कोलकाता। यूं तो आमतौर पर अफीम की खेती देशभर में प्रतिबंधित है। अब तक अफीम की खेती केवल देश के 4 राज्यों में ही होती है। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में अफीम की खेती की मांग करते हुए केंद्र को पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को विधानसभा में खाद्य बजट पर चर्चा के दौरान कहा कि बंगाल में पोस्तो ( खसखस) के बिना कुछ नहीं चलता। यह बंगालियों के भोजन का अभिन्न हिस्सा है। भोजन में यहां बंगालियों का सबका पसंदीदा व्यंजन है आलू पोस्तो (आलू और खसखस की सब्जी) और पोस्तो बड़ा ( खसखस के पकौड़े)। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पूछा कि हर दिन हमारे मेनू में होने के बावजूद पश्चिम बंगाल में इसकी खेती क्यों नहीं की जाएगी? जब दूसरे राज्यों में हो सकती है तो बंगाल में क्यों नहीं। ममता ने कहा कि हम इसकी खेती कृषि फार्मों में करेंगे, हमारे पास ऐसे कई फार्म हैं। हम अपने राज्य में भी तो अफीम उगा सकते हैं। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विरोधियों से भी समर्थन मांगा है
क्यों खास है आलू पोस्तो और पोस्तो बड़ा
पश्चिम बंगाल में बंगालियों के लिए आलू पोस्तो और पोस्तो बड़ा ही खास है। पश्चिम बंगाल में आलू के साथ खसखस पीसकर एक सब्जी बनाई जाती है जिसे आलू पोस्तो कहते हैं। आमतौर पर यह सब्जी हर बंगाली के घर में बनती है लेकिन इन दिनों पोस्तो की कीमत ज्यादा होने के कारण लोगों के लिए पोस्तो तो खरीद पाना संभव नहीं हो रहा है। वहीं पोस्तो का बड़ा भी पोस्तो पीसकर बनाया जाता है। यह दोनों बहुत ही पारंपरिक व्यंजन है। इसलिए मुख्यमंत्री ने राज्य में पोस्तो उगाने की बात पर जोर दिया है।
1000 रुपये किलो है खसखस
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधानसभा में कहा कि हमें दूसरे राज्यों से भारी कीमतों पर पोस्त दाना खरीदना पड़ रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बंगाल में अफीम की खेती की परमिशन के लिए केंद्र को पत्र लिखा है। ममता ने कहा कि हम इसकी खेती कृषि फार्मों में करेंगे, हमारे पास ऐसे कई फार्म हैं। अगर हम अपने राज्य में अफीम उगा सकते हैं तो हम उन्हें 1,000 रुपये के बजाय 100 रुपये (प्रति किलो) पर खऱीद सकेंगे।
पोस्तो का मतलब ड्रग्स नहीं
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा,’ मैं विपक्ष के सदस्यों से कहूंगी निर्णय लें और केंद्र सरकार को पत्र लिखें क्योंकि यहां पोस्तो ड्रग्स नहीं हैं।’ विधानसभा में ममता बनर्जी ने कहा कि ‘पोस्त’ या खसखस महंगा है, क्योंकि इसकी खेती केवल कुछ राज्यों में की जाती है। ममता ने कहा कि अगर अफीम की खेती होगी तो राज्य के लोग इससे बने व्यंजनों का लुत्फ उठा सकेंगे। इससे बंगाल के किसानों को भी लाभ होगा और जनता की मांग भी पूरी होगी।
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