नई दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। इस मामले को लेकर एक जनहित याचिका दायर कर यह निर्देश देने की मांग की गई है कि नए संसद भवन का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए। कांग्रेस सहित देश की 19 विपक्षी पार्टियां भी खुलकर प्रधानमंत्री द्वारा किए जाने वाले उद्घाटन का विरोध कर रही है। इस कारण उन्होंने इस कार्यक्रम से दूरी बनाने का निर्णय लिया है।
विपक्ष इस मामले में दिख रहा एकजुट
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला नए संसद भवन का उद्घाटन नहीं करेंगे, तो उनकी पार्टी इसका विरोध करेगी। नए संसद भवन के पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन का कांग्रेस, TMC, RJD समेत 19 पार्टियों ने विरोध किया है। 28 मई को होने वाले उद्घाटन समारोह का इन पार्टियों ने बहिष्कार करने की बात कही है। उन्होंने मांग की है कि इसका उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा किया जाना चाहिए।
क्या दलीलें दी गईं है?
याचिका में कहा गया है कि Article 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं। Article 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं। संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं। इसलिए, राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता का कहना है कि 18 मई को लोकसभा सचिवालय ने संसद भवन के उद्घाटन के लिए जो निमंत्रण पत्र जारी किया है, वह संवैधानिक नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट यह निर्देश दे कि उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाया जाए। नए भवन का उद्घाटन 28 मई को होना है। सुप्रीम कोर्ट में इस समय अवकाशकालीन बेंच बैठ रही है। ऐसे में याचिकाकर्ता कल यानी 26 मई को वहां अपनी बात रखने की कोशिश कर सकते है। लेकिन ऐसा बहुत कम होता है कि इस तरह के कार्यकारी निर्णय में सुप्रीम कोर्ट दखल दे। इसलिए इस मांग पर विपक्ष की तरफ फैसला आए इसकी उम्मीद कम है।
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