तेहरान। ईरान में इस साल अभी तक कम से कम 354 लोगों को फांसी की सजा दी जा चुकी है। पिछले साल की तुलना में इस साल आई फांसी की सजा में तेजी को लेकर नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स (IHR) ने चेतावनी भी जारी की है। मानवाधिकार संगठन का कहना है कि साल 2022 की तुलना में यह बहुत अधिक संख्या है।
बता दें, हिजाब विरोधी प्रदर्शन के दौरान महसा ईरानी नाम की महिला को हिजाब सही से नहीं पहनने के आरोप में ईरानी पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इसी दौरान उनकी मौत हो गई, जिसके बाद प्रदर्शन तेज हो गया था। इन विरोध-प्रदर्शनों ने पूरे ईरान को चपेट में ले लिया था।
मानवाधिकार संगठन की रिपोर्ट के अनुसार, इन्ही विरोध प्रदर्शनों को रोकने व लोगों में डर पैदा करने के लिए फांसी की सजा में बढ़ोतरी की गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान ने 2022 में भी 582 लोगों को फांसी की सजा दी गई थी।
इस साल पिछले छह महीनों में 354 लोगों को फांसी दी जा चुकी है। वहीं, साल 2022 में इसी अवधि में 261 लोगों को मौत की सजा दी गई थी। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि पिछले साल की तुलना में 36 प्रतिशत अधिक सजा दी गई हैं। रिपोर्ट में इस चिंता पर ध्यान दिया गया है कि ईरान में मारे गए लोगों में से 20 फीसदी बलूच अल्पसंख्यक हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर लोगों को ड्रग्स के आरोपों में में फांसी की सजा मिली है। इस साल इन आरोपों में करीब 206 लोगों को मौत की सजा दी गई, जो पिछले साल इसी अवधि की तुलना में 126 प्रतिशत अधिक है।
आईएचआर के निदेशक महमूद अमीरी-मोघदाम का कहना है कि मृत्युदंड सामाजिक भय पैदा करने और अधिक विरोध-प्रदर्शनों को रोकने के लिए किया जाता है। फांसी की सजा उन लोगों को दी गई है, जो समाज में ड्रग्स बेचने का काम कर रहे थे।
HR का कहना है कि ईरान ने 2022 में कम से कम 582 कैदियों को फांसी दे दी जो 2015 के बाद से सबसे अधिक संख्या है। 2021 में यही आंकड़ा काफी कम 333 था।
Comments are closed.