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ममता के साथ आए एनसीपी प्रमुख पवार, बोले- दिल्ली या मुंबई में होगी बैठक, विपक्षी एकता को दिया जायेगा धार

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की जांच एजेंसियों के खिलाफ गैर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा पत्र लिखकर एकजुटता की मांग किए जाने के मुद्दे पर ‘राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी’ के सुप्रीमो शरद पवार ने बड़ी बात कही है। शरद पवार ने बातचीत में कहा है कि हम इस मुद्दे पर साथ हैं, हालांकि अभी हमें मीटिंग के लिए जगह तय करनी है। ये दिल्ली या मुंबई में हो सकती है। ’ हालांकि ओडिशा के मुख्यमंत्री और बीजेडी नेता नवीन पटनायक ने कहा कि उन्हें बंगाल की मुख्यमंत्री की ओर से कोई पत्र नहीं मिला है।
दरअसल पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखकर उनसे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लड़ाई में एकजुट होने की अपील की थी। तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख के तौर पर लिखे पत्र में बनर्जी ने भाजपा से मुकाबला करने की रणनीतियों पर चर्चा करने और एकजुट एवं सैद्धांतिक विपक्ष बनाने का संकल्प लेने के लिए एक बैठक करने की अपील की, ताकि ‘ऐसी सरकार बनाने की तैयारी की जा सके, जिसका देश हकदार है।
देखा जाए तो एनसीपी के संस्थापक शरद पवार ही इस अखाड़े में इकलौते विपक्ष के ऐसे कद्दावर नेता हैं,जो खुलकर ममता के साथ खड़े दिखते हैं। पवार ने पहले ही ऐलान किया है कि केंद्र सरकार द्वारा सीबीआई,ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल का मुद्दा बुधवार को एनसीपी और तृणमूल कांग्रेस संसद में उठाएगी।
अभी क्यों मची है हलचल
उन्होंने कहा कि सभी ‘प्रगतिशील ताकतों’ को एक साथ आने और ‘भाजपा के दमनकारी शासन’ से लड़ने की जरूरत है। बनर्जी ने 27 मार्च को लिखे पत्र में कहा, ‘मैं आपको सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा इस देश के संस्थागत लोकतंत्र पर किए जा रहे सीधे हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए यह पत्र लिख रही हूं।’ इस पत्र को मंगलवार को सोशल मीडिया पर साझा किया गया। उन्होंने कहा, ‘मैं सभी से बैठक करने की अपील करती हूं, ताकि सभी की सुविधा तथा उपयुक्तता के अनुसार आगे की रणनीति पर विचार-विमर्श किया जा सके। आइए, हम एकजुट एवं सैद्धांतिक विपक्ष बनाने का संकल्प लें, ताकि ऐसी सरकार बनाने की तैयारी की जा सके, जिसका देश हकदार है।’
ममता के पत्र पर बीजेपी-कांग्रेस की प्रतिक्रिया
भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र की कथित प्रतिशोधात्मक राजनीति की आलोचना करते हुए, बनर्जी ने दोहराया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) जैसी एजेंसियों का ‘राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने और उन्हें घेरने’ के लिए उपयोग कर देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने पर हमला किया जा रहा है। इस बीच भाजपा ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षाएं धराशायी हो गई हैं, जबकि कांग्रेस ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल के पास भाजपा से लड़ाई में विश्वसनीयता की कमी है।
बनर्जी ने आरोप लगाया कि दिल्ली विशेष पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2021 और सीवीसी (संशोधन) विधेयक, 2021 संसद में शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष द्वारा बहिर्गमन के बीच पारित किए गए थे। उन्होंने कहा, ‘ये कानून केंद्र को ईडी और सीबीआई के निदेशकों के कार्यकाल को पांच साल तक बढ़ाने में सक्षम बनाते हैं, जो उच्चतम न्यायालय के पिछले फैसले का घोर उल्लंघन है.’ उन्होंने पार्टियों से विपक्ष को दबाने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग करने के भाजपा के इरादे का विरोध करने का आग्रह किया।
शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग करते हुए, उन्होंने कहा कि विपक्षी नेताओं को भाजपा की प्रतिशोधात्मक राजनीति को बर्दाश्त नहीं करना चाहिए। बनर्जी ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा न्यायपालिका को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘भाजपा बार-बार न्यायपालिका के एक खास वर्ग को प्रभावित करने की कोशिश कर देश के संघीय ढांचे पर हमला करने की कोशिश कर रही है।’ इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा धराशायी हो गई है।
‘तृणमूल कांग्रेस के पास विश्वसनीयता की कमी’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अब्दुल मन्नान ने दावा किया कि भाजपा के खिलाफ लड़ाई में तृणमूल कांग्रेस के पास विश्वसनीयता की कमी है।उन्होंने कहा, ‘भाजपा के खिलाफ लड़ाई में टीएमसी के पास विश्वसनीयता की कमी है, चूंकि वह (तृणमूल कांग्रेस) कई भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों का सामना कर रही है।’ उन्होंने कहा, ‘कुछ दिन पहले तक, हम पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं द्वारा नियमित रूप से हमला किया जाता था. तो, अचानक क्या बदल गया है कि वे हमसे संपर्क कर रहे हैं? उन्हें इसका जवाब देना चाहिए।’
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) नेता सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि भाजपा विरोधी ताकतों के एक साथ आने का सवाल महत्वपूर्ण है लेकिन प्रस्ताव बनाने की तृणमूल कांग्रेस की मंशा भी पता होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘वामपंथ हमेशा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और उससे प्रेरित संस्थाओं के खिलाफ रहा है. लेकिन टीएमसी ने गोवा विधानसभा चुनाव और त्रिपुरा निकाय चुनावों के दौरान भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित किया जिससे भाजपा को मदद मिली।’


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