डेस्क । साल 2019 में आई फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ ने लोगों को खूब हंसाया था। पर्दे पर पहली बार अजय देवगन और रकुलप्रीत रोमांटिक जोड़ी के तौर पर नजर आए थे और एक बार फिर से ये जोड़ी लौट आई है। जी हां ‘दे दे प्यार दे 2’ आज रिलीज हो गई है, लेकिन आपको ये फिल्म देखनी चाहिए या स्किप करनी चाहिए आइए इस रिव्यू में जानते हैं।
क्या है कहानी
दे दे प्यार दे में आशीष(अजय देवगन) को अपनी फैमिली को मनाना होता है कि वो और आएशा(रकुल प्रीत सिंह) प्यार में होते हैं। कई मशक्कतों के बाद मंजू (तबू) उनके रिश्ते के लिए राजी हो जाती है और आशीष को आजाद कर देती है लेकिन अब आएशा के परिवार को मनाने की बारी आती है।
आएशा को अपने परिवार का पता होता है कि वो उन्हे मना लेगी, लेकिन जब आएशा के पापा (आर माधवन) और मम्मी(गौतमी कपूर) को इस बात का पता चलता है कि आशीष उनसे बस कुछ साल ही छोटा है तो वो आएशा और आशीष को अलग करने के लिए कई तिकड़म लगाते हैं और इस तिकड़म के बीच एंट्री होती है समीर(मीजान जाफरी) की जो आएशा का अच्छा दोस्त है। आएशा के पापा चाहते हैं समीर और आयशा की जोड़ी बन जाए और वो आशीष से अलग हो जाए। अब क्या इस कसौटी पर आएशा और आशीष का प्यार खरा उतर पाएगा? या आएशा को एक नया प्यार मिल जाएगा? इसके लिए आपको ये फिल्म अपने नजदीकी थिएटर्स में देखनी होगी।
कैसी है फिल्म
अगर आपने इस फिल्म का पहला पार्ट देखा है तो बढ़िया बात है, लेकिन अगर नहीं देखा है तो भी कोई बात नहीं क्योंकि फिल्म की शुरुआत में इस फिल्म के पहले पार्ट की कुछ झलकियां दिखाई गई हैं, जिससे आपको अंदाजा हो जाएगा कि पहले पार्ट में क्या हुआ था। अब आते हैं इस फिल्म के दूसरे पार्ट में… फिल्म का बेस्ट पार्ट हैं आर माधवन। उन्होंने इस फिल्म को उठाने की पूरी कोशिश की है, लेकिन वो भी उस कहानी को कितना उठा पाते जब कहानी में दम ही नहीं था।
फिल्म की कहानी पूरी तरह से बिखरी हुई थी, फिल्म में ऐसी कोई भी सिचुएशन नहीं थी जो रियलिस्टक लगे। हालांकि, इन सबके बीच आर माधवन और गौतमी कपूर की केमिस्ट्री काफी बेहतरीन लगी। फिल्म का फर्स्ट हाफ अच्छा था लेकिन सैकेंड हाफ में और भी धमाल होने की उम्मीद थी लेकिन सैकेंड हाफ में तो कहानी ने तो और डूब गई। मीजान जाफरी की एंट्री को लेकर कयास लगाए जा रहे थे कि वो इस फिल्म में कुछ मसाला जोड़ेंगे लेकिन अफसोस वो ऐसा नहीं कर पाए।
जिस तरह से फिल्म में मीजान की एंट्री दिखाई है, ऐसा लग रहा था कि इसमें मीजान का दोबारा डेब्यू करवाया जा रहा है। इस फिल्म में कुछ-कुछ जोक्स हैं जैसे जावेद जाफरी का बार-बार मीजान की तारीफ करना। शैतान की कहानी पर जोक मारना आदि। ये फिल्म को थोड़ा कनेक्टेड बनाते हैं। इसके अलावा इस फिल्म की जान सिर्फ आखिरी के 20 मिनट में बसती है और इसी 20 मिनट ने मुझे इस फिल्म को आधा स्टार और देने पर मजबूर किया है।
कैसी है एक्टिंग
इस फिल्म में वैसे तो लगभग सभी कलाकारों की एक्टिंग बढ़िया है। लेकिन आर माधवन इस फिल्म में खिलकर सामने आए हैं। एक जवान बेटी के बाप के मन में क्या-क्या चलता है, वो उन्होंने बखूबी पर्दे पर दिखाया है। गौतमी कपूर भी स्क्रीन में काफी आउटस्टैंडिंग लगी हैं। कमाल की बात तो यह रही कि गौतमी और रकुल के नैन-नक्श काफी मिलते थे, जिससे लग रहा था कि वो असल में मां-बेटी हैं। इशिता दत्ता भी फिल्म में अच्छी लगी हैं, उनका मसखरा अंदाज आपको हंसाएगा। रकुल प्रीत सिंह इमोशनल सीन में गच्चा खा गई हैं लेकिन बाकी के सीन उन्होंने भी ठीक ठाक किए हैं। अजय देवगन की एक्टिंग वैसे ही लगी, जैसी वो हर फिल्म में करते आए हैं। ऐसा लगा कि उन्होंने एक्ट करने के लिए ज्यादा एफर्ट नहीं लगाए।
फाइनल रिव्यू
ये फिल्म एक फैमिली एंटरटेनर है। लेकिन रकुल को बार-बार हॉट दिखाने की कोशिश की गई है, जो कि कई सीन में ओवर भी लग रहा था। आप माधवन को देखने के लिए ये फिल्म देखने जा सकते हैं। लेकिन इससे ज्यादा उम्मीदें लगाकर ना जाएं क्योंक ये फिल्म सिर्फ वन टाइम वॉच ही है। फिल्मीबीट हिंदी की तरफ से इस फिल्म को मिलते हैं 2.5 स्टार।