मालदा। आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं हैं। खेल, शिक्षा, चिकित्सा सहित हर क्षेत्र में बेटियां नाम रोशन कर रही हैं। इसलिए हमें बेटियों के जन्म पर खुशी मनानी चाहिए और बेटों के समान ही उनकी परवरिश पर ध्यान देना चाहिए। लेकिन दुखद बात यह है कि अभी भी कुछ लोग बेटियों के प्रति संकुचित सोच रखते हैं और उसको बोझ समझते है। उसको अपनाने से इंकार कर दे रहे है। ऐसी ही एक घटना मालदा में सामने आयी है।
मालदा के एक निजी अस्पताल में बेटी जन्म होने से दुखी एक व्यक्ति अपनी पत्नी को अस्पताल में छोड़कर भाग खड़ा हुआ। लगभग 23 दिन बाद निजी अस्पताल के अधिकारियों ने इस घटना के बारे में पुलिस को सूचित किया और इसके बाद पुलिस ने महिला को घर पहुंचाया। पता चला है कि बालुरघाट के मंगलपुर गांव की गृहिणी का नाम पूजा मरडी (21) और उसके पति का नाम सूरज बेसरा है, जो पेशे से मजदूर हैं। पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक दोनों की एक साल पहले शादी हुई थी। 12 नवंबर को महिला को प्रसव पीड़ा के साथ मालदा के एक निजी अस्पताल में उसे भर्ती कराया गया था और उसने एक बेटी को जन्म दिया। उसके बाद से पिछले 22 दिनों से परिवार का कोई सदस्य उनसे मिलने नहीं आया है। घटना की जानकारी मिलने के बाद निजी अस्पताल के अधिकारियों ने 22 दिन तक उसका इलाज किया एवं उसके बाद अस्पताल के अधिकारियों ने मालदा जिला पुलिस अधीक्षक से बात की और उन्हें मालदा शहर के एक घर में रखने की व्यवस्था की।
साफ है आज भी समाज में बेटियों को बोझ समझा जा रहा है, लेकिन लोगों को समझना होगा की एक बेटी किसी परिवार पर बोझ नहीं होती बल्कि वह उस परिवार का आधार होती है।