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शाहरुख खान की फिल्म डंकी की असली कहानियां, जिनसे आपकी रूह कांप जाएगी

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नई दिल्ली। बॉलिवुड स्टार शाहरुख खान की नई फिल्म आई है डंकी। यह विदेशों में अवैध घुसपैठ के लिए ‘डंकी रूट’ के इस्तेमाल पर आधारित फिल्म है। डंकी रूट एक पंजाबी कहावत से प्रेरित है जिसका मतलब है एक से दूसरी जगह मंडराना। भारत के विभिन्न प्रदेशों और खासकर पंजाब से भारी संख्या में लोग अमेरिका, इंग्लैंड और यूरोपीय देशों में अवैध तरीके से घुसते हैं। विदेशों में घुसपैठ करवाने के लिए कई ट्रेवल एजेंसियां ऐक्टिव हैं जो विदेश जाने की चाह रखने वालों से मोटी रकम वसूल करके उन्हें अवैध रास्तों से उसके मनमाफिक देश में भेजते हैं। इस क्रम में कई बार अवैध प्रवासियों को भयानक वाकयों का सामना करना पड़ता है और कई बार तो उनकी जान भी चली जाती है।
वीजा नहीं तो घुसपैठ सही
जिन लोगों को अमेरिका जाना होता है और वीजा मिलने की उम्मीद नहीं होती है, तो वो कई दूसरे देशों से भटकते-भटकते अमेरिका पहुंचते हैं। यूके या किसी यूरोपीय देशों में जाने वालों में ज्यादातर का यही तरीका होता है। जून 2019 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि उनके देश से अवैध प्रवासियों को बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। दरअसल, उन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के दौरान अपने एजेंडे में यह वादा किया था। अमेरिका के कस्टम्स एंड बॉर्डर प्रॉटेक्शन (सीबीपी) डिपार्टमेंट के मुताबिक, 2018 में अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर पर करीब 9,000 भारतीय नागरिकों को घुसपैठ के प्रयास में पकड़ा गया था। सीबीपी के मुताबिक, 2017 में यह आंकड़ा 3,000 जबकि 2007 में तो सिर्फ 76 था। इन आंकड़ों से पता चलता है कि कैसे अमेरिका में अवैध प्रवेश करने वाले भारतीयों की तादाद में तेज वृद्धि हुई है।
एजेटों के बकहावे में जान पर खतरा
पंजाब में तो हर कोई कनाडा, यूके, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका या किसी अन्य देश में बसने या कम से कम रोजगार के लिए जाने का सपना देखता है। इन देशों में भारत से गए पंजाबियों की अच्छी-खासी तादाद हो गई है। हालांकि, उनमें सभी अवैध रास्तों से ही नहीं गए हैं। एक बड़ी आबादी ने पासपोर्ट-वीजा का वैध तरीका अपनाया है। लेकिन पंजाबियों में विदेशों में सेटल होने का जबर्दस्त क्रेज है। यहां तक कि वहां गुरुद्वारों में खिलौना जहाज का चढ़ावा चढ़ाकर मन्नत मांगी जाती है कि पसंद के देश का वीजा लग जाए। लेकिन जब वीजा मिलने की उम्मीदों पर पानी फिरने लगता है तो लोग एजेंटों के बहकावे में आकर गलत राह अपनाते हैं। इस कोशिश में वो अपना और अपने परिजनों की जान तक दांव पर लगा देते हैं। इतना बड़ा जोखिम उठाकर जो लोग पसंदीदा देश में पहुंच भी जाते हैं, उन पर डिपोर्ट होने का खतरा मंडराता रहता है।
कमलजीत कौर की कहानी जान लीजिए
पांच साल पहले जालंधर की कमलजीत कौर अमेरिका के लिए निकली थीं, लेकिन उन्हें मेक्सिको में ही पकड़ लिया गया। 34 वर्षीय कमलजीत को पति और बेटे के साथ वापस भारत भेज दिया गया। इसके साथ ही उनका अमेरिका में सेटल होने का सपना तो टूटा ही, उनके 53 लाख रुपये पानी में चले गए जो उन्होंने एजेंटों को दिए थे। अकेले कमलजीत की ये कहानी नहीं है, ऐसे हजारों लोग हैं जो जान हथेली पर रखकर विदेशों का रुख करते हैं, लेकिन अंत में उन्हें मायूसी हाथ लगती है। ज्यादा कमाई की चाहत में पाई-पाई करके जोड़े गए पैसे भी लुट जाते हैं और हाथ आती है तो सिर्फ मायूसी।
30 भारतीयों का वो जत्था और सबसे मुश्किल सफर
अप्रैल 2017 में 30 भारतीय अमेरिका जाने के प्रयास में बीहड़ में फंस गए। वो डैरियन गैप से होकर अमेरिका में अवैध प्रवेश की फिराक में थे, लेकिन उस बीहड़ में भूख-प्यास मिटाने तक का कोई उपाय नहीं था। प्यास लगने पर वो टी-शर्ट निकालकर निचोड़ते और अपना ही पसीना पीते। कभी बारिश हो जाती तो पसीने के साथ उस बारिश का पानी भी उन्हें नसीब हो जाता। हालांकि, वो अमेरिका पहुंचने में कामयाब रहे। लेकिन उनमें एक मनप्रीत ब्रार को जब अमेरिका में शरण नहीं मिला तो वापस लुधियाना आ गया।
छह साल की गुरप्रीत कौर जिसने प्यास से तोड़ा दम
गुरप्रीत कौर की कहानी तो आज भी रूह कंपा देती है। वह सिर्फ छह वर्ष की थी। उसकी मां ने एजेंट के जरिए अमेरिका पहुंचने की ठान ली थी। गुरप्रीत की एक और बहन भी थी, उससे दो वर्ष बड़ी। मां ने अपनी दोनों बेटियों के साथ अमेरिका का रुख कर लिया। वो सभी अमेरिका-मेक्सिको बॉर्डर के पास एरिजोना मरुस्थल में फंस गए। उस बीहड़ में चलते-चलते सबकी हालत पस्त हो गई। गुरप्रीत प्यास के मारे तड़प उठी तो मां उसे बहन के साथ छोड़कर खुद पानी लेने चली गई। जब तक वो लौटती तब तक गुरप्रीत ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
दामाद जी अमेरिका गए, लेकिन…
हरियाणा के अंबाला जिले किसान ताराचंद ने अपनी बेटी की नवंबर 2021 में शादी की। ताराचंद को पता चला था कि लड़के का अमेरिका का वीजा लगने वाला है। लड़के के परिवार से बातचीत में पता चला कि लड़का अमेरिका में कुछ साल कमाकर वापस घर लौट जाएगा और यहीं पर पूंजी लगाकर कोई बिजनस खड़ा करेगा। लेकिन शादी के बाद लड़का अमेरिकी वीजा के लिए जरूरी टेस्ट में फेल हो गया। अब ताराचंद को जमीन सूझे ना आसमान। उन्होंने किसी की मदद से एक एजेंट से संपर्क साधा जिसने उनके दामाद को अमेरिका भेजने का वादा किया।
ताराचंद ने अपनी 51 लाख रुपये में अपनी जमीन का एक टुकड़ा बेचा और 37 लाख रुपये एजेंट को दे दिए। एजेंट ने ताराचंद के दामाद को सात देशों का चक्कर लगवाकर मेक्सिको के रास्ते अमेरिका भेज भी दिया। मई 2022 में वो न्यूयॉर्क के एक जनरल स्टोर में नौकरी कर रहा था। लेकिन जब ताराचंद की बेटी की तबीयत खराब हुई तो उनका दामाद भारत नहीं आ सका क्योंकि उसके पास वीजा आवेदन के लिए कोई वैध दस्तावेज नहीं था। अवैध तरीके से विदेश पहुंचकर वहां फंसने वाले ताराचंद के दामाद जैसे भारतीयों की लंबी लिस्ट है जो डंकी रूट का इस्तेमाल करते हैं।
कबूतरबाजी का यह खतरनाक खेल
इसी तरह यूके जाने की चाहत में लोग पहले आसपास के देशों में जाते हैं। जर्मनी, बेल्जियम या फ्रांस जाकर वो वहां के एजेंटों से मिलते हैं जो उन्हें ब्रिटेन भेजने में मदद करते हैं। ऐसे एजेटों को कबूतरबाज और उनके धंधे को कबूतरबाजी के नाम से जाना जाता है। ये एजेंट विभिन्न देशों में वहां के एजेंटों के संपर्क में रहते हैं। कुल मिलाकर कहें तो डंकी रूट पर एजेंटों का पूरा नेटवर्क फैला रहता है जो हर साल लाखों अवैध प्रवासियों को अलग-अलग देशों में भेजने के लिए मोटी रकम वसूलते हैं। कई बार वो अपने ग्राहकों को उनके पसंद के देश में अवैध प्रवेश दिलाने में सफल भी हो जाते हैं, लेकिन कई बार उनके प्रयासों पर पानी भी फिर जाता है। जो लोग इन एजेंटों की मदद से अपनी चाहत का देश पहुंच भी जाते हैं, उन्हें रास्ते में भयावह परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है जैसा कि ऊपर के उदाहरणों में बताया गया है।


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