बेशर्मी भरा बयान : ओरेवा ग्रुप ने कोर्ट में कहा-पुल हादसे के लिए ‘भगवान’ कसूरवार ! पुलिस ने कोर्ट को बताया- ‘जंग खा गए थे तार कभी नहीं हुई मरम्मत’
नई दिल्ली। गुजरात के मोरबी पुल हादसे ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। 135 लोगों की मौत हो चुकी है और लाशों को खोजने के लिए अभियान अभी भी जारी है। इस पुल हादसे के बाद कई अधिकारियों की लापरवाही पर कई सवाल भी खड़े होने लगे हैं, लेकिन पुल की मरम्मत और देखरेख करने वाली ओरेवा कंपनी ने हादसे का पूरा दोष भगवान पर ही डाल दिया है।
ओरेवा कंपनी के मीडिया मैनेजर दीपक पारेख ने इस दर्दनाक हादसे से पूरी तरह से पल्ला झाड़ लिया है। उनकी ओर से कोर्ट में बयान दिया गया है कि इस बार भगवान की कृपा नहीं रही होगी, इसलिए यह हादसा हो गया।
एमडी को बताया अच्छा आदमी
दीपक पारेख ने ओरेवा कंपनी का बचाव करते हुए एमडी जयसुख पटेल को अच्छा आदमी बताया है। उन्होंने कहा है कि हमारे एमडी जयसुख पटेल अच्छे इंसान हैं। 2007 में प्रकाशभाई को पुल का काम सौंपा गया था, उन्होंने बखूबी काम किया। इसलिए दोबारा उन्हें काम दिया गया। पहले भी हमने मरम्मत का काम किया था, लेकिन इस बार भगवान की कृपा नहीं रही होगी।
नौ लोगों की हुई है गिरफ्तारी
पुलिस ने पुल हादसे में अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। इसके बाद पांच आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है। वहीं ओरेवा कंपनी के दो प्रबंधकों समेत चार आरोपियों को चार दिन की पुलिस हिरासत में भेजा गया है। वहीं सरकार की ओर से पुल हादसे की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया है। दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट में मामले की न्यायिक जांच को लेकर याचिका दायर की गई है, जिस पर 14 नवंबर को सुनवाई होनी है।
सामने आई चौंकाने वाली चिट्ठी
इस पुल हादसे को लेकर एक चौंकाने वाली चिट्ठी भी सामने आई है। ओरवा कंपनी की ओर से जनवरी, 2020 में मोरबी जिला कलेक्टर को एक चिट्ठी लिखी गई थी, इससे पता चलता है कि पुल के ठेके को लेकर कंपनी और जिला प्रशासन के बीच एक लड़ाई चल रही थी। ओरेवा ग्रुप पुल के रखरखाव के लिए एक स्थायी अनुबंध चाहता था। समूह ने कहा था कि जब तक उन्हें स्थायी ठेका नहीं दिया जाता तब तक वे पुल पर अस्थायी मरम्मत का काम ही करते रहेंगे। इसमें यह भी कहा गया है कि ओरेवा फर्म पुल की मरम्मत के लिए सामग्री का ऑर्डर नहीं देगी और वे अपनी मांग पूरी होने के बाद ही पूरा काम करेंगे।
बगैर सरकार की मंजूरी के पुल खोल दिया गया
इधर एक रिपोर्ट के मुताबिक, डीएसपी जाला ने गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से चार की 10 दिन की रिमांड मांगी है। इसके साथ ही उन्होंने कोर्ट रूम में कहा कि गांधीनगर से आई एक टीम की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की रिपोर्ट के अनुसार, पुल पर कितने लोग मौजूद हों, इस क्षमता को निर्धारित किए बिना और बगैर सरकार की मंजूरी के पुल 26 अक्टूबर को खोल दिया गया था। रखरखाव और मरम्मत के हिस्से के रूप में कोई जीवन रक्षक उपकरण या लाइफगार्ड तैनात नहीं किए गए थे।
जाला ने कहा कि पुल तारों पर था और उनकी कोई ऑयलिंग या ग्रीसिंग नहीं की गई थी। जहां से तार टूटे, वे जंग खाए हुए थे, अगर तारों की मरम्मत की जाती तो हादसा नहीं होता।
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