नई दिल्ली। म्यांमार के चाउंग यू टाउनशिप से एक दिल देहला देने वाली घटना सामने आई है, यहां बौद्ध फेस्टिवल के दौरान एक मोटर-पावर्ड पैराग्लाइडर ने भीड़ पर दो बम गिराए हैं। जिसके चलते कम से कम 24 लोग मारे गए और 47 घायल हुए हैं। बीबीसी के निर्वासित नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) के एक प्रवक्ता ने इस घटना की जानकारी दी है।
पैराग्लाइडर ने भीड़ के ऊपर दो बम गिराए
यह दर्दनाक घटना तब हुई जब लगभग 100 लोग थाडिंगयूट उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे। यह उत्सव म्यांमार में एक नेशनल हॉलिडे के रूप में मनाया जाता है और इसका बौद्ध धर्म में काफी महत्व है। स्थानीय अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि पैराग्लाइडर ने भीड़ के ऊपर दो बम गिरा दिए।
पिछले चार साल से चल रहा है गृहयुद्ध
उत्सव के दौरान एक मौन प्रकाश प्रदर्शन के रूप में सेना के नीतियों के खिलाफ विरोध भी आयोजित किया गया था। म्यांमार में 2021 में सेना द्वारा तख्तापलट के बाद से गृहयुद्ध चल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुमानों के अनुसार, इस गृहयुद्ध में 5,000 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है।
थाडिंगयूट उत्सव में हुआ हमला
पीपल्स डिफेंस फोर्स (PDF) के एक अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि उन्हें थाडिंगयूट उत्सव में संभावित हवाई हमले की सूचना मिली थी। उनकी टीम ने विरोध को समाप्त करने के लिए मौके पर पहुंचने की कोशिश की, लेकिन पैरामोटर्स उनसे पहले ही समारोह स्थल पर पहुँच गए।
उत्तराखंड में जल सत्याग्रह : रामगंगा में कूदे आंदोलनकारी
अल्मोड़ा। सीएचसी चौखुटिया की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चल रहे आंदोलन ने बुधवार को नाटकीय मोड़ ले लिया। आंदोलन के सातवें दिन “ऑपरेशन स्वास्थ्य” अभियान के तहत पूर्व जिला पंचायत सदस्य हीरा सिंह पटवाल के नेतृत्व में तीन आंदोलनकारी रामगंगा नदी में उतर गए और जल सत्याग्रह शुरू कर दिया। आंदोलनकारियों में हीरा सिंह पटवाल के साथ दो अन्य साथी भी शामिल रहे।
सूचना मिलते ही जल पुलिस मौके पर पहुंची और तत्परता दिखाते हुए तीनों को सुरक्षित बाहर निकाला। हालांकि आंदोलनकारी अपनी मांगों पर अडिग हैं और चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो वे फिर से नदी में उतरकर आंदोलन को और तेज करेंगे।
आंदोलनकारियों की मुख्य मांगें हैं सीएचसी चौखुटिया को उच्चीकृत कर सभी विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती की जाए, साथ ही अल्ट्रासाउंड और अन्य आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं तत्काल उपलब्ध कराई जाएं।
स्थानीय लोगों का कहना है कि क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है और मरीजों को मामूली इलाज के लिए भी रानीखेत या अल्मोड़ा जाना पड़ता है। आंदोलनकारियों ने साफ कहा है कि जब तक ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, वे अपना सत्याग्रह जारी रखेंगे।