नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका में हो रहे ब्रिक्स समिट में गुरुवार को एक अहम वाक्या हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच यहां पर मुलाकात हुई, दोनों नेता मंच पर जाते हुए लगातार बातचीत कर रहे थे. साल 2020 के बाद से ही भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है, इसी की वजह से बॉर्डर पर तनाव है और इस बीच दोनों नेताओं की यह मुलाकात अहम हो जाती है.
गलवान 2020 की घटना के बाद भारत और चीन के राष्ट्र प्रमुखों के बीच कोई द्विपक्षीय वार्ता नहीं हुई है. दोनों ही नेता इससे पहले जी-20 समिट के दौरान कुछ देर के लिए मिले थे और अब ब्रिक्स समिट में भी ऐसा ही हुआ है. हालांकि, ब्रिक्स समिट से पहले भारत-चीन की सेनाओं ने लद्दाख बॉर्डर पर बातचीत की थी, अभी तक दोनों देश सेना के लेवल पर कई देश की बातचीत कर चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने किया संबोधित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की साउथ अफ्रीका यात्रा पर हैं, जिसमें वह ब्रिक्स समिट में अलग-अलग नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं. इस समिट में ब्रिक्स देशों की संख्या बढ़ाने पर विचार चल रहा है, भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है. गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस बैठक में अच्छी चर्चा हुई है और ब्रिक्स सदस्यों के विस्तार पर फैसला हुआ है, इसका भारत समर्थन करता है.
गुरुवार को यहां एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस संबोधित की गई, इस दौरान पीएम मोदी ने ब्रिक्स नेताओं को चंद्रयान-3 की सफलता के लिए बधाई देने के लिए शुक्रिया कहा. पीएम मोदी ने यहां कहा कि भारत ने जहां टारगेट तय किया था, वहां कभी कोई नहीं पहुंचा है. विज्ञान ने हमें चांद के ऐसे हिस्से में पहुंचाया है, यह वैज्ञानिकों की सफलता है.
गौरतलब है कि ब्रिक्स 2023 का मुख्य एजेंडा इसका विस्तर करना था, इस बार इस ग्रुप में 6 नए देशों को शामिल किया गया है. जिसमें अर्जेंटीना, मिस्र, इथोपिया, ईरान, सऊदी अरब और यूएई शामिल हैं. बैठक से पहले करीब 2 दर्जन देशों की ओर से ब्रिक्स में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया था.
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