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महाराष्ट्र का सीएम बनना ही अजित पवार का लक्ष्य, जो पैर पर गिरे कल वो ही पैर खींचेंगे’ सामना में तंज

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नई दिल्ली। एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद महाराष्ट्र की सियासत में कयासों का दौर जारी है। इसी बीच, उद्धव गुट की शिवसेना ने अपने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कई दावे किए हैं। ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा गया कि शरद पवार ने अपनी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से आनन-फानन में इस्तीफा दे दिया। पवार के करीबियों का कहना है कि असल में साहब तो एक मई को यानी महाराष्ट्र दिवस को ही रिटायर होने की घोषणा करनेवाले थे, लेकिन मुंबई में महाविकास आघाड़ी की सभा होने के कारण उन्होंने दो मई को घोषणा की। हम इस राय से सहमत नहीं हैं।
महाराष्ट्र की राजनीति में आएगा भूकंप!
सामना में आगे लिखा है कि पवार द्वारा इस्तीफे का एलान करते ही कई नेताओं के आंसू छलक पड़े, रोने-धोने लगे। पवार के चरणों पर नतमस्तक हो गए, लेकिन इनमें से कइयों के एक पैर भाजपा में हैं और पार्टी को इस तरह से टूटते देखने की बजाय सम्मान से सेवानिवृत्ति ले ली जाए, ऐसा सेकुलर विचार पवार के मन में आया होगा तो उसमें गलत नहीं है। एनसीपी का एक गुट भाजपा की दहलीज पर पहुंच गया है और राज्य की राजनीति में कभी भी कोई भूकंप आ सकता है, ऐसे माहौल में पवार ने इस्तीफा देकर हलचल मचा दी।
शरद पवार तो पूर्णकालिक राजनेता हैं। ऐसा राजनीतिक व्यक्ति इस्तीफा देकर हलचल मचाए, इसके पीछे की सियासत क्या है? इसका संशोधन कुछ लोग करने लगें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। ईडी जैसी जांच एजेंसी के कारण पार्टी में फैली बेचैनी और उससे सहयोगियों द्वारा चुना गया भाजपा का रास्ता, क्या इसके पीछे इस्तीफा देने की वजह हो सकती है? यह पहला सवाल। दूसरा, यानी अजीत पवार और उनका गुट अलग भूमिका अपनाने की तैयारी में हैं, क्या उसे रोकने के लिए पवार ने यह कदम उठाया है? शिवसेना टूटी। चालीस विधायक छोड़कर चले गए, लेकिन संगठन और पार्टी अपनी जगह पर है। कल एनसीपी के कुछ विधायक वगैरह चले गए फिर भी जिलास्तरीय संगठन हमारे पीछे रहे, इस दृष्टिकोण से जनमानस परखने का यह एक झटका देनेवाला प्रयोग हो सकता है।
अध्यक्ष चुनने में बरतनी होगी सावधानी
‘सामना’ में लिखा है कि शरद पवार द्वारा इस्तीफा देते ही उनको मनाने की कोशिश शुरू हो गई, यह स्पष्ट दिखाई दे रहा है। पवार इस्तीफा वापस लें, ऐसी मांग नेता कर रहे हैं, लेकिन अजीत पवार ने अलग भूमिका अपनाई। ‘पवार साहेब ने इस्तीफा दिया। वे वापस नहीं लेंगे। उनकी सहमति से दूसरा अध्यक्ष चुनेंगे’, ऐसा अजीत पवार कहते हैं। यह दूसरा अध्यक्ष कौन? पवार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और पवार की पार्टी महाराष्ट्र केंद्रित है। इसलिए राष्ट्रीय अध्यक्ष पद संभालने योग्य नेता चुनते समय सावधानी बरतनी पड़ेगी।
अजित पवार का लक्ष्य सीएम बनना
‘सामना’ में ये भी लिखा है कि अजीत पवार की राजनीति का अंतिम उद्देश्य महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनना है। सुप्रिया सुले दिल्ली में रहती हैं। उनकी वहां की स्थिति अच्छी है। संसद में वह बेहतरीन काम करती हैं। हालांकि, भविष्य में उन्हें पार्टी का नेतृत्व मिला तो पिता के समान ऊंचाई तक पहुंचने के लिए उन्हें कोशिश करनी चाहिए। शरद पवार ने पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर सभी की पोल खोल दी। बादल और हवा स्वच्छ कर दी। आज जो पैर पर गिरे वही कल पैर खींचने वाले होंगे तो उनका मुखौटा खींचकर निकाल दिया।


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