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सिलीगुड़ी में पहुंचने लगा ढाकिये का हुजूम, कोरोना के बाद इस वर्ष कुछ पैसे कमाने की जगी उम्मीद

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सिलीगुड़ी। बंगाल में दुर्गा पूजा का एक विशेष महत्व है। भव्य रोशनी एवं सजावट के बीच पूजा पंडालों में ढाकियों की ढाक अपने रिदम से उत्सव की रौनक बढ़ा देते हैं। अपनी उत्कृष्ट कौशल के कारण महिला ढाकियों ने अपनी अलग पहचान बनायी है। दुर्गा पूजा में पारंपरिक वाद्य यंत्र ढाक बजाने का विशेष महत्व है। इसके बिना दुर्गा पूजा की कल्पना नहीं की जा सकती है। पूजा और आरती के समय ढाक बजाना शुभ माना जाता है। हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान व्यापक स्तर पर पूजा नहीं होने के कारण पिछले दो साल से कई ढाकिये सिलीगुड़ी नहीं आए थे। लेकिन इस वर्ष त्योहार व्यापक स्तर पर आयोजन किया जा रहा है , इसलिए सिलीगुड़ी में ढाकियों का हुजूम आने लगा है। अब लग रहा है कि कोरोना के दो साल बाद इस वर्ष दुर्गा पूजा पुराने लय में लौट आया है।
उत्तर बंगाल के विभिन्न जिलों से आये इन ढाकियों को  उम्मीद है कि इस बार वे  कुछ  पैसे कमाकर परिवार के लिए ले जा सकते हैं। मालदा की कई ढाकी इन दिनों दुर्गा पूजा में ढाक बजाने के लिए सिलीगुड़ी पहुंचे हैं। पिता व चाचा के साथ मिथुन रबीदास, निखिल रबीदास भी इस भीड़ में नजर आ रहे हैं। हर कोई स्कूल का छात्र है। कोई तीसरी और कोई पांचवी कक्षा में पढता है। कुछ लोग ढाक के साथ तासा नामक वाद्य यंत्र  भी कुछ लोग बनाने यहाँ आये हैं ।


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