भारत ने शुरू किया मिशन समुद्रयान : मत्स्य 6000 में बैठकर 6 हजार मीटर गहरे में समुद्र में उतरेगी टीम, जानें क्या है यह मिशन
यूनिवर्स टीवी डेस्क। समुद्र की गहराई में छिपे खनिजों और गूढ़ रहस्यों का पता लगाने के लिए भारत मिशन समुद्रयान शुरू कर चुका है। राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) चेन्नै ने इसके लिए स्पेशल पनडुब्बी डिवेलप की है- मत्स्य 6000। इससे तीन विशेषज्ञों की टीम समुद्र में 6 हजार मीटर गहरे में उतरेगी, जिसका मकसद ब्लू इकॉनमी के लिए मौके तलाश करना है।
कैसे हुई शुरुआत
@पहले वैज्ञानिकों ने 500 मीटर गहरे में जाने वाला यान बनाया।
@बंगाल की खाड़ी में सागर निधि जहाज से हुआ इसका टेस्ट।
@इसकी सफलता के बाद 2021 में मिली इसे हरी झंडी।
@पीएम मोदी ने भी 2021 के स्वतंत्रता दिवस पर किया था उल्लेख।
@ राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) के महासागर मिशन का हिस्सा।
@6000 करोड़ रुपये की है परियोजना, 4077 करोड़ रुपये की
अनुमानित लागत, मत्स्य- 6000
@टाइटेनियम से बनी है अत्याधुनिक पनडुब्बी।
@60 फीसदी से अधिक हिस्सा है स्वदेशी।
@ इस पनडुब्बी का कुल व्यास है 2.1 मीटर।
@इसमें पॉलिमेटेलिक मैगजीन, नोड्यूल, हाइड्रेट्स गैस, हाइड्रो थर्मल सल्फाइड उपलब्ध।
@ इसमें रडार, भूकंप संबंधी उपकरण भी शामिल।
@समुद्र तल से उठने वाली भूकंपीय तरंगों को पकड़ने वाले उपकरण।
@तीन लोगों को समुद्र की गहराई में ले जाएगा समुद्रयान।
@12 कैमरों से रेकॉर्ड होगी मत्स्य 6000 की पूरी यात्रा।
@ 96 घंटे तक रह सकता है छह हजार मीटर समुद्र के नीचे।
@2023 के अंत तक 500 मीटर का होगा पहला टेस्ट।
@दिसंबर 2024 तक अपने सभी टेस्ट के लिए होगा तैयार।
@ 2026 तक मिशन पूरा होने की उम्मीद।
ब्लू इकॉनमी
@ भारत की तटरेखा है 7517 किलोमीटर की।
@नौ तटीय राज्य और 1382 द्वीप हैं इस क्षेत्र में।
@ मिशन से और मजबूत होगी यहां की ब्लू इकॉनमी।
@मत्स्य पालन और जलीय कृषि होगी विकसित।
@ समुद्र में हैं- गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमेटेलिक मैगनीज, हाइड्रो थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट आदि।
@1000 से 5500 मीटर की गहराई में मिलती हैं ये चीजें।
@ इनसे मिलेगी देश की इकॉनमी को बूस्टर डोज।
@चट्टानों, मिट्टी और समुद्र तल के गुणों को समझ होगा भूकंप शोध।
प्रमुख मिशन
@1960- अमेरिकी नौसेना के लेफ्टिनेंट डॉन वॉल्श और स्विट्जरलैंड के इंजीनियर जैक्स पिककार्ड 10 हजार मीटर गहरी मारियाना ट्रेंच में पहुंचे।
@1984- जापान ने दस हजार मीटर से नीचे शोध के लिए मानव रहित विमान भेजा।
@ 1996, 2006- अमेरिका ने 10916 मीटर गहराई में मानव रहित यान से की रिसर्च।
@ 2019- अमेरिकी यान में विक्टर वेस्कोवो 10998 मीटर तक मारियाना ट्रेंच में पहुंचे।
@ 2019- रूस की Mir-1 पनडुब्बी पैसिफिक सी के मारियाना ट्रेंच में 10994 मीटर तक पहुंची।
@ 2020- रशन ऐकडेमी ऑफ साइंस ने फिर 10016 मीटर गहरी डुबकी लगाई।
@ 2023- दक्षिण-पूर्वी हिंद महासागर के डायमेंटिना ट्रेंस में चीन 10909 मीटर गहरे पहुंचा।
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