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सिर और गर्दन का कैंसर बढ़ा रहा है देश की अर्थव्यवस्था पर बोझ : डॉ मनीष गोस्वामी

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सिलीगुड़ी। प्रतिवर्ष चार फरवरी को विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। कैंसर के सौ से अधिक प्रकार हैं, लेकिन इनमें स्तन, सर्वाइकल, ब्रेन, हड्डी, ब्लैडर, पैंक्रियाटिक, प्रोस्टेट, गर्भाशय, किडनी, फेफड़ा, त्वचा, पेट, थायरॉयड और मुंह व गले का कैंसर प्रमुख है। भारत में हर साल ओरल कैंसर के 77 हजार मामले आते हैं। देश में इस कैंसर के कारण हर घंटे पांच से ज्यादा लोगों की मौत होती है। निराश करने वाली बात ये है कि दुनिया भर में ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा मामले भारत में पाए जाते हैं, जो कुल मामलों का एक तिहाई है। आज कैंसर दिवस पर
सिलीगुड़ी के प्रसिद्ध एमएस, फेलोशिप इन हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ मनीष गोस्वामी ने कहा कि सिर और गर्दन का कैंसर के मरीजों की संख्या भारत में काफी तेजी से बढ़ रही है। यह सिर और गर्दन का कैंसर मुंह, स्वरयंत्र (गले), लार ग्रंथियों , नाक, साइनस या चेहरे की त्वचा के ऊतकों से विकसित होता है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर सिर और गर्दन के कैंसर के कुल 57.5% प्रतिशत मरीज एशिया में पाए जाते है होता है। भारत में पाए जाने वाले कुल कैंसर का सिर और गर्दन कैंसर मरीजों की संख्या करीब 30% है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के द्वारा 2020 में पेश की गई एक रिपोर्ट के अनुसार 10 भारतीयों में से एक को अपने जीवनकाल में कैंसर होने और 15 में से एक की इस बीमारी से मौत होने की आशंका जतायी गई है। वर्ल्ड कैंसर रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2018 में कैंसर के लगभग 11.6 लाख मामले सामने आए और कैंसर के कारण 7,84,800 लोगों की मौत हो गई थी। आने वाले पांच वर्षो में भारत की 1.35 अरब की आबादी में से 2.26 मिलियन लोग इसके शिकार बन सकते है।
उन्होंने बताया कि कैंसर की जांच व इलाज पर खर्च में हुई गुणात्मक वृद्धि का नतीजा है कि भारत को वर्ष 2020 में इस पर 2,386 करोड़ रुपये खर्च करने पड़े। कैंसर के कारण देश की अर्थव्यवस्था पर काफी बोझ बढ़ाता है।
भारत में छह सबसे आम प्रकार के कैंसर है, स्तन कैंसर (162,500 मामले), ओरल कैंसर (120,000 मामले), सर्वाइकल कैंसर (97,000 मामले), फेफड़े के कैंसर (68,000 मामले), पेट के कैंसर (57,000 मामले),और कोलोरेक्टल कैंसर (57,000 मामले) थे। ) कुल मिलाकर ये सभी नए कैंसर मामलों का 49% हिस्सा हैं। पुरुषों में 570,000 नए कैंसर मामलों में से 45% मामलों में मुंह का कैंसर (92,000), फेफड़े का कैंसर (49,000), पेट का कैंसर (39,000), कोलोरेक्टल कैंसर (37,000), और अन्नप्रणाली का कैंसर (34,000) होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं में कैंसर के 587,000 नए मामलों में, स्तन कैंसर (162,500), सर्वाइकल कैंसर (97,000), डिम्बग्रंथि के कैंसर (36,000), मुंह के कैंसर (28,000), और कोलो रेक्टल कैंसर (20,000) 60% मामलों में होता है।
ग्लोबकॉन के अनुसार ओरल कैंसर में भारत नंबर 1 पर है। दुनिया में पाए जाने वाले कुल मरीजों में से 33.8% ओरल कैंसर के मरीज भारत में पाए जाते है। ओरल कैंसर भारत में पुरुषों में सबसे आम कैंसर है और भारत में महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है।
क्या हैं हेड और नेक कैंसर के होने के मुख्य कारण : एल्कोहल और तंबाकू का सेवन, धूम्रपान आदि हेड और नेक कैंसर होने के मुख्य कारणों में शामिल हैं। वास्तव में, लगभग 85 प्रतिशत इसके मामले तंबाकू के सेवन से ही जुड़े हुए होते हैं और लगभग 75 प्रतिशत हेड और नेक कैंसर तंबाकू और एल्कोहल के साथ में इस्तेमाल करने से होते हैं।
अन्य कारणों में शामिल हैं, ओरल हाइजीन, ह्यूमन पेपिलोमेवायरस (एचपीवी) इंफेक्शन, पोषण और विटामिन की कमी, ओरल या अन्य प्रकार के कैंसर होने का फैमिली हिस्ट्री, उम्र, पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले सिर और गर्दन के कैंसर होने की संभावना अधिक होती है।
हेड और नेक कैंसर के लक्षण : नाक, गर्दन या गले में दर्द या बिना दर्द के गांठ होना, जबड़े में दर्द, थकान महसूस करना, दांतों का मसूड़ों से ढीला होना, सांसों से बदबू आना, सांस लेने में तकलीफ, मुंह से खून आना , होठों या मुंह में लाल या सफेद पैचेज नजर आना, सिर दर्द, लगातार कफ आना, आवाज में बदलाव या आवाज बैठना , वजन का कम होना, निगलने में तकलीफ महसूस होना, गले में खराश जो कभी खत्म नहीं होता, होंठ या मुंह में घाव होना, जो जल्दी भर न रहा हो।
हेड और नेक कैंसर का निदान और उपचार : डॉक्टर फिजिकल एग्जामिनेशन के जरिए यह जानने की कोशिश करते हैं कि गर्दन के अंदर कोई समस्या तो नहीं। जरा सा भी कुछ समस्या नजर आने पर वह कुछ टेस्ट करवाने के लिए बोल सकते हैं। लक्षणों को ध्यान में रखते हुए ही वे टेस्ट लिखते हैं। वयक्ति के मेडिकल हिस्ट्री का भी डॉक्टर मूल्यांकन करता है। बायोप्सी किया जाता है। इसमें टिशू के सैंपल लिए जाते हैं, जिसका माइक्रोस्कोप के जरिए परीक्षण किया जाता है। इसी टेस्ट से यह पता चल जाता है कि आपको कैंसर है या नहीं। इस तरह के कैंसर के होने का पता यदि जल्दी चल जाता है, तो इसका सफल इलाज संभव है। हेड और नेक कैंसर का ट्रीटमेंट कई तत्वों पर निर्भर करता है जैसे कैंसर किस स्टेज में है, ट्यूमर का लोकेशन कहां है, मरीज की उम्र और उसकी पूरी सेहत कैसी है आदि। ट्रीटमेंट में सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी, कीमोथेरेपी या फिर कई अन्य तरह के ट्रीटमेंट भी शामिल होते हैं।
ट्रीटमेंट: – सिर और गले के कैंसर का ट्रीटमेंट ट्यूमर की स्थिति, पोजीशन, स्टेज और मरीज की सेहत पर निर्भर करता है. इलाज की प्रक्रिया में मुख्‍य रूप से एक अथवा अधिक तरीकें इस्तेमाल किये जा सकते हैं.
सर्जरी: – कैंसर को नष्ट करने के लिए, डॉक्‍टर सर्जरी की मदद ले सकते हैं. इसमें कैंसर प्रभावित जगह के आसपास स्थित कुछ हेल्थी सेल्स को भी हटाना पड़ सकता है. यदि डॉक्‍टर कैंसर के फैलने को लेकर आशंकित हैं, तो वह गले के लिम्‍फ नोड को भी रिमूव कर सकता है.
कीमोथेरेपी: – कीमोथेरेपी एक पारिभाषिक शब्‍द है, जिसका संबंध कैंसर को पूरे बॉडी से खत्‍म करने वाली दवाओं के समूह से होता है. इस ट्रीटमेंट के कुछ हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं, जैसे भूख कम होना, हेयर फॅाल होना, मुंह में सूजन, थकान इत्यादी. कीमोथेरेपी करने से पहले रोगी को डॉक्‍टर से इन हानिकरक प्रभावों और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में विचार विमर्श कर लेनी चाहिए.
रेडिएशन थेरेपी: – रेडियोथेरेपी में उच्‍च क्षमता युक्‍त किरणों के माध्यम से कैंसर सेल्स को नष्ट किया जाता है. यह रेडिएशन इंटरनल और आउटर दोनों प्रकार से दिये जा सकता है।
डॉ मनीष गोस्वामी एमएस, फेलोशिप इन हेड एंड नेक सर्जिकल
ऑन्कोलॉजी (गुजरात कैंसर एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट – रीजनल कैंसर सेंटर – अहमदाबाद) एसोसिएट फेलो अमेरिकन कॉलेज ऑफ सर्जन (शिकागो) कंसल्टेंट- हेड एंड नेक सर्जिकल ऑन्कोलॉजी
बालाजी हेल्थ केयर – पीसी मित्तल बस स्टैंड – सेवक रोड
संपर्क नंबर 9083333343


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