कोलकाता | 11 सितंबर 2025:
कोलकाता के मेयो रोड पर इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक तनाव चरम पर है। तृणमूल कांग्रेस द्वारा बनाए गए विरोध मंच को लेकर हुए विवाद के बाद, अब पूर्व सैनिकों ने मेयो रोड पर धरना देना शुरू किया है। इस धरने में पहुंचे पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर सेना के अपमान का गंभीर आरोप लगाया।
✊ “सेना को देखकर छरपोक छूटे”: शुभेंदु अधिकारी का तंज
धरने के मंच से बोलते हुए शुभेंदु अधिकारी ने तीखे शब्दों में कहा, “सेना को देखकर छरपोक डोरिना क्रॉसिंग से भाग गए, चीन सेना को देखकर डरता है, पाकिस्तान सेना के आगे घुटने टेकता है। लेकिन हमारे ही राज्य की मुख्यमंत्री सेना को शक की निगाह से देखती हैं।” उन्होंने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने सेना को लेकर विवादित टिप्पणी की हो।
📌 “प्रमाण दो” से लेकर “सेना घुस गई” तक — पुराने बयान किए याद
शुभेंदु अधिकारी ने याद दिलाया कि जब पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर कार्रवाई की थी, उन्होंने आगे कहा कि एक बार सेना द्वारा दूसरे हुगली ब्रिज पर ट्रैफिक सर्वे के दौरान ममता बनर्जी ने दावा किया था कि “सेना राज्य में घुस आई है।” और विरोध में उन्होंने **पूरी रात नबन्ना में गुजारी थी।
🔥 “टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी है मुख्यमंत्री की मानसिकता”
शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया, “मुख्यमंत्री की मानसिकता देश विरोधी टुकड़े-टुकड़े गैंग जैसी है। यह देश की सुरक्षा व्यवस्था और फौज की गरिमा पर हमला है।” उन्होंने कहा कि मेयो रोड पर तृणमूल कांग्रेस का मंच पहले सिर्फ दो दिन की अनुमति के लिए बना था, लेकिन हफ्तों तक ढांचा बना रहा। सेना ने जब नियमों के तहत उस ढांचे को हटाया, तब ममता बनर्जी ने खुद मौके पर जाकर विरोध जताया और बयान दिया कि “मुझे देखकर 200 जवान भाग गए।”
⚖️ मामला पहुंचा अदालत, पूर्व सैनिकों को धरना देने से रोका जा रहा है?
घटना के बाद पूर्व सैनिकों ने अदालत का रुख किया है। उनका आरोप है कि राज्य प्रशासन और कोलकाता पुलिस उन्हें धरना देने की अनुमति नहीं दे रहे हैं।
शुभेंदु अधिकारी ने इस पर कहा: “ये वही सैनिक हैं जिन्होंने 20-25 साल देश की सेवा में समर्पित किए। आज जब वे शांतिपूर्ण विरोध करना चाहते हैं, तो राज्य सरकार शर्तों और नियमों का बहाना बनाकर उन्हें रोक रही है।”
राजनीति बनाम सेना की गरिमा
जहां एक ओर ममता बनर्जी का कहना है कि राज्य की कानून-व्यवस्था में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए, वहीं विपक्ष इस पूरे प्रकरण को सेना के सम्मान से जोड़कर बड़ा मुद्दा बना रहा है।
पूर्व सैनिकों का आंदोलन अब सिर्फ धरने तक सीमित नहीं, बल्कि यह बंगाल की राजनीति में देशभक्ति बनाम सत्ता का संघर्ष बनता जा रहा है।