रांची/पटना। चारा घोटाले से जुड़ी अवैध निकासी के सबसे बड़े मामले में सीबीआई स्पेशल कोर्ट का बहुप्रतीक्षित फैसला आखिरकार आज आ गया। 950 करोड़ रुपए के देश के बहुचर्चित चारा घोटाले के सबसे बड़े (डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए के गबन) केस में मंगलवार को फैसला आया। सीबीआई की विशेष अदालत ने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव सहित 75 आरोपियों को दोषी करार दिया है। वहीं, 24 लोगों को बरी कर दिया गया है। सजा का ऐलान 18 फरवरी को होगा। जैसे ही आजेडी सुप्रीमो के दोषी करार देने की सूचना बाहर आई पटना से लेकर रांची तक उनके समर्थकों में मायूसी छा गई। कोर्ट परिसर आरजेडी नेताओं से पटा है। पुलिस का पहरा सख्त कर दिया गया है।
बता दें, इससे पहले चारा घोटाले के 4 मामले (देवघर के एक, दुमका ट्रेजरी की दो अलग-अलग धारा और चाईबासा ट्रेजरी से संबंधित दो मामलों में) लालू दोषी करार दिए जा चुके हैं। अभी पहले के सभी मामलों में जमानत पर बाहर थे, लेकिन मंगलवार को कोर्ट के आए फैसले से उन्हें एक बार फिर जेल जाना होगा।
29 जनवरी को सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि की अदालत ने बहस पूरी होने के बाद 15 फरवरी को फैसले की तारीख निर्धारित की थी। सभी आरोपियों को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का आदेश दिया था। सुनवाई में उपस्थित रहने के लिए लालू 2 दिन पहले 13 फरवरी को ही रांची पहुंच गए थे।
इधर, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास के बाहर सन्नाटा पसरा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, राबड़ी देवी के आवास में हैं। लालू प्रसाद यादव की पत्नी और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी पटना में ही हैं। लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती रांची में अपने पति के साथ हैं।
रांची स्टेट गेस्ट हाउस में लालू यादव रविवार शाम ठंड से बचने के लिए अलाव तापते दिखे। इस दौरान उन्होंने मीडियाकर्मियों से दूरी बनाए रखी।
डोरंडा ट्रेजरी से 139.35 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के इस मामले में पशुओं को फर्जी रूप से स्कूटर पर ढोने की कहानी है। यह उस वक्त का देश का पहला मामला माना गया जब बाइक और स्कूटर पर पशु को ढोया गया हो। यह पूरा मामला 1990-92 के बीच का है। सीबीआई ने जांच में पाया कि अफसरों और नेताओं ने मिलकर फर्जीवाड़ा का अनोखा फॉमुर्ला तैयार किया। 400 सांड़ को हरियाणा और दिल्ली से स्कूटर और मोटरसाइकिल पर रांची तक ढोया गया। ताकि बिहार में अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों का उत्पादन किया जा सके। पशुपालन विभाग ने 1990-92 के दौरान 2,35, 250 रुपए में 50 सांड़, 14, 04,825 रुपए में 163 सांड़ और 65 बछिया खरीदा।
इतना ही नहीं विभाग ने इस दौरान क्रॉस ब्रिड बछिया और भैंस की खरीद पर 84 लाख 93 हजार 900 रुपए का भुगतान मुर्रा लाइव स्टॉक दिल्ली के दिवंगत प्रोपराइटर विजय मल्लिक को की थी। इसके अलावा भेड़ और बकरी की खरीद पर भी 27 लाख 48 हजार रुपए खर्च किए थे।
इस घोटाले की खास बात है कि जिस गाड़ी नंबर को विभाग ने पशुओं को लाने के लिए रजिस्टर में दर्शाया था वह सभी स्कूटर और मोपेड के थे। सीबीआई ने जांच में पाया है कि लाखों टन पशुचारा, भूसा, पुआल, पीली मकई, बादाम, खल्ली, नमक आदि स्कूटर, मोटरसाइकिल और मोपेड पर ढोए गए। देश के सभी राज्यों के करीब 150 डीटीओ और आरटीओ से गाड़ी नंबर की जांच कराकर जांच टीम ने सबूत जुटाए हैं।
सीबीआई के मुताबिक, इस घोटाले में लाखों टन भूसा, पुआल, पीली मकई, बदाम खली, नमक आदि सामान भी स्कूटर, बाइक और मोपेड पर ढोए गए थे। लेकिन दिलचस्प यह है कि हरियाणा से बढ़िया नस्ल के सांड़, बछिया और हाईब्रिड भैंस भी स्कूटर से ही झारखंड लाए गए थे, ताकि यहां अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों का उत्पादन किया जा सके।
इस मामले में 575 गवाहों का बयान दर्ज कराने में सीबीआई को 15 साल लग गए। 99 आरोपियों में 53 आरोपी आपूर्तिकर्ता हैं, जबकि 33 आरोपी पशुपालन विभाग के तत्कालीन अधिकारी और कर्मचारी हैं। वहीं, 6 आरोपी तत्कालीन कोषागार पदाधिकारी हैं, जबकि मामले के 6 आरोपी ऐसे हैं, जिन्हें सीबीआई आज तक नहीं खोज सकी है।
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