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राज्य सरकार द्वारा करम पूजा में छुट्टी घोषणा करने पर आदिवासी समाज में छाई खुशी

जलपाईगुड़ी। आदिवासी समुदाय हमेशा प्रकृति की पूजा करते हैं, चाहे वह नदियाँ हों या पहाड़। ऐसी ही एक पूजा को करम पूजा कहा जाता है। जिलेभर में करम पूजा चल रही है। आदिवासियों की भावना का सम्मान करते हुए राज्य. . .

जलपाईगुड़ी। आदिवासी समुदाय हमेशा प्रकृति की पूजा करते हैं, चाहे वह नदियाँ हों या पहाड़। ऐसी ही एक पूजा को करम पूजा कहा जाता है। जिलेभर में करम पूजा चल रही है। आदिवासियों की भावना का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने छुट्टी की घोषणा की है। आदिवासी समुदाय की ओर से इलाके लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दी गयी। जलपाईगुड़ी के शिकारपुर, भंडारपुर और  रायपुर चाय बागान, राजगंज में करला वैली उद्यान सहित विभिन्न चाय बहुल क्षेत्रों में करम उत्सव शुरू हुआ।
मूलतः इस त्यौहार में प्रकृति और करम वृक्ष की राजा के रूप में पूजा की जाती है। यह त्यौहार श्रावण के महीने में शुरू होता है और कार्तिक के महीने में समाप्त होता है। पूरे जलपाईगुड़ी जिले में मुख्य रूप से आदिवासी समुदाय के लोग मेटे करम त्यौहार में भाग लेते हैं, और अन्य लोग भी त्यौहार में भाग लेते हैं। यह महोत्सव जलपाईगुड़ी शहर से सटे डेंगुआझार, रायपुर चाय बागान शहर के विभिन्न चाय बागानों में आयोजित किया जा रहा है।

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