विमल गुरुंग के आमरण अनशन की धमकी से क्या फिर पहाड़ होगा सरगर्म ? जीटीए चुनाव के पहले गरमाई दार्जिलिंग की राजनीति
दार्जीलिंग। क्या एक फिर से दार्जीलिंग पहाड़ सरगर्म होने जा रहा है, यह सवाल इस लिए उठ रह है , क्योंकि एक बार फिर से गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग बागी तेवर में दिख रहे हैं। उन्होंने ने साफ कर दिया है किस वर्ष 2011 में उल्लेख संपूर्ण विषय को लागू किए बगैर अगर जी टी ए चुनाव जबरदस्ती थोपा गया तो वह आमरण अनशन पर बैठेंगे। शनिवार को दार्जिलिंग के एक निजी भवन में दार्जिलिंग टाउन कमेटी के गोरखा जनमुक्ति मोर्चा के नेताओं के साथ लंबी बैठक के बाद विमल गुरुंग ने यह एलान किया। इस बैठक में विमल गुरुंग के अलावा मोर्चा नेता रोशन गिरी व अन्य वरिष्ठ नेतागण मौजूद थे।
बैठक के बाद गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने से बातचीत में कहा मोर्चा की ओर से राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र भेजकर 2011 में राज्य सरकार के जीटीए समझौते को पूरा करने की मांग की गई है। बनर्जी को लिखे पत्र में गुरुंग ने उनसे ”जीटीए चुनाव को तब तक के लिए स्थगित रखने का अनुरोध किया, जब तक कि पार्टी द्वारा सरकार को सौंपे गए ज्ञापन प्रस्ताव (एमओपी) को लागू नहीं किया जाता।”
उन्होंने कहा, ”मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) के वास्ते चुनाव कराने से पहले हमारे द्वारा प्रस्तुत किए गए ज्ञापन प्रस्ताव के समाधान के लिए द्विपक्षीय वार्ता का आह्वान करें।” जीजेएम के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले सप्ताह राज्य सरकार को ज्ञापन प्रस्ताव सौंपा था।
उन्होंने ने कहा कि हमारी माग है कि वर्ष 2011 में हुए समझौते के अनुसार ही 396 मौजा और विभाग का हस्तांतरण हो उसके बाद चुनाव किया जाए, यदि जबरदस्ती चुनाव थोपा गया तो मैं स्वयं आमरण अनशन पर बैठूंगा और हमारे युूवा मोर्चा के सदस्य दो तीन दिन बाद रिले अनशन चौरस्ता में शुरु करेंगे। गोजमुमो सुप्रीमो विमल गुरुंग ने कहा कि अभी सीजन चल रहा है इस समय पर्यटक भी आ रहे हैं कम से कम वह भी देखें कि हम गोरखा लोग कितना खुश हैं। बिना विभाग के हस्तातरण के हम जीटीए चुनाव में भाग नही लेंगे ,और जो भी पार्टी जीटीए चुनाव के पक्ष में नही है वह सच्चे मन से अपनी जाति और मार्टी के लिए साथ आए सभी का स्वागत है ,या मुझे बुलाए मैं अपनी जाति और अस्तित्व के लिए अपना हाथ काट कर देने को तैयार हूं।
आपको बता दें कि दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र प्रशासन के लिए एक स्वायत्त निकाय है। इस निकाय का गठन वर्ष 2011 में हुआ था।
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