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11 किलो वजन, सड़ते मांस जैसी बदबू, 13 साल की खोज के बाद मिला दुनिया का सबसे दुर्लभ फूल, देखते ही रो पड़े वैज्ञानिक

डेस्क। दुनियाभर में तरह-तरह की खोजें होती रहती हैं, जिसे देखकर अक्सर वैज्ञानिक भी चौंक जाते हैं, पर ऐसे मौके बहुत कम ही आते हैं जब वैज्ञानिक किसी खोज के बाद इमोशनल हो जाएं, लेकिन हाल ही में इंडोनेशिया में. . .

डेस्क। दुनियाभर में तरह-तरह की खोजें होती रहती हैं, जिसे देखकर अक्सर वैज्ञानिक भी चौंक जाते हैं, पर ऐसे मौके बहुत कम ही आते हैं जब वैज्ञानिक किसी खोज के बाद इमोशनल हो जाएं, लेकिन हाल ही में इंडोनेशिया में कुछ ऐसा ही मामला देखने को मिला है। दरअसल, सुमात्रा में एक फूल खोजी की आंखों में तब आंसू आ गए जब उसने एक अत्यंत ही दुर्लभ प्रजाति का फूल देखा, जो एक दशक से भी अधिक समय की खोज के बाद उसे दिखा। उसके बाद इस पल को उसने अपने कैमरे में कैद कर लिया, जो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

वीडियो में इस दुर्लभ फूल को खिलते हुए देखा जा सकता है. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में जीव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. क्रिस थोरोगुड भी इस खोजी अभियान में शामिल थे। उन्होंने द पोस्ट को बताया कि ‘ऐसे पल रोमांचकारी होते हैं. यह यात्रा कठिन थी और फूल इतना खास था कि हम इसे लेकर काफी भावुक हो गए थे’।

13 साल से कर रहे थे फूल की खोज

फूल का जो वीडियो शेयर किया गया है, उसमें टीम के साथी सदस्य और इंडोनेशियाई फ्लावर हंटर सेप्टियन ‘डेकी’ एंड्रीकीथ घुटनों के बल बैठे दिखाई देते हैं और इस दुर्लभ खोज पर खुशी से सिसक रहे हैं, जबकि थोरोगुड उन्हें दिलासा देते नजर आते हैं। इसके बाद ये विशालकाय सफेद-धब्बेदार फूल अपनी विशाल पंखुड़ियां फैलाता हुआ दिखाई देता है. एंड्रीकीथैट ने कहा कि यह बहुत ही अद्भुत है। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि वह 13 सालों से इस खास फूल की तलाश में थे.

एक कली विकसित होने में लगते हैं 9 महीने

न्यूयॉर्क पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉ. क्रिस ने बताया कि ‘इस फूल की एक कली को विकसित होने में 9 महीने तक लगते हैं और ये बस कुछ ही दिनों के लिए खिलती है। यह हमारी आंखों के सामने ही खिली’. ऑक्सफोर्ड बोटेनिक गार्डन एवं आर्बोरेटम के अनुसार, रैफ्लेसिया पूरी तरह से परजीवी है। यह अपना जीवन उष्णकटिबंधीय बेल की एक प्रजाति में बिताता है और सिर्फ खिलने के लिए ही जमीन के ऊपर दिखाई देता है।

फूल की 40 से अधिक प्रजातियां

यह फूल भले ही दुनियाभर के वैज्ञानिकों को आकर्षित करता हो, लेकिन इसकी एक सबसे बुरी बात ये है कि यह बहुत ही बदबूदार होता है। इसकी बदबू सड़े हुए मांस की तरह होती है और इसी वजह से इसे कॉर्प्स फ्लावर यानी लाश का फूल भी कहा जाता है। इसका वजन 11 किलो तक हो सकता है। हालांकि इस फूल की गंध मक्खियों को खूब आकर्षित करती है। वैज्ञानिक बताते हैं कि इस फूल की 40 से अधिक प्रजातियां हैं। इंडोनेशियाई सुमात्रा का रैफ्लेसिया अर्नोल्डी नामक एक प्रजाति दुनिया का सबसे बड़ा फूल है, जिसका व्यास तीन फीट है।

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