Universe TV
हर खबर पर पैनी नजर

महाशिवरात्रि पर इस खास तरीके से करें शिव जी की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना और कटेंगे सारे कष्ट

- Sponsored -

- Sponsored -


 

महाशिवरात्रि पर इस खास तरीके से करें शिव जी की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना और कटेंगे सारे कष्ट
नई दिल्‍ली। देवों के देव महादेव के प्राकट्य दिवस और शिव-पार्वती के विवाहोत्‍सव का पर्व महाशिवरात्रि बेहद ही महत्‍वपूर्ण पर्व होता है। साथ ही यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा पाने के लिहाज से भी बेहद खास है। यदि इस दिन पूरे भक्ति भाव और विधि-विधान से शिव जी की पूजा-आराधना की जाए तो भोलेनाथ सुख, संपत्ति, सेहत से लेकर हर चीज देते हैं. साथ ही मनचाही मुराद भी पूरी कर देते हैं। 1 मार्च 2022, मंगलवार को महाशिवरात्रि के दिन शिव जी को प्रसन्‍न करने के लिए खास विधि से पूजा जरूर करें।
इसी दिन भक्‍तों को हुए थे शिवलिंग रूप के दर्शन
पुराणों के अनुसान भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन ही अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे। यही कारण है कि यह महापर्व बेहद खास माना जाता है और इस दिन शि‍वलिंग का अभिषेक करने का खास महत्‍व है। यदि पूरे विधि-विधान से महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक किया जाए तो शिव जी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
कब है शिवरात्रि
हिंदू पंचांग के अनुसार 2022 में महाशिवरात्रि का व्रत 1 मार्च 2022, द‍िन मंगलवार को है। 01 मार्च को चतुर्दशी तिथि सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 2 मार्च, बुधवार को सुबह 1 के करीब होगा।
महाशिवरात्रि 2022 व्रत तिथ‍ि: 1 मार्च 2022, मंगलवार
फाल्‍गुन मास 2022 की चतुर्दशी तिथि प्रारंभ : 1 मार्च 2022, 3:16 एएम से
फाल्‍गुन मास 2022 की चतुर्दशी तिथि समापन: 2 मार्च 2022, बुधवार को 1 एएम तक
महाशिवरात्रि पर पूजा की विधि
महाशिवरात्रि के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं और स्‍नान करके साफ कपड़े पहन लें। संभव हो तो महाशिवरात्रि पर व्रत रखे। इसके बाद शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक करें। शिवलिंग पर एक-एक करके जल, दूध, दही, शहद, घी आदि अर्पित करें। आखिर में जल चढ़ाएं. इसके बाद भगवान शिव को चंदन, भभूत का तिलक लगाकर बेलपत्र, शमीपत्र, भांग, धतूरा, फल, फूल, मिष्ठान, पान, सुपाड़ी, इलायची, लौंग, इत्र और कुछ दक्षिणा अर्पित करें। इस दौरान शिव जी के पंचाक्षरी मंत्र ॐ नम: शिवाय या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते रहें। आखिर में भगवान शिव को केसर युक्त खीर का भोग लगाएं और फिर सभी को उसका प्रसाद बांटें।
महाशिवरात्रि पर चारों पहर की पूजा के मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर प्रथम पहर की पूजा सूर्यास्त के बाद की जाती है। 2022 में इसका समय शाम 6:21 से शुरू होकर रात में 09:27 तक का है। दूसरे पहर की पूजा का शुभ मुहूर्त रात 9 बजकर 27 मिनट से है ज‍िस दौरान भोलेनाथ का दही से अभिषेक किया जाता है। तीसरे पहर की पूजा मध्यरात्रि में की जाती है और इस समय रुद्राष्टक का पाठ शुभ माना जाता है। चौथे पहर की पूजा अगले दिन भोर में की जाती है। चौथे पहर की पूजा अगले दिन भोर में होती है। इस दौरान शहद से शिवलिंग का अभिषेक करें। मान्‍यता है कि इस तरह पूरे विध‍ि-विधान से महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक करने से जीवन की सारी परेशानियां, बीमारियां, दुख दूर हो जाते हैं। शिव जी कृपा से खूब सुख-समृद्धि, खुशहाल पारिवारिक जीवन मिलता है। पुराणों के अनुसान भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन ही अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे। यही कारण है कि यह महापर्व बेहद खास माना जाता है और इस दिन शि‍वलिंग का अभिषेक करने का खास महत्‍व है। यदि पूरे विधि-विधान से महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक किया जाए तो शिव जी हर मनोकामना पूरी कर देते हैं।
महाशिवरात्रि पर करें इस मंत्र का जाप
शिवपुराण के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवपुराण का पाठ और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करना शुभ माना जाता। मंत्र इस प्रकार हैं-
ॐ हौं जूं सः
महा मृतुन्जय मंत्र…
ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि-वर्धनम उर्वारुकमिव बन्धनं मृत्योर्मुक्षीय मामृतात
महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व
पंचांग के अनुसार चंद्रमास का का चौदहवां दिन शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है और यह शिवरात्रि जब फाल्गुन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दर्शी को पड़ती है तो वह महाशिवरात्रि कहलाती है। महाशिवरात्रि को भगवान शिव की पूजा के लिए सबसे पुण्यदायी और फलदायी माना गया है। मान्यता है कि भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन ही अपने भक्तों को शिवलिंग के रूप में दर्शन दिए थे। यही कारण है कि यह महापर्व पूरे भारतवर्ष में पूरी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है।महाशिवरात्रि के महापर्व को ई महादेव के के विवाह के उत्सव के रूप में तो कोई भगवान शिव द्वारा अपने शत्रुओं पर विजय पाने के दिवस के रूप में भी मनाते हैं।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का फल
भगवान शिव के महापर्व पर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व है। दरअसल, रुद्राभिषेक दो शब्दों रुद्र और अभिषेक से मिलकर बना है।इसमें रुद्र शब्द का अर्थ भगवान शिव है यानि शिव का अभिषेक, जिसे विधि-विधान से करने पर जीवन से जुड़े सभी दोष, रोग, शोक दूर होते हैं और शिव कृपा प्राप्त होती है। शास्त्रों में अलग-अलग चीजों से रुद्राभिषेक का अलग-अलग महत्व बताया गया है। जैसे घी से से वंश का विस्तार, भांग से उत्तम स्वास्थ्य, गंगाजल से सभी दु:खों और दोषों से मुक्ति, गन्ने के रस से सुख-संपत्ति की प्राप्ति, दूध से सुख-शांति, शहद से परीक्षा-प्रतियोगिता में सफलता और सुखी दांपत्य जीवन की प्राप्ति और भस्म से रुद्राभिषेक करने पर शत्रुओं पर विजय आदि का आशीर्वाद मिलता है।


- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Comments are closed.