शिवसेना के नाम और निशान की लड़ाई, चुनाव के पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं’; याचिका पर तारीख मिलने पर बोले उद्धव
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने ‘शिवसेना’ नाम और पार्टी का निशान ‘धनुष और बाण’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट को आवंटित करने के निर्वाचन आयोग (EC) के फैसले के खिलाफ पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की याचिका पर 31 जुलाई को सुनवाई करने पर सोमवार को सहमति जताई।
इसलिए शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह की लड़ाई अब सुप्रीम कोर्ट के पाले में है। शीर्ष अदालत ने इस मामले में उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई के लिए अपनी सहमति दे दी है। इस बीच, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। राज्य के विदर्भ क्षेत्र के दौरे के दौरान ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग के पास पार्टी का नाम बदलने का अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वे इसे किसी को चुराने नहीं देंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव की याचिका पर सुनवाई के लिए दी तारीख
शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सहमति दे दी है। सीजेआई ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट 31 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा। बता दें कि उद्धव की याचिका में चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग की गई है।
उद्धव ने बोला चुनाव आयोग पर हमला
याचिका पर सुनवाई के लिए शीर्ष कोर्ट की सहमति के बाद शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। उन्होंने सोमवार को कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) किसी पार्टी को चुनाव चिन्ह आवंटित कर सकता है, लेकिन उसके पास किसी पार्टी का नाम बदलने की शक्ति नहीं है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ‘शिवसेना’ नाम उनके दादा (केशव ठाकरे) ने दिया था और वह किसी को इसे ‘चुराने’ नहीं देंगे।
विपक्षी एकता पर भी दिया बयान
इस दौरान, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से मुकाबला करने के लिए कुछ विपक्षी दलों के एक साथ आने की कोशिश करने के सवाल पर उन्होंने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि मैं इसे विपक्षी दलों की एकता नहीं कहूंगा, बल्कि हम सभी की एकता कहेंगे। हम देशभक्त हैं और लोकतंत्र की खातिर ऐसा कर रहे हैं।
2019 से चल रही है महाराष्ट्र में खींचतान
गौरतलब है कि 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, उद्धव ठाकरे ने एनसीपी और कांग्रेस की मदद से महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से नाता तोड़ लिया था। बाद में, बीते साल जून में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। फिर एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई थी।
इसके बाद से ही दोनों गुट शिवसेना के नाम और सिंबल पर अपना-अपना दावा कर रहे थे। ये मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। ठाकरे गुट ने खुद के असली शिवसेना होने का दावा किया है। हालांकि, शिंदे गुट ने कहा था कि उन्हें शिवसेना के ज्यादातर विधायकों का समर्थन प्राप्त है और वे ही असली शिवसेना हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को असली शिवसेना करार दिया है।
चुनाव आयोग ने शिदे गुट को किया था शिवसेना नाम और निशान का आवंटन
चुनाव आयोग ने 17 फरवरी को उद्धव ठाकरे गुट को बड़ा झटका देते हुए शिवसेना का नाम और सिंबल शिंदे गुट को दे दिया था। केंद्रीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने आदेश दिया था कि शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न ‘धनुष और बाण’ एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। साथ ही आयोग ने ठाकरे गुट को एक अंतरिम आदेश में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नाम और जलती मशाल चुनाव चिह्न को बरकरार रखने की अनुमति दी थी। इसी फैसले को चुनौती देने के लिए उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
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