राजस्थान के दौरे पर प्रधानमंत्री मोदी, मानगढ़ धाम पहुंचे, शहीदों का नमन किया, गोविंद गुरु की आरती उतारी
बांसवाड़ा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में जनसभा को संबोधित करेंगे। आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में यह आयोजन होगा। राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के आदिवासी भी इसमें भाग ले रहे हैं।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मानगढ़ धाम पर प्रधानमंत्री पधारे, मैं प्रदेश वासियों की तरफ से उनका स्वागत करता हूं। मेवाड़ की धरती का अपना इतिहास रहा है। मानगढ़ धाम का इतिहास स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है। आदिवासियों का इतिहास महान इतिहास है। जितना खोज की जाए, उतनी ही नई कहानियां मिलेंगी। जहां-जहां आदिवासी रहते हैं, चाहे बिरसा मुंडा की बात करें, हर जगह आजादी की जंग में आदिवासियों का बड़ा योगदान था। महाराणा प्रताप का शौर्य मेवाड़ की पहचान है।
भूपेंद्र पटेल ने जताया मोदी का आभार
गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मोरबी के पुल हादसे में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि से भाषण शुरू किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया, जो मदद और सहयोग के लिए तत्पर रहे। बचाव और राहत कार्यों में मदद मिली है। प्रधानमंत्री ने हमें अमृत काल में पांच मंत्र दिए हैं। इसमें अमर सेनानियों का गौरव-सत्कार करना प्रमुख है। मैं उन सभी आदिवासी भाई-बहनों को याद करना चाहूंगा जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहूति दे दी। गोविंद गुरु के नेतृत्व में 1500 से अधिक आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष में जान दे दी। इसके बाद भूपेंद्र पटेल ने
शहीदों के पूजन की परंपरा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भाषण की शुरुआत ही मानगढ़ के बलिदानियों के जयकारे से की। उन्होंने कहा कि हमारे देश को आजादी चांदी की तश्तरी पर रखकर पेश नहीं की। कई लोगों ने मानगढ़ और भारत भूमि को खून से रंगा था। तब जाकर देश आजाद हुआ। आजादी के बाद सही इतिहास अच्छे से पढ़ाया नहीं गया। कई शहीदों को नजरअंदाज किया गया। गोविंद गुरु ने अंग्रेजों की चुनौती को स्वीकार किया और 1500 से अधिक आदिवासियों ने शहादत दी। शहीदों के पूजन की परंपरा को प्रधानमंत्री जी ने शुरू की है। मानगढ़ की अमर गाथा को हम आगे ला रहे हैं। मैं इस पवित्र धरती को मध्यप्रदेश की साढ़े आठ करोड़ लोगों की तरफ से प्रणाम करता हूं। मध्यप्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग यहां आए हैं। वे यहां से मिट्टी लेकर लौटे। जनजातीय भाई-बहन सच्चे देशभक्त हैं। जनजातीय गौरव दिवस 15 नवंबर को पूरे देश में मनाने का फैसला भी मोदी जी ने किया। पिछले साल धूमधाम से मनाया गया। मध्यप्रदेश में इसी तारीख को पेसा एक्ट लागू कर रहे हैं।
अर्जुराम मेघवाल ने स्वागत भाषण पढ़ा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर पहुंच चुके हैं। उनके साथ राजस्थान, गुजरात और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री भी हैं। ्कार्यक्रम की शुरुआत गुजराती भाषा में मंच संचालन के साथ हुई। केंद्रीय मंत्री अर्जुराम मेघवाल ने स्वागत भाषण पढ़ा। इसके बाद झाबुआ (मध्यप्रदेश) से शिवगंगा अभियान के महेश शर्मा ने मानगढ़ के महत्व और प्रधानमंत्री की उसमें आस्था के सम्मान का उल्लेख किया।
पीएम ने की गोविंद गुरु के स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानगढ़ धाम (बांसवाड़ा) पहुंचकर शहीदों को नमन किया। उन्होंने धूणी पर पहुंचकर पूजन किया। आरती भी उतारी। इस दौरान राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात के मुख्यमंत्री उनके साथ थे। उन्होंने गोविंद गुरु का नमन किया। तीनों ही राज्यों के भील आदिवासियों के लिए यह स्थान महत्वपूर्ण है और इस वजह से तीनों ही राज्यों से आदिवासी इस कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
गोविंद गुरु की आरती उतारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बांसवाड़ा पहुंच गए हैं। वायुसेना के विशेष विमान से वे मानगढ़ धाम पहुंचे। यहां वे स्मारक को राष्ट्रीय दर्जा देने की घोषणा कर सकते हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल भी मानगढ पहुंच गए हैं। तीनों राज्यों के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी मौजूद हैं।
भाजपा आदिवासी समाज में पैठ बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाकर भाजपा ने इस वर्ग को साधने के लिए बड़ा दांव खेला था। वहीं, अब मोदी की बांसवाड़ा यात्रा को राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के आदिवासियों को लुभाने की भाजपाई कोशिश माना जा रहा है। मोदी यहां आदिवासियों के प्रमुख तीर्थ स्थल मानगढ़ धाम में एक जनसभा को संबोधित करेंगे। इसमें राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश तीन राज्यों के हजारों आदिवासी लोग शामिल होंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि पीएम मोदी जनसभा के दौरान मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर सकते हैं।
अपना इतिहास है मानगढ़ धाम का
मानगढ़ धाम का आजादी से पहले का पुराना इतिहास भी है। यहां 109 साल पहले करीब 1500 लोगों का नरसंहार कर दिया गया था। इस नरसंहार को जलियांवाला बाग से भी बड़ा बताया जाता है। हालांकि, कई साल पहले तक इस बारे में बहुत कम लोगों को ही पता था। 19वीं शताब्दी में मानगढ़ टेकरी पर अंग्रेजी फौज ने आदिवासी नेता और समाज सेवक गोविंद गुरु के 1,500 समर्थकों को गोलियों से भून दिया था। गोविंद गुरु से प्रेरित होकर आदिवासी समाज के लोगों ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के खिलाफ ‘भगत आंदोलन’ चलाया था। गुरु लोगों को मादक पदार्थों से दूर रहने और शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। साथ ही वह बांसवाड़ा, डूंगरपुर, संतरामपुर और कुशलगढ़ के रजवाड़ों द्वारा करवाई जा रही बंधुआ मजदूरी के खिलाफ आवाज उठा रहे थे।
आदिवासी सीटों पर है नजर
राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात की 99 विधानसभा सीटें आदिवासी बहुल्य हैं। ऐसे माना जा रहा है कि पीएम मोदी मानगढ़ को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर यहां के मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर सकते हैं। राजस्थान विधानसभा की 25, मध्य प्रदेश में 47 और गुजरात में 27 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं।
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