नई दिल्ली। अगर आप आने वाले पांच दिनों में कोई शुभ Shubh काम या लकड़ी Wood आदि के सामान की खरीदारी करना चाहते हैं तो आपको बता दें इसके लिए Astrology आपको कुछ दिन का इंतजार करना होगा। वो इसलिए क्योंकि कल यानि 13 मई से मृत्यु पंचक शुरू हो रहे हैं।
आज रात से लग जाएंगे
आपको बता दें वैसे तो पंचकों की शुरूआत आज 1:19 बजे से हो रही है, इनका प्रारंभ शनिवार से ही माना जाएगा। चूंकि ये पंचक शनिवार से शुरू हो रहे हैं इसलिए इन्हें मृत्यु पंचक नाम दिया गया है।
पंचक मई 2023 में कब है?
शुरूआत 12 मई रात 1:19 से
समाप्ति 17 मई सुबह : 7:50
पंचक कब से शुरू हो रहा है?
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार मई में 12 तारीख को रात मेें 1:19 से पंचकों की शुरूआत होगी। जो 17 मई को सुबह 7:50 समाप्ति होंगे। इस बार पंचकों की शुरूआत शुक्रवार से होगी।
पंचक में क्या नहीं करना चाहिए
जिस पंचक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है। उसमें पांच कार्य भूलकर भी नहीं किए जाने चाहिए। पंचक में लकड़ी घर में लाना या फिर उससे बने सामान खरीदना। चारपाई बुनना, घर की छत ढलवाना, दक्षिण दिशा की यात्रा करना और घर को पेंट आदि करवाना सख्त मना है।
पंचक के उपाय क्या हैं?
हिंदू धर्म में किसी मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार के समय पंचक पर विशेष ध्यान दिया जाता है। यदि किसी की मृत्यु पंचक के दौरान होती है तो इस दोष को दूर करने के लिए बाकायदा शांति कराई जाती है। इसके लिए शव के साथ आटे से बने पांच पुतले अर्थी पर रखकर पूरे विधि.विधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। मान्यता है कि इस उपाय को करने से पंचक दोष दूर हो जाता है।
पंचक से जुड़े जरूरी नियम
पंचक के समय लकड़ी या फिर लकड़ी से बने सामान को खरीदना या घर पर बनवाना नहीं चाहिए।
पंचक में चारपाई बुनवाने और घर की छत ढलवाने की भी विशेष रूप से मनाही है।
पंचक के दौरान यदि बहुत जरूरी न हो तो दक्षिण दिशा की यात्रा भूलकर नहीं करवाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण को यम की दिशा माना गया है।
इसी प्रकार पंचक के समय घर की पेंटिंग का कार्य नहीं शुरु करना चाहिए।यदि ये कार्य करवाने हों तो आप पंचांग की मदद से पंचक की जानकारी लेकर आगे–पीछे करवा सकते हैं।
पंचक के दौरान किसी परिजन की मृत्यु हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार खास विधि से करना चाहिए। उसके साथ 4 मोतिचूर के लड्डू या नारियल रख देना चाहिए। इससे परिवार का संकट टल जाता है।
आखिर क्या होते हैं पंचक
ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों को अत्यंत अशुभ मानते हुए उसमें कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है। ज्योतिष के अनुसार धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती समेत पांच नक्षत्रों की युति अत्यंत ही अशुभ मानी जाती है। ज्योतिष के अनुसार कुंभ और मीन राशि में चंद्रमा को गोचर पंचक कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचकों में घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार को भी मृत्यु तुल्य कष्ट को भोगना पड़ता है। रावण की मृत्यु भी पंचक काल में हुई थी। मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक में हो जाए तो उसके खानदान के 5 सदस्यों की या तो मृत्यु हो जाती है या उन्हें मृत्यु जैसा कष्ट भुगतना पड़ता है। ज्योतिष पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
क्या कहलाते हैं पंचक
आपको बता दें शुभ कामों के लिए जब मुहर्त देखे जाते हैं उनमें पंचक भी शामिल हैं। पंचक वह समय है चंद्रमा के कुंभ और मीन राशि में होने के दौरान लगता है। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान किए गए कार्य का प्रभाव पांच गुना बढ़ जाता है। इसलिए इस दौरान किए गए दुष्प्रभाव से बचने के लिए पंचक कोई भी शुभ कार्य करने से बचने के लिए सलाह दी जाती है।
कितने प्रकार का होता है पंचक
पंचांग के अनुसार यदि पंचक रविवार को पड़े तो रोग पंचक और सोमवार को पड़े तो राज पंचक कहलाता है। इसी प्रकार यदि पंचक मंगलवार को पड़े तो अग्नि पंचक और शुक्रवार को पड़े तो चोर पंचक कहलाता है। जबकि शनिवार के दिन पड़े वाले पंकच को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को सोमवार और मंगलवार के पंचक को माना जा सकता है।
नोट : इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य Mritu Panchak 2023: जानकारियों पर आधारित हैं। यूनिवर्स टीवी न्यूज इसकी पुष्टि नहीं करता। अमल में लाने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।
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