हिंडनबर्ग रिसर्च ने कर दिया अडानी ग्रुप का शॉर्ट सर्किट ! कर्ज चुकाने के चक्कर में कई प्रोजेक्ट हाथ से निकले
नई दिल्ली। सबकुछ किसी परीकथा की तरह चल रहा था। अडानी ग्रुप के शेयर रोज नए-नए रेकॉर्ड बना रहे थे। ग्रुप तेजी से कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैला रहा था। ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी दुनिया के अमीरों की लिस्ट में दूसरे नंबर तक पहुंच गए थे। फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने गौतम अडानी की दुनिया हिलाकर रख दी। 24 जनवरी को अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप का शॉर्ट सर्किट कर दिया। इस रिपोर्ट में आरोप लगाए गए थे कि अडानी ग्रुप ने शेयरों की कीमत के साथ छेड़छाड़ की। अडानी ग्रुप ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा कि यह भारत के खिलाफ साजिश है। सच्चाई जो भी लेकिन यह बात तय है कि इस रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच कर रहा है।
इस रिपोर्ट के आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से भी अधिक समय तक गिरावट रही। गौतम अडानी अमीरों की लिस्ट में 35वें नंबर पर खिसक गए थे। निवेशकों का भरोसा कायम करने के लिए अडानी ग्रुप ने सारे जतन किए। आक्रामक विस्तार के बजाय कर्ज कम करने पर फोकस किया। ग्रुप अपने गिरवी शेयरों को छुड़ाने में लगा है। इसका ग्रुप के रुक-रुक कर फायदा भी मिला। शेयरों में आ रही गिरावट का दौर फिलहाल थम गया लगता है लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च के कारण अडानी ग्रुप को अपने आक्रामक विस्तार को रोकना पड़ा है। इस चक्कर में उसने एक के बाद एक कई प्रोजेक्ट्स से किनारा कर लिया है। इसका ताजा उदाहरण पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट है। अडानी ग्रुप ने इसका काम रोक दिया है। माना जा रहा है कि पैसे की कमी के कारण ऐसा हुआ है।
पेट्रोकेम प्रोजेक्ट का काम रोका
गुजरात के मुंद्रा में इस प्रोजेक्ट पर काम हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक 34,900 करोड़ रुपये के इस पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट का काम को रोक दिया गया है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) ने साल 2021 में अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकॉनोमिक जोन (APSEZ) की जमीन पर कोल टू पीवीसी प्लांट स्थापित करने के लिए मुंद्रा पेट्रोकेम लिमिटेड बनाई थी। ग्रुप ने वेंडर्स और सप्लायर्स को तत्काल सभी तरह की एक्टिविटीज रोकने को कहा है। अडानी ग्रुप ने अपना रेवेन्यू ग्रोथ टारगेट आधा कर दिया है। साथ ही निवेशकों का भरोसा जीतने के लिए फ्रेश कैपिटल एक्सपेंडीचर को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है।
एफपीओ लेना पड़ा था वापस
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट आने के बाद अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) को 20,000 करोड़ रुपये का एफपीओ (FPO) वापस लेना पड़ा था। इसके बाद अडानी पावर (Adani Power) ने डीबी पावर (DB Power) को खरीदने के लिए की गई डील से पल्ला झाड़ दिया था। जब 2022 में डीबी पावर डील की घोषणा की गई थी तो यह इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में अडानी ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी मर्जर एंड एक्विजिशन डील थी। इस डील को सीसीआई से भी मंजूरी मिल गई थी। डील को कंप्लीट करने की डेट चार बार बढ़ाई गई थी और फाइनल क्लोजिंग डेट 15 फरवरी को एक्सपायर हो गई। लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च के झटकों से जूझ रहा अडानी ग्रुप इस डील को पूरा करने में नाकाम रहा।
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