नई दिल्ली: मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल के दिनों में 16 बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार अब जागी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी दवा निर्माताओं से भारत में दवा उत्पादों के लिए संशोधित अनुसूची एम मानदंडों के अनुसार कड़ाई से अनुपालन करने को कहा है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अनुपालन न करने वाली इकाइयों के लाइसेंस रद्द कर दिए जाएंगे। यह निर्देश रविवार शाम को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ हुई एक आपात बैठक के बाद आया है। यह बैठक तमिलनाडु औषधि नियंत्रण विभाग की एक रिपोर्ट के बाद हुई है, जिसमें कफ सिरप ब्रांड कोल्ड्रिफ के नमूनों में डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा स्वीकार्य स्तर से अधिक पाई गई थी। दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीते 3 साल में कफ सिरप की वजह से 300 बच्चों को जान गंवानी पड़ी है। फिलहाल, उत्तर प्रदेश सरकार ने कोल्ड्रिफ कफ सिरप पर बैन लगा दिया है।
कफ सिरप कैसे जहरीला हो जाता है
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कफ सिरप में सॉल्यूशन के रूप में डाई एथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) और एथलीन ग्लाइकॉल (EG) को मिलाया जाता है। ये जहरीले पदार्थ होते हैं। एक किलोग्राम में 1 से 2 मिलीलीटर एथिलीन ग्लाइकॉल मिलाने पर यह लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है। इससे मरीजों में उल्टी, बेहोशी, ऐंठन, हृदय संबंधी समस्याएं और किडनी फेल होने का खतरा होता है। अक्टूबर, 2022 में भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने खांसी की दवा के चार नमूनों में एथिलीन ग्लाइकॉल और डाई एथिलीन ग्लाइकॉल की मौजूदगी को जहरीले पदार्थ के रूप में चिह्नित किया था। उस वक्त इस कफ सिरप को हरियाणा की मैडेन फार्मास्यूटिकल्स ने बनाया था। गैंबिया में 70 बच्चों की मौत के लिए इसी कफ सिरप को जिम्मेदार बताया गया था।
डाई एथिलीन ग्लाइकॉल क्या है, जो है जहर
डाई एथिलीन ग्लाइकॉल एक रंगहीन और गंधहीन अल्कोहलिक कंपाउंड है, इसका सेवन जानलेवा हो सकता है। यह जहरीला होने की वजह से डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल को खाने या दवाओं में मिलाने की अनुमति नहीं है। ऐसी घटनाएं पहले भी भारत, अमेरिका, बांग्लादेश, पनामा और नाइजीरिया में रिपोर्ट की गई हैं। 2007 में अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन यानी FDA ने एथिलीन ग्लाइकॉल और DEG को जहर बताया था। यह अमेरिका समेत कई देशों में बैन है।
42 बिलियन डॉलर की है देश में कफ सिरप इंडस्ट्री
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में पहली बार केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने अपनी मासिक रिपोर्ट में DEG और EG कंटामिनेशन को चिन्हित किया है। भारत में 42 बिलियन डॉलर के दवा उद्योग पर नकेल कसने की कोशिश कर रहा है। नॉरिस मेडिसिन कंपनी के बनाए कफ सिरप को सरकारी रिपोर्ट में जहरीला बताया गया था। उस वक्त इस सिरप की वजह से गैंबिया, उजबेकिस्तान, कैमरून समेत पूरी दुनिया में 141 बच्चों की जान गई थी।
कफ सिरप में क्यों मिलाते हैं DEG
डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल अडल्टरन्ट हैं जो कभी-कभी पीने वाली दवाओं में सॉल्वेंट्स के रूप में अवैध तरीके से मिलाई जाती हैं। कफ सिरप में इसका इस्तेमाल उसे मीठा बनाने के लिए भी किया जाता है। द हिंदू की एक रिपोर्ट में लिखा है कि फार्मा कंपनियां पैसा बचाने के लिए ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल सॉल्वेंट्स की जगह डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल करती हैं। ग्लिसरीन या प्रोपलीन ग्लाइकॉल महंगा होता है, इसलिए दवा कंपनियां जहरीले डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल को इस्तेमाल करती हैं, ताकि लागत कम की जा सके।
बच्चों के लिए कितना खतरनाक है DEG
अमेरिकी संस्था CDC के अनुसार, डाई एथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल जहरीले पदार्थ होते हैं। ऐसे में यह जानलेवा साबित हो सकती है। इससे सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर पड़ सकता है। मितली आना, उल्टी आना, बेहोशी आना, सदमे जैसे हालात, सांस लेने में तकलीफ, यूरिन का कम होना जैसी बीमारी हो सकती है। ज्यादा गंभीर होने पर मरीज कोमा में जा सकता है। याददाश्त जा सकती है, दौरे पड़ सकते हैं और मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो सकता है।