मालदा। बेटियां अभी भी बोझ बनी हुई है, यही कारण है कि कई जगहों में उन्हें या तो गर्भ में मार दिया जा रहा है या फिर मरने के लिए कहीं फेंक दिया दिया जाता है। सोमवार सुबह मालदा के हरिश्चंद्रपुर थाना क्षेत्र के भालुका ग्राम पंचायत क्षेत्र में पुल के नीचे से बरामद हुई नवजात बच्ची इस बेरहम समाज की तुच्छ मानसिकता को बयां कर रही थी। स्पष्ट है कि ‘बेटी बचाओ’ को लेकर बातें भले ही तमाम हो रही हों, लेकिन वो समय आने में अभी लंबा वक्त लगेगा।
सोमवार सुबह एक व्यक्ति ने पुल के नीचे से बच्ची को देखा और और उसको वहां से निकला। खबर मिलते ही भालुका चौकी की पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और बच्ची को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार आज सुबह भालुका से पेमाई के रास्ते में इलाके के एक व्यक्ति ने पुल के नीचे एक बच्ची के रोने की आवाज सुनी| पुल से नीचे जाने पर उसने देखा कि एक नवजात बच्ची पुल के फर्श पर पड़ी है। उसने पुलिस को इसकी सुचना दी। पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी हैं और यह पता लगाने की कोशिश में जुट गई है कि बच्ची को छोड़कर कौन गया है।
इन सबके बीच अच्छी बात है कि बचावकर्ता ने कहा कि वह बच्ची को गोद लेने के लिए तैयार है। उनके चार बेटे हैं और कोई बेटी नहीं है। इसलिए वह इस बच्ची को अपने घर ले जाना चाहता है। भालुका चौकी के एएसआई मोहम्मद तोफज्जल हुसैन ने कहा कि “बच्ची को इलाके में एक पुल के नीचे से निकाला गया और अस्पताल में उसकी जांच की जा रही है। हमने चारों ओर देखा कि बच्ची वहां कैसे पहुंची। इस पूरे मामले की जाँच की जा रही है।
मगर इस बच्ची की बरामदगी ने उन तमाम दावों पर सवालिया निशान लगा दिए हैं, जिनमें ‘बेटा-बेटी’ को एक समान मानने की बात कही जाती है।
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