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सुप्रीम कोर्ट में आज संसद के इनॉग्रेशन पर सुनवाई : याचिका में कहा- राष्ट्रपति देश की प्रथम नागरिक, उनसे उद्घाटन ना करवाना संविधान

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नई दिल्ली। नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से करवाने की मांग वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। एडवोकेट जया सुकिन ने गुरुवार को यह याचिका लगाई थी। याचिका में उन्होंने कहा कि लोकसभा सचिवालय ने राष्ट्रपति को इनॉग्रेशन में न बुलाकार संविधान का उल्लंघन किया है। मामले में लोकसभा सचिवालय, गृह मंत्रालय और कानून मंत्रालय को पार्टी बनाया गया है।
याचिकाकर्ता ने कहा- राष्ट्रपति प्रथम नागरिक, सारे काम उन्हीं के नाम पर होते हैं
एडवोकेट जया सुकिन ने याचिका में कहा-18 मई को लोकसभा सचिवालय की ओर से बताया गया था कि नए संसद का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। संसद राष्ट्रपति और संसद के दोनों सदनों से मिलकर बनती है। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति के पास संसद बुलाने और उसे खत्म करने की शक्ति है।
वही प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों की नियुक्ति करता है और सभी कार्य राष्ट्रपति के नाम पर ही किए जाते हैं। लोकसभा सचिवालय ने मनमाने तरीके से बिना सोचे-समझे आदेश जारी कर दिया है। भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को नए संसद भवन के इनॉग्रेशन में आमंत्रित ना करना संविधान का उल्लंघन है। राष्ट्रपति को कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और सैन्य शक्तियां भी प्राप्त हैं।”
20 विपक्षी पार्टियों ने बहिष्कार किया, 25 दल शामिल होंगे
कांग्रेस समेत 20 विपक्षी पार्टियों ने उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है। विपक्ष का कहना है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दरकिनार कर प्रधानमंत्री से इसका इनॉग्गेशन कराने का निर्णय न केवल गंभीर अपमान है, बल्कि यह लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है। वहीं, भाजपा समेत 25 पार्टियां उद्घाटन समारोह में शामिल होंगी।
अधिसूचना के अनुसार, आसपास के संक्रमित परिसर (बीमारी का केंद्र) के एक किलोमीटर के दायरे में आने वाले गांवों को “संक्रमित क्षेत्र” के रूप में नामित किया गया है और संक्रमित परिसर (बीमारी का केंद्र) के आसपास के 10 किमी के दायरे में आने वाले सभी गांवों को “निगरानी क्षेत्र” के रूप में नामित किया गया है।


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