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100 रुपए के पेट्रोल पर 52 रुपए टैक्स, सरकार मस्त, महंगाई से जनता त्रस्त

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नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी जारी है। चार दिनों में पेट्रोल-डीजल को लेकर तीसरी बार जनता पर महंगाई की मार पड़ी है। ऐसे ही विगत कुछ दिनों से आम जनता कमरतोड़ महंगाई की मार से त्रस्त है। नवंबर माह से पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से पेट्रोलियम प्रदार्थों को कीमतें स्थिर बनी हुई थीं, लेकिन यूक्रेन युद्ध की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। सरकार द्वारा प्रति लीटर 80 पैसे की बढोतरी करना हैरानी भरा है। वस्तुओं के आवागमन के लिए सड़क मार्ग का इस्तेमाल अधिक किया जाता है। डीजल में कीमतों की बढ़ोतरी का असर अन्य सभी वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है। अब डीजल और पेट्रोल की खुदरा कीमतों में भी बढोतरी का सिलसिला प्रांरभ हो चुका है। रसोई गैस की कीमत में पचास रुपए का इजाफा होने से महिलाएं परेशान हैं।
सरकार को आम जनता को महंगाई से राहत पहुंचाने का मार्ग तलाशना चाहिए। कोरोना महामारी की वजह से करोड़ों लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है। आम लोगों की आय में कमी आई है। इन परिस्थितियों में आम जनता का आय और खर्च का संतुलन बिगड़ चुका है। भोजन, दवाई, वस्त्र और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में बढोतरी से आम लोग परेशान हैं। सरकार को अर्थव्यवस्था की मजबूती और महंगाई नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाना चाहिए।
पेट्रोल और डीजल के दाम जिस तेजी के साथ बढ़ रहे हैं, उस पर ‘आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपइया’ कहावत बिल्कुल सही बैठती है। दरअसल, पिछले 3 साल में आम आदमी की कमाई जहां घटी है वहीं पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से सरकार ने करोड़ों की कमाई की है। आज जब आप 100 रुपए का पेट्रोल डलवाते हैं तो इसमें से 52 रुपए टैक्स के रूप में सरकार की जेब में जाता है। इससे आम लोगों की जेब खाली हुई, वहीं, सरकार का खजाना तेजी से भरता गया। ऐसे में अगर सरकार चाहे तो टैक्स में कटौती करके आम आदमी को राहत दे सकती है।
100 रुपए का पेट्रोल डलवाते हैं तो इसमें से 52 रुपए टैक्स
आज जब आप 100 रुपए का पेट्रोल डलवाते हैं तो इसमें से 52 रुपए टैक्स के रूप में सरकार की जेब में जाता है। इससे आम लोगों की जेब खाली हुई, वहीं, सरकार का खजाना तेजी से भरता गया। ऐसे में अगर सरकार चाहे तो टैक्स में कटौती करके आम आदमी को राहत दे सकती है। टैक्स वसूलने में महाराष्ट्र सबसे आगे है।
महाराष्ट्र टैक्स वसूलने में सबसे आगे
महाराष्ट्र में अगर आप 100 रुपए का पेट्रोल डलवाते हैं तो इसमें से 52.50 रुपए केंद्र व राज्य सरकार की जेब में जाते हैं। ऐसे ही अगर आप दिल्ली में 100 रुपए का पेट्रोल भरवाते हैं तो इसमें से 45.3 रुपए सरकार की जेब में जाते हैं।
टैक्स के बाद दोगुने से ज्यादा महंगा हो जाता है पेट्रोल
पेट्रोल के बेस प्राइस पर जो अभी 49 रुपए के करीब है, इस पर केंद्र सरकार 27.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइस से 3 गुना तक बढ़ गया है। ऐसे में बिना टैक्स में राहत दिए पेट्रोल के दाम कम कर पाना मुमकिन नहीं है।
टैक्स के बाद दोगुने से ज्यादा महंगा हो जाता है पेट्रोल
पेट्रोल के बेस प्राइस पर जो अभी 49 रुपए के करीब है, इस पर केंद्र सरकार 27.90 रुपए एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है। इसके बाद राज्य सरकारें इस पर अपने हिसाब से वैट और सेस वसूलती हैं, जिसके बाद इनका दाम बेस प्राइस से 3 गुना तक बढ़ गया है। ऐसे में बिना टैक्स में राहत दिए पेट्रोल के दाम कम कर पाना मुमकिन नहीं है।
मोदी सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 3 गुना और डीजल पर 6 गुना बढ़ाई
केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी के जरिए टैक्स लेती है। मई 2014 में जब मोदी सरकार आई थी, तब केंद्र सरकार एक लीटर पेट्रोल पर 10.38 रुपए और डीजल पर 4.52 रुपए टैक्स वसूलती थी। ये टैक्स एक्साइज ड्यूटी के रूप में लिया जाता है।
मोदी सरकार में 13 बार एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है, लेकिन घटी सिर्फ 4 बार। इस वक्त एक लीटर पेट्रोल पर 27.90 रुपए और डीजल पर 21.80 रुपए एक्साइज ड्यूटी लगती है। मोदी के आने के बाद केंद्र सरकार पेट्रोल पर तीन गुना और डीजल पर 6 गुना टैक्स बढ़ा चुकी है।
9 महीने में टैक्स से वसूले 3.31 लाख करोड़
अप्रैल से दिसंबर (2021) तक केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल समेत पेट्रोलियम उत्पादों पर 3.31 लाख करोड़ रुपए टैक्स से वसूले हैं। यह खुलासा एक RTI से हुआ है। सरकार ने बताया कि पेट्रोलियम पदार्थों के आयात पर 37,653.14 करोड़ रुपये का सीमा शुल्क वसूला गया, जबकि केंद्रीय उत्पाद शुल्क के रूप में 2,93,967.93 करोड़ रुपये सरकारी खजाने में जमा हुए हैं। इधर, एक्साइज ड्यूटी की बात करें, तो केंद्र सरकार अब तक 13 बार ड्यूटी में इजाफा कर चुकी है, जबकि महज 4 बार इसे घटाया गया है।


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