केंद्र सरकार उन व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को कैशबैक देने की योजना पर विचार कर रही है जिन्होंने छह महीने के मोरेटोरियम का लाभ नहीं उठाया था। वहीं दो करोड़ रुपये तक के कर्ज वाले एमएसएमई, जिन्होंने अपना बकाया समय पर चुकाया उन्हें भी इसका लाभ दिया जा सकता है। इससे मोरेटोरियम का लाभ लेने वाले लोगों को ब्याज पर ब्याज वसूलने से रोका जाएगा।
यदि उधारकर्ता ने मोरेटोरियम का विकल्प चुना था, तो लाभ के संवैधानिक मूल्य पर काम करना संभव है। सरकार उन लोगों को लाभ दे सकती है जिन्होंने अपना बकाया चुकाया था। उन लोगों को नजरअंदाज करना अनुचित होगा जो परेशानियों के बावजूद अपना बकाया चुका रहे हैं। रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के उपाध्यक्ष अनिल गुप्ता के अनुसार, ‘सरकार को इस राहत की लागत 5,000 या 7,000 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं आएगी। सरकार उन लोगों को राहत दे सकती है जिन्होंने अपने मूल बकाया से ब्याज पर ब्याज माफ की राशि का समय पर भुगतान किया है। उन्होंने आगे कहा, बैंकों और एनबीएफसी के कुल ऋणों में से 30-40 प्रतिशत से अधिक राहत के पात्र होंगे। ऐसे में सरकार को इसकी लागत 5,000-7,000 करोड़ रुपये से अधिक नहीं आएगी।’
अधिकारियों ने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग थे जिन्होंने छह महीने की अवधि के लिए मोरेटोरियम का लाभ उठाया। लेकिन कुछ ऐसे कर्जदार भी थे जिन्होंने सीमित समय के लिए ही इस सुविधा का इस्तेमाल किया। इसमें कुछ दिनों के लिए ईएमआई में देरी भी शामिल है।
खासकर सभी एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की।’ अधिकारी ने कहा कि सरकार महामारी और कर्ज माफी से प्रभावित वर्गों की परेशानियों को दूर करने के लिए उत्सुक है और उसने दो करोड़ रुपये की सीमा परिलक्षित की है।
 
				 
															 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
															 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								 
								