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मणिपुर में फिर हिंसा, बीएसएफ जवान शहीद : सर्च ऑपरेशन के दौरान असम राइफल्स के 2 जवानों को भी गोली लगी, एयरलिफ्ट किया गया

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इंफाल। मणिपुर में सोमवार को हुई हिंसा में घायल एक BSF जवान की मंगलवार को इलाज के दौरान मौत हो गई। सेना के स्पीयर कोर ने बताया कि 5 मई को सर्च ऑपरेशन के दौरान स्थानीय लोगों और जवानों के बीच गोलीबारी हुई थी, जिसमें BSF जवान घायल हो गया था। असम राइफल्स के भी दो जवानों को गोली लगी है। इन्हें एयरलिफ्ट कर मंत्रीपुखरी ले जाया गया।
राज्य में कूकी और मैतेई समुदाय के बीच 3 मई से जातीय हिंसा चल रही है। हिंसा में अब तक 98 लोगों की मौत हो चुकी है, 310 घायल हैं। वहीं, 37 हजार से ज्यादा लोग राहत शिविर में भेजे गए हैं। हिंसा से 11 जिले प्रभावित हुए हैं। कई जिलों में कर्फ्यू भी लगाया गया है।
इससे पहले सोमवार को भड़की हिंसा में काकचिंग जिले के सेरो गांव में कुछ लोगों ने 100 घरों में आग लगा दी थी। इसमें कांग्रेस विधायक रंजीत सिंह का घर भी शामिल है। अमित शाह के दौरे के बाद सुरक्षाबल राज्य में सर्च ऑपरेशन चला रहे हैं। 5 मई को 790 हथियार और 10,648 गोला-बारूद बरामद किए गए। इन हथियारों को 3 मई को भड़के जातीय दंगों के दौरान पुलिस से लूटा गया था।
इंटरनेट बैन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची याचिका
हिंसा प्रभावित मणिपुर में इंटरनेट सेवाओं के निलंबन के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की गई है। एडवोकेट चोंगथम विक्टर सिंह और बिजनेसमैन मेयेंगबाम जेम्स ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्यव्यापी इंटरनेट बंद से उनका जीवन और आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। यह लोगों के दैनिक जीवन और उनके मौलिक अधिकारों को नुकसान पहुंचा रहा है।
2 जून से चल रहा है सर्च ऑपरेशन
अमित शाह 29 मई को चार दिन के दौरे पर मणिपुर पहुंचे थे। दौरे के आखिरी दिन (1 जून) को शाह ने मणिपुर में लोगों से कहा था कि अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा। शाह ने कहा था कि 2 जून से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा। अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद उपद्रवियों ने हथियार सरेंडर करना शुरू कर दिए थे।
हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय आयोग का गठन
सरकार ने हिंसा की जांच के लिए 3 सदस्यीय आयोग का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता गुवाहाटी हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस अजय लांबा करेंगे। आयोग मणिपुर में हिंसा की वजह, प्रसार, दंगों की जांच करेगा और छह महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।


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