वैज्ञानिकों ने खोजी डायनासोर की दुर्लभ प्रजाति, सेक्स के लिए थे दो छोटे-छोटे हाथ, कंकाल खोदने में लगे 10 साल
ब्यूनस आयर्स। पृथ्वी से हजारों-लाखों साल पहले लुप्त हो चुके दैत्याकार जीव डायनासोर को लेकर लगातार खोज हो रहे हैं और पृथ्वी के अलग अलग हिस्सों से अकसर डायनासोर के अवशेष मिलते रहते हैं। वैज्ञानिकों ने एक बार फिर से एक खास प्रकार के प्रजाति की डायनासोर के अवशेष की खोज की है, जो बेहद दिलचस्प अंदाज में यौन क्रिया में हिस्सा लेते थे। डायनासोर का ये दुर्लभ कंकाल वैज्ञानिकों को अर्जेंटीना में मिला है और इसके कंकाल को पूरी तरह से जमीन से निकालने में 10 सालों का वक्त लगा है।
डायनासोर पर नया रिसर्च
पैलियोन्टोलॉजिस्ट (पुरानी जिंदगियों पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिक) ने ताजा शोध के आधार पर पता लगाया है कि, एक नई पाई गई डायनासोर प्रजाति के पास टी-रेक्स जैसे छोटे हाथ हुआ करते थे, जिससे उन्हें सेक्स करने में मदद मिलती थी। वैज्ञानिकों ने जब डायनासोर की इस नई प्रजाति पर रिसर्च किया, तो उन्होंने पाया कि, डायनासोर के छोटे छोटे हाथ इस तरह से शरीर में थे, जिससे वो फीमेल डायनासोर को काफी आसानी से सेक्स के दौरान पकड़ पाते थे और इन हाथों को इस्तेमाल में किसी निचले हिस्से में उतरने के लिए भी करते थे।
उत्तरी पेटागोनिया में मिली नई प्रजाति
गेम ऑफ थ्रोन्स पुस्तक श्रृंखला के एक काल्पनिक ड्रैगन के बाद, उत्तरी पेटागोनिया में एक पूर्व अज्ञात प्रजाति का डायनासोर का कंकाल जमीन में खुदाई के दौरान मिला है, जिसे वैज्ञानिकों ने ‘मेराक्सेस गिगास’ नाम दिया है। जब वैज्ञानिक डायनासोर की इस नई प्रजाति पर रिसर्च कर रहे थे, तब उन्होंने पाया कि, इन डायनासोर के हाथ इतने छोटे थे, कि वो हाथ उनके मुंह तक नहीं पहुंच पाते थे, यानि खाना खाने में डायनासोर को अपने हाथों से कोई मदद नहीं मिल सकती थी और उन्हें मुंह से ही खाना पड़ता था, तो फिर वैज्ञानिकों के सामने सवाल ये उठा, कि फिर इन हाथों का क्या इस्तेमाल हो सकता है? रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रजाति के डायनासोर के सिर करीब 4 फीट लंबे थे और हाथ काफी छोटे-छोटे थे, जो मुंह तक नहीं पहुंच सकते थे।
सेक्स के लिए हाथों का इस्तेमाल
वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये डायनासोर करीब 36 फीट यानि 11 मीटर लंबे थे और उनके बाहों में पर्याप्त मांसपेशियां थीं और काफी मजबूत भी थी, लिहाजा, इन हाथों का इस्तेमाल इन डायनासोरों के द्वारा किसी ना किसी चीज के लिए किया ही गया होगा। डायनासोर को लेकर किया गया ये रिसर्च ‘बायोलॉजी जर्नल’ में प्रकाशित किया गया है और इस स्टडी रिपोर्ट को जुआन कैनाले नाम के वैज्ञानिक लेखक ने लिखा है। उन्होंने कहा कि, “मुझे विश्वास है कि उन आनुपातिक रूप से छोटे हाथों से कोई ना कोई काम जरूर किया जाता होगा। कंकाल बड़े मांसपेशियों के सम्मिलन और पूरी तरह से विकसित पेक्टोरल गर्डल्स दिखाता है, इसलिए हाथ में मजबूत मांसपेशियां थीं।” उन्होंने कहा कि, ‘वो प्रजनन व्यवहार के लिए अपने उन छोटे मगर मजबूत हाथों का इस्तेमास करते थे और ऐसा लगता है, कि वो संभोग क्रिया के दौरान वो अपने इन्हीं हाथों से मादा को पकड़ते होंगे और गिरने के बाद खड़े होने के लिए वो इन्हीं हाथों का इस्तेमाल करते होंगे’।
आधे खोपड़ी तक ही पहुंचते थे हाथ
डायनासोर पर की गई इस रिसर्च के सह-लेखक पीटर माकोविकी ने कहा कि, डायनासोर की बाहें “वास्तविक तौर पर खोपड़ी की आधी लंबाई की थीं और वो हाथों इस जानवर के मुंह तक नहीं पहुंच पाता था”। माकोविकी ने कहा कि, उनका मानना है कि इन प्रजातियों के डायनासोर के सिर शायद वो काम तमाम कर लेते होंगे, जो हाथ से हो सकते हैं, लिहाजा शायद उन्हें हाथों की जरूरत नहीं पड़ी होगी। उन्होंने कहा कि, एक आम डायनासोर की तुलना में ये प्रजाति छोटी थी और आज से करीब 9 करोड़ से 10 करोड़ साल पहले ये डायनासोर पृथ्वी पर निवास करते थे और इस डायनासोर का वजन करीब 3 टन का हुआ करता था और ये 2 करोड़ साल पहले विलुप्त हो गये थे।
10 साल तक चलता रहा कंकाल पर रिसर्च
आपको जानकर हैरानी होगी, कि डायनासोर के इस कंकाल पर रिसर्च करने में वैज्ञानिकों को करीब 10 सालों का वक्त लगा है। अर्जेंटीना के ब्यूनर आयर्स में स्थिति Conicet रिसर्च इंस्टीट्यूट के एक रिसर्च लेखक जुआन इग्नासियो कैनाले ने इस डायनासोर पर किए गये रिसर्च पर कहा कि, साल 2012 में ही वैज्ञानिकों ने इस डायनासोर की खोज की थी, लेकिन इस डायनासोर के पूरे कंकाल की खुदाई और रिसर्च करने में 10 सालों का वक्त लगा है। इस डायनासोर के रीढ़ का एक हिस्सा वैज्ञानिकों को उत्तरी पेटागोनिया में मिला था, जो किसी इंसान के सिर जितना बड़ा था।
धरती से कैसे मिटे डायनासोर
करीब 6.6 करोड़ साल पहले धरती के दैत्य डायनासोर का नामोनिशान मिटा देने वाला ऐस्टरॉइड के गिरने के बाद पूरी धरती पर दो सालों के लिए अंधेरा छा गया था। एक नए स्टडी से पता चला है कि, 6.6 करोड़ साल पहले डायनासोर और धरती पर मौजूद कई और प्रजातियों का पूरी तरह से सफाया करने वाले क्षुद्रग्रह जब पृथ्वी पर गिरा था, उस वक्त पृथ्वी की स्थिति ऐसी हो गई थी, मानो प्रलय आ गई हो और एक तरह से धरती के लिए ये प्रलय जैसा ही था।
प्रलय में मिट गये डायनासोर
कैलिफोर्निया एकेडमी ऑफ साइंसेज की एक टीम के अनुसार, ऐस्टरॉइड के पृथ्वी से टकराने के तुरंत बाद जंगल की आग की कालिख ने आकाश को भर दिया था और सूरज की रोशनी का धरती पर आना बंद हो गया था। वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये ऐस्टरॉइड करीब 7.5 मील चौड़ा था और उसकी रफ्तार 27 हजार मील प्रति घंटा से भी ज्यादा थी और यह ऐस्टरॉइड चिक्सुलब क्रेटर से टकराने के बाद मैक्सिको की खाड़ी में जा गिरा था। ऐस्टरॉइड के पृथ्वी पर टकराने की वजह से उस वक्त पृथ्वी पर मौजूद करीब करीब 75 प्रतिशत जिंदगियां विलुप्त हो गईं थीं और पिछले कई सालों से इस ऐस्टरॉइड को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं।
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