दशहरा या विजयादशमी हिन्दू धर्म का प्रमुख त्योहार है. इसे अधर्म पर धर्म की जीत और असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है. हर साल यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. दशहरा का त्योहार, जिसे विजयादशमी भी कहते हैं, भारतीय संस्कृति में एक गहरा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है. यह पर्व कई पौराणिक कथाओं और मान्यताओं से जुड़ा है, जो इसे बुराई पर अच्छाई, अधर्म पर धर्म और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक बनाते हैं. साल 2025 में जान लेते हैं इस बार इसकी सही तिथि कब होगी और इस दिन किस शुभ मुहूर्त में पूजा कर सकते हैं.
दशमी तिथि का आरंभ और समापन
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि का आरंभ 1 अक्टूबर 2025 को दोपहर 2 बजकर 19 मिनट पर होगा. यह तिथि अगले दिन यानी 2 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 32 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. चूंकि उदय तिथि के अनुसार त्योहार मनाया जाता है, इसलिए दशहरा का पर्व 2 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा.
विजय मुहूर्त (शुभ मुहूर्त)
दशहरा के दिन विजय मुहूर्त का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार, 2 अक्टूबर को विजय मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 58 मिनट से 3 बजकर 46 मिनट तक रहेगा.
दशहरा की पूजा विधि
सबसे पहले घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई करें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें फिर पूजा के स्थान पर एक साफ चौकी रखें और उस पर लाल या पीला वस्त्र बिछाएं. चौकी पर भगवान राम, माता सीता, हनुमान जी और मां दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें. यदि आपने नवरात्रि के दौरान कलश स्थापना की थी, तो उस कलश का उपयोग करें. यदि नहीं, तो एक नया कलश स्थापित करें और उसमें जल, गंगाजल, सुपारी और सिक्का डालें. सबसे पहले गणपति जी का ध्यान करें और उनसे पूजा को सफल करने की प्रार्थना करें. इसके बाद सभी देवताओं को कुमकुम, चावल और चंदन का तिलक लगाएं. पुष्प और मालाएं अर्पित करें. दशहरा के दिन शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है. अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों, वाहनों, औजारों और उपकरणों को साफ करें. इन पर कुमकुम, हल्दी और चावल का तिलक लगाएं.
दशहरा का धार्मिक महत्व
दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति और परंपरा में बेहद महत्वपूर्ण त्योहार है. इसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व कई पहलुओं से जुड़ा है. इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर अधर्म पर धर्म की विजय प्राप्त की थी. इसलिए दशहरा असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. मान्यता है कि आश्विन मास के नवरात्र के दौरान मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर नामक राक्षस से युद्ध किया और दशमी तिथि के दिन उसे परास्त कर दिया. इसीलिए इसे शक्ति और भक्ति का पर्व भी माना जाता है.
दशहरा को शस्त्र पूजन का दिन भी कहा जाता है. योद्धा और वीर वर्ग प्राचीन समय से इस दिन अपने हथियारों की पूजा करते आए हैं. आज भी लोग इस दिन वाहन पूजन, औजार और मशीनों की पूजा करते हैं. मान्यता के अनुसार, दिन कोई भी नया कार्य, जैसे घर बनाना, वाहन खरीदना, व्यवसाय शुरू करना या अन्य मांगलिक कार्य करना शुभ और सफल माना जाता है.