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महाराष्ट्र में गौ सेवा आयोग के गठन को कैबिनेट से मंजूरी, बीफ प्रतिबंध करने पर होगा फोकस

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नई दिल्ली। महाराष्ट्र कैबिनेट ने ‘महाराष्ट्र गौ सेवा आयोग’ के गठन को मंजूरी दे दी है। 17 मार्च को हुई कैबिनेट की बैठक में इसपर फैसला लिया गया। आयोग का पूरा फोकस गोमांस (बीफ) पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने पर होगा। 2015 में इसको लेकर कानून भी बन चुका है। अब उस कानून का सख्ती से पालन कराने का काम भी यही आयोग करेगी।
पशुपालन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘महाराष्ट्र गौ सेवा आयोग’ पशुधन के पालन की निगरानी करेगा और यह आकलन करेगा कि उनमें से कौन अनुत्पादक है और दूध देने, प्रजनन करने और कृषि कार्य करने आदि के लिए अनुपयुक्त है। मंत्रिमंडल ने आयोग की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये की धनराशि को भी मंजूरी दी है। एक वैधानिक निकाय के रूप में इसके गठन के लिए एक मसौदा विधेयक इस सप्ताह राज्य विधानमंडल के समक्ष रखे जाने की संभावना है।
अधिकारी के मुताबिक, राज्य सरकार ने अनुमान लगाया है कि बीफ पर प्रतिबंध के कारण पशुओं की संख्या बढ़ेगी। गौ सेवा आयोग का गठन एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार द्वारा हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य भाजपा शासित राज्यों द्वारा स्थापित समान निकायों की तर्ज पर किया जा रहा है।
2015 में लागू कानून का सख्ती से कराया जाएगा पालन
पशुपालन विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘आयोग से अनुत्पादक मवेशियों को बूचड़खानों में जाने से रोकने के लिए विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय करने की उम्मीद है। मार्च 2015 में पारित महाराष्ट्र पशु संरक्षण (संशोधन) पशु अधिनियम, 1995 के तहत सूबे में गौमांस की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है।’
उन्होंने कहा कि आयोग आवारा और अनुत्पादक मवेशियों को आश्रय देने के लिए बनाई गई सभी गौशालाओं (गौशालाओं) की भी निगरानी करेगा और जहां भी आवश्यक हो, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करने की शक्ति होगी। आयोग में 24 सदस्य होंगे और इसका अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा नामित किया जाएगा।
उन्होंने आगे बताया कि इसमें विभिन्न सरकारी विभागों के 14 वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हैं। जिनमें पशुपालन, कृषि, परिवहन और डेयरी विकास विभागों के आयुक्त, एक पुलिस उप महानिरीक्षक, और गौ संरक्षण संगठनों या गौशालाओं को चलाने वाले गैर सरकारी संगठनों से जुड़े नौ मनोनीत सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आयोग न केवल राज्य में गौशालाओं के लिए सभी मौजूदा योजनाओं को क्रियान्वित करेगा बल्कि पशुधन की बेहतरी के लिए नई योजनाएं और कार्यक्रम भी पेश करेगा।


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