से अपने रिश्ते खत्म करने को लेकर नीतीश कुमार चर्चा कर सकते हैं।
बैठकों से दूर हैं नीतीश
पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो नीतीश कुमार और भाजपा के बीच सबकुछ ठीक चलता नहीं दिख रहा है।17 जुलाई के बाद अबतक 4 बैठकों से नीतीश कुमार दूरी बना चुके हैं। भाजपा के साथ नीतीश कुमार की दूरी पिछले काफी समय से सवालों के घेरे में हैं। इस तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं कि क्या बिहार में भाजपा-जदयू गठबंधन 11 अगस्त से पहले खत्म हो जाएगा, क्या नीतीश कुमार राजद के साथ हाथ मिला लेंगे और प्रदेश में नई सरकार का गठन करेंगे।
गठबंधन टूट की कगार पर!
सूत्रों की मानें तो भाजपा-जदयू गठबंधन बिहार में टूटने की कगार पर है। जदयू के अधिकतर विधायक मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं हैं, ऐसे में माना जा सकता है कि जदयू राजद व कांग्रेस के साथ गठबंधन करके प्रदेश में सरकार बना सकती है। गौर करने वाली बात है कि पिछले महीने 17 तारीख को भी नीतीश कुमार गृह मंत्री अमित शाह द्वारा बुलाई गई प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था। इसके बाद नीतीश कुमार रामनाथ कोविंद के विदाई समारोह में भी 22 जुलाई को शामिल नहीं हुए। 22 जुलाई को एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए। गौर करने वाली बात है कि नीतीश कुमार ने द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था, लेकिन वह उनके शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए थे।
आरसीपी सिंह के बयान ने दी हवा
इसके बाद 7 अगस्त को नीति आयोग की बैठक से भी नीतीश कुमार ने दूरी बना ली। हालांकि अभी तक इस पूरे घटनाक्रम में कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है कि आखिर क्यों नीतीश कुमार नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं हुए। सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार इसलिए बैठक में शामिल नहीं हुए क्योंकि वह अभी भी कोरोना से ठीक हो रहे हैं। लेकिन इस पूरे विवाद को हवा देने का काम पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने देने का काम किया। राजद के पूर्व अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर सफाई मांगी है।
आरसीपी सिंह की भाजपा से करीबी
बिहार के राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा होती है कि आरसीपी सिंह के भाजपा से करीबी संबंध हैं। लेकिन नीतीश कुमार के साथ उनके संबंध पिछले कुछ महीनों में खास नहीं रहे हैं। पिछले साल जब केंद्र सरकार का मंत्रिमंडल विस्तार हुआ था तो आरसीपी सिंह को नीतीश कुमार की सहमति के बगैर ही मंत्री बना दिया गया था। सूत्रों के अनुसार आरसीपी सिंह को जब नीतीश कुमार ने राज्यसभा के सदस्य के तौर पर तीसरी बार नामांकित करने से इनकार कर दिया तो आरसीपी सिंह को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
जदयू में फूट डालने की कोशिश
जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ने भी इस बात का इशारा किया है कि भाजपा पार्टी के भीतर फूट डालने की कोशिश कर रही है, जैसा कि उसने लोकजनशक्ति पार्टी के साथ किया। कुछ लोग चिराग पासवान के मॉडल को दोहराना चाहते हैं। लेकिन नीतीश कुमार ने इस षड़यंत्र को पकड़ लिया। आरसीपी सिंह का शरीर जनता दल में है लेकिन दिमाग कहीं और है। सूत्रों का कहना है कि 9 अगस्त को नीतीश कुमार ने पार्टी के सांसदों और विधायकों की बैठक बुलाई है लेकिन राजीव रंजन सिंह ने इससे इनकार किया है।


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