चेन्नई: शहर में एक चौंकाने वाली घटना ने सभी को हिला कर रख दिया है। 50 वर्षीय ऑटो चालक मोहम्मद नसरुद्दीन की मौत रेबीज वायरस से हो गई, जबकि उन्होंने कुत्ते के काटने के तुरंत बाद रेबीज वैक्सीन भी लगवाया था। इस घटना ने लोगों में गंभीर चिंता और भय का माहौल पैदा कर दिया है।
क्या है मामला?
- जुलाई 2025 में, मोहम्मद नसरुद्दीन को तिरुवल्लिकेनी के बेसेंट रोड के पास एक आवारा कुत्ते ने काट लिया था।
- वह तुरंत रोयापेट्टा सरकारी अस्पताल गए, जहां उन्हें रेबीज वैक्सीन दी गई।
- शुरुआत में सब कुछ सामान्य लग रहा था, लेकिन डेढ़ महीने बाद, उन्हें तेज बुखार हुआ और स्थिति बिगड़ती चली गई।
- 12 सितंबर को उन्हें फिर से अस्पताल में भर्ती किया गया, जहां जांच में रेबीज संक्रमण की पुष्टि हुई।
- हालत बिगड़ती गई और 13 सितंबर को उनकी मौत हो गई।
क्यों फेल हुआ रेबीज का टीका?
इस मामले ने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है — जब व्यक्ति को समय पर टीका दिया गया, तो फिर संक्रमण क्यों हुआ?
संभावनाएं:
- टीका सही तरीके से न लगाया गया हो
- वैक्सीन की गुणवत्ता में कमी
- वाउंड क्लीनिंग ठीक से न की गई हो
- या फिर व्यक्ति को इम्यूनोग्लोब्युलिन (Rabies Immunoglobulin) नहीं दिया गया हो, जो गंभीर मामलों में आवश्यक होता है
परिवार और स्थानीय लोगों का आरोप
- मृतक के परिजनों ने चेन्नई नगर निगम पर लापरवाही का आरोप लगाया है।
- उनका कहना है कि आवारा कुत्तों की संख्या पर कोई नियंत्रण नहीं किया जा रहा।
- न तो इन कुत्तों को पकड़ा जा रहा है, और न ही उनके टीकाकरण का कोई इंतज़ाम किया जा रहा है।
क्या कहती है पुलिस?
- पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच जारी है।
- शव को रोयापेट्टा कब्रिस्तान में दफनाया गया।
स्थिति क्यों चिंताजनक है?
- रेबीज एक 100% जानलेवा बीमारी है, लेकिन समय रहते सही इलाज से इसे पूरी तरह रोका जा सकता है।
- ऐसे में, वैक्सीन के बावजूद मौत होना जन स्वास्थ्य तंत्र पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
- तमिलनाडु, खासकर चेन्नई में आवारा कुत्तों के काटने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।
अब क्या जरूरी है?
- नगर निगम को तुरंत आवारा कुत्तों की पहचान और टीकाकरण अभियान शुरू करना चाहिए
- सभी सरकारी अस्पतालों में रेबीज प्रोटोकॉल की समीक्षा हो
- लोगों को सतर्क रहने और सही इलाज की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाएं
- रेबीज के मामलों में वैक्सीन के साथ-साथ इम्यूनोग्लोब्युलिन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए
ह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि सिर्फ वैक्सीन ही काफी नहीं, बल्कि समय पर और सही इलाज, जन-जागरूकता और प्रशासनिक सक्रियता भी ज़रूरी है। अगर आप चाहें, तो मैं रेबीज से बचाव और इलाज का पूरा गाइड भी बना सकता हूं, जिसे सोशल मीडिया या जनजागरूकता के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
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