भारत-कनाडा के शीतयुद्ध की इनसाइड स्टोरी हिला देगी, कॉलेज की दुश्मनी से कूटनीतिक विवाद में फंस गए दो देश !
नई दिल्ली। जब कोई छात्र राजनीति के बारे में सोचता है, तो अक्सर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) या दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) का नाम दिमाग में आता है। किसने सोचा होगा कि पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन (SOPU) पर नियंत्रण हासिल करने की होड़ से हत्याओं का एक सिलसिला शुरू हो जाएगा, जो अब भारत और कनाडा के बीच तनावपूर्ण संबंधों में बदल गया है। पिछले हफ्ते जब दोनों देशों के बीच संबंध कड़वाहट के चरम पर पहुंच गए थे, तो हथियारों से लैस बंदूकधारी कनाडा के विन्निपेग में दूसरी मंजिल के एक फ्लैट में घुस गए और गैंगस्टर सुखा दुनेके के सिर में नौ गोलियां दाग दीं। उसे मारने से पहले कथित रूप से जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भेजे गए हमलावरों ने एसओपीयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गुरलाल बराड़ की हत्या करके दुनेके को ललकारा।
गुरलाल, खूंखार गैंगस्टर गोल्डी बराड़ का छोटा भाई था जो वॉन्टेड भगोड़ा था। वह हाल के दिनों तक कनाडा में छिपा हुआ था। सूत्रों ने बताया कि 2020 में गुरलाल बराड़ की हत्या ने दविंदर बंबीहा और लॉरेंस बिश्नोई गुटों के बीच झगड़े की आग को हवा दे दी जिससे पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली-एनसीआर में हत्याओं की एक सीरीज शुरू हो गई।
लॉरेंस बिश्नोई के उम्मीदवार ने पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव मैदान में ताल ठोंकी और बहुत कम मार्जिन से हार गया जिससे हत्याओं और हिट्स का सिलसिला चल पड़ा। इस कारण हत्या और जबरन वसूली में लगे सिंडिकेट्स बने और गैंगवॉर होने लगे जो अब कनाडा में भी चल रहा है।
दोनों सिंडिकेट्स के गैंगस्टर और बड़ी संख्या में हिटमैन का युद्ध क्षेत्र अब तक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और एनसीआर क्षेत्र तक सीमित रहा था, लेकिन अब इसका विस्तार कनाडा तक हो गया है जो पहले से ही खालिस्तानी आतंकवादियों के लिए एक सुरक्षित आश्रय स्थल है। पंजाब से संबंध रखने वाले लोगों से जुड़े गिरोह से संबंधित हत्याएं कनाडा में बड़े पैमाने पर होने लगी हैं। ज्यादातर मामलों में या तो संदिग्ध या फिर पीड़ित में से किसी एक या दोनों के तार सिंडिकेट्स से जुड़ते हैं।
बिश्नोई 2010 में चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में अपनी पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में शामिल हुआ था। 2011 में, उसने अकाली दल के नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दुखेड़ा की मौजूदगी में कॉलेज के छात्र संघ का अध्यक्ष घोषित किया गया था। वास्तव में, एसओपीयू अध्यक्ष के रूप में बिश्नोई के अभिनंदन के वीडियो में उसके जीवन का बहुत छोटा सा हिस्सा कैद है।
बिश्नोई ने जीत का पताका लहरा तो दिया लेकिन चुनाव के दौरान हिंसक झगड़ों की एक सीरीज ने बिश्नोई को गैंगस्टर जग्गू भगवानपुरिया और रॉकी फाजिलका का समर्थन लेने को मजबूर कर दिया। यह संबंध न केवल बिश्नोई के जीवन में बल्कि पंजाब विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। 2010 और 2017 के बीच बिश्नोई पर चंडीगढ़ और पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अन्य जगहों पर लगभग तीन दर्जन मामलों में आरोप लगे।
बढ़ते आपराधिक हैसियत के साथ खेल बड़ा हो गया क्योंकि बिश्नोई ने कॉलेज की राजनीति में अपनी विरासत बचाए रखने का प्रयास करते हुए खुद को अपराध की दुनिया में स्थापित कर लिया। उसके करीबी दोस्त संपत नाहरा, उसके बाद एसओपीयू का अध्यक्ष बना और अब तक उसका सबसे करीबी सहयोगी है।
बाद में बिश्नोई ने छात्र राजनीति में गुरलाल बराड़ के साथ मिलकर काम किया और उसके समर्थन के कारण ही बराड़ को 2016 में एसओपीयू का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया। हालांकि, इन जीतों ने बिश्नोई की बंबीहा सिंडिकेट के साथ दुश्मनी भी बढ़ा दी।
बिश्नोई सिंडिकेट ने एक साल बाद बंबीहा ग्रुप के गुर्गे लवी देओरा को फरीदकोट में मार डाला। वह सिर्फ 25 वर्ष का था। तीन साल बाद बंबीहा गैंग ने चंडीगढ़ के एक नाइट क्लब के बाहर गुरलाल बराड़ को पकड़ लिया और खून का बदला खून से ले लिया।
बराड़ की हत्या के बाद बंबीहा गैंग ने बिश्नोई के करीबी सहयोगी विक्की मिद्दुखेड़ा की 2021 में मोहाली में गोली मारकर हत्या कर दी। बिश्नोई और उसके सिंडिकेट ने बदला लेने की कसम खाई। इस गैंगवार में हुई हत्याओं की सीरीज में पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या भी शामिल थी, जो खुद भिंडरावाले का प्रशंसक था। मूसेवाला क्रॉसफायर में फंस गया क्योंकि उसके सेक्रेटरी शगनप्रीत ने कथित तौर पर बराड़ और मिद्दुखेड़ा की हत्याओं में बंबीहा गैंग के साथ मिलीभगत की थी।
बराड़ की हत्या के तीसरी बरसी पर पिछले हफ्ते विन्निपेग में सुखा दुनेके की हत्या हो गई। गैंगवार में दोनों तरफ से बंदूकों अब भी तड़तड़ा रही हैं। खुफिया एजेंसियों को संदेह है कि कनाडा और भारत दोनों में कई हत्याएं होंगी क्योंकि कोई भी समूह हार स्वीकार करने को तैयार नहीं है।
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