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सड़क दुर्घटना में हर तीन मिनट में एक की मौत, टेंशन में डाल रहा नया डेटा, 1.68 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई

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नई दिल्ली। घर से कहीं घूमने या काम पर जाने से पहले अक्सर बड़े-बुजुर्ग संभल कर गाड़ी चलाने की सलाह देते हैं। तेज स्पीड से वाहन चलाने के लिए तो सख्त मना किया जाता है। रोड किनारे भी आपकी हिफाजत के लिए कई साइन बोर्ड बनाए गए हैं। सड़क पर संभलकर चलने की सलाह के बाद भी भारत में साल 2022 में हुई रोड एक्सीडेंट में रिकॉर्ड 1.68 लाख लोगों ने अपनी जान गंवाई है। गुणा-भाग करेंगे तो पाएंगे कि प्रतिदिन 462 मौतें हुईं या हर तीन मिनट में एक मौत हुई।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से आंकड़े जुटाने के बाद सालाना सड़क दुर्घटनाओं, मौतों और घायलों पर डेटा प्रकाशित करता है। उसे अभी तक सार्वजनिक नहीं किया है। सूत्रों ने बताया कि सड़क दुर्घटनाओं में वृद्धि चिंता का विषय है। यह देखते हुए कि भारत ने 2030 तक मौतों की संख्या को आधा करने का लक्ष्य भी रखा है।
साल 2022 में हुईं सबसे ज्यादा मौतें
साल 2022 को सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों के लिए भी जाना जाएगा। 2022 में भारत में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में 2021 की तुलना में लगभग 9% की वृद्धि हुई और 2019 में हुई मौतों की तुलना में लगभग 11.5% की वृद्धि हुई। एक सूत्र ने कहा, ‘हर तीन मिनट में एक जान गंवाना बहुत चिंता की बात है। पिछले कुछ वर्षों में हमने चौड़ी सड़कें बनाई हैं या उनका विस्तार किया है और हमारे पास अधिक तेज गति वाले वाहन हैं। लेकिन इतनी बड़ी संख्या में होने वाली मौतें अस्वीकार्य हैं।’
सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर पिछले कई वर्षों से सार्वजनिक चर्चा और नीतिगत ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन घायल होने वाले लोगों की बढ़ती संख्या भी चिंता का एक प्रमुख कारण बनती जा रही है। 2022 में, दुर्घटनाओं में घायल होने वालों की संख्या 4.43 लाख थी, जबकि 2021 में यह 3.84 लाख थी, जो लगभग 15% की वृद्धि है।
हल निकालने से ही कम होंगे एक्सीडेंट
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और संयुक्त राष्ट्र सड़क सुरक्षा सहयोग के सदस्य रोहित बालूजा ने कहा, ‘हम सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों और घायल होने वालों की संख्या को तभी कम कर पाएंगे, जब हमारे पास समस्या का सही निदान हो। विभिन्न कार्यों के लिए जिम्मेदार लोगों और संस्थाओं की जवाबदेही तय हो। यूरोप के देशों ने इसी तरह से मौतों की संख्या को कम करने में सफलता हासिल की है।’


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