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क्या जोशीमठ पर मंडरा रहा ‘प्रलय’ का बड़ा खतरा टल गया है, पढ़िए चौंकाने वाला एक खुलासा

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जोशीमठ। जोशीमठ में दरकते भवनों से लोगों को सुरक्षित दूसरी जगहों पर शिफ्ट करने की प्रक्रिया जारी है। हालांकि इस बीच पुनर्वास और मुआवजे के मुद्दे को लेकर विरोध भी हो रहा है। 723 घरों को गिराने के सरकार के आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहे हैं। इस बीच भूमि धंसाव(subsidence-hit) को लेकर यह राहत की खबर है कि खतरा कम हुआ है। मुख्यमंत्री के सेक्रेट्री आरएम सुंदरम के मुताबिक-हम पानी रिसाव की मात्रा को लगातार माप रहे हैं और ये रोज घट रहा है। रविवार को ये 570 एलपीएम था और कल(मंगलवार) ये घटकर 250 एलपीएम हो गया। 7 तारीख के बाद नई कोई दरारें विकसित नहीं हुई हैं।
जोशीमठ के नीचे प्राकृतिक जलस्त्रोत बना खतरे की वजह, पढ़िए 12 बड़ी बातें
1. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 24 दिसंबर 2009 में धरती के नीचे मेट्रो ट्रेन के लिए सुरंग खोद देने वाली एक बड़ी टनल बोरिंग मशीन (TBM) अचानक फंस गई थी। तब हजारों लीटर साफ पानी बहने लगा था। इंजीनियर इसे रोक नहीं पाए।
2. दो जनवरी को जोशीमठ के सबसे निचले हिस्से में मुख्य नगर से करीब 9 किमी दूर बदरीनाथ हाइवे पर मारवाड़ी स्थित जेपी कालोनी में एक जलधारा फूट पड़ी थी। बेशक इसके प्रभाव में कमी आई है, लेकिन यह रहस्य बनी हुई है।
3. जोशीमठ के नीचे प्राकृतिक जल स्त्रोत का पता करना एक्सपर्ट की टीम लगातार एक्टिव है। देहरादून की एक एक्सपर्ट टीम ने भी इसका पता करने की नाकाम कोशिश की। पिछले दिनों मुख्य सचिव डॉ. एमएम संधू ने कहा कि स्त्रोत का पता करने सेटेलाइट इमेज की मदद ली जाएगी।
4. पिछले दिनों एक एक्सपर्ट्स टीम ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। इसमें कहा गया कि जोशीमठ की जमीन भूस्खलन के मलबे से बनी है। यानी यह कमजोर है। इसमें हिमालय की उत्पत्ति के समय एक फाल्ट मेन सेंटल थ्रस्ट(MST) भी अस्तित्व में आया था। इसके चलते यहां भूगर्भीय हलचल होती रहती है।
5. दरअसल, इंसानों की बनाई इस मशीन ने प्रकृति के बनाए एक बड़े जल भंडार में छेद कर दिया था। लंबे समय तक रोज 6 से 7 करोड़ लीटर पानी बहता रहता है। धीरे-धीरे ये जल भंडार खाली हो गया। यह जल भंडार जोशीमठ के ऊपर पास ही बहने वाली अलकनंदा नदी के बाएं किनारे पर खड़े पहाड़ के 3 किलोमीटर अंदर था।
6.चमोली के कलेक्टर हिमांशु खुराना ने कहा-हमारे सर्वे के बाद 723 स्ट्रक्चर में दरारें दिखी हैं। हम लगातार जनप्रतिनिधियों के टच में हैं, ताकि अगर और कही दरारें हो तो वो हमें बताए। 131 परिवार को हमने रिलीफ सेंटर में शिफ्ट कर दिया है।
7. चमोली के कलेक्टर हिमांशु खुराना ने कहा-पिछले कुछ दिनों में कर्णप्रयाग में भी दरारें नजर आई हैं, तो उस जगह को बचाने के लिए IIT रुड़की इस पर अध्ययन कर रहे हैं। इनके अध्ययन के हिसाब से हम आगे की कार्रवाई करेंगे।
8. सीएम की सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने कहा-हमने लोगों से अनुरोध किया कि वे (2 होटलों) को तोड़ने में हमारा समर्थन करें। उत्तर काशी में जो मुआवजा दिया गया है, उसके हिसाब से मुआवजा दिया जाएगा। बद्रीनाथ जैसा मुआवजा यहां नहीं दिया जा सकता। केंद्र सरकार की कई टीमें यहां पहुंच चुकी।
9. सीएम की सचिव ने कहा-लोगों के लिए ही सड़कें बन रही हैं। (निर्माण) कार्य जो यहां की चीजों को प्रभावित करते हैं, उन्हें रोकने की जरूरत है और अन्य परियोजनाओं को रोकना सही नहीं है जिनका यहां प्रभाव नहीं होगा
10. बता दें कि उत्तराखंड के चमोली जिले में 6,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब के मार्ग पर स्थित जोशीमठ शहर हाई रिस्क वाले भूकंपीय ‘जोन-V’ में आता है।
11. 7 फरवरी, 2021 की सुबह चमोली में करीब 10 बजे समुद्र तल से करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर 14 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का ग्लेशियर टूटकर गिर गया था। इससे धौलीगंगा और ऋषिगंगा में भयंकर बाढ़ आ गई थी। तब भी जोशीमठ में प्रलय हुई थी।
12. आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने मीडिया को बताया कि केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की को राज्य सरकार ने विध्वंस के लिए अनुबंधित किया है। आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी बुलेटिन के अनुसार, मंगलवार को निकाले गए 37 परिवारों सहित कुल 131 परिवारों को अब तक अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है, जबकि शहर में क्षतिग्रस्त घरों की संख्या 723 हो गई है। क्षेत्र में 86 घर असुरक्षित क्षेत्र के रूप में चिह्नित हैं। जिला प्रशासन ने कस्बे में रहने के लिए असुरक्षित घरों पर रेड क्रॉस का निशान लगा दिया है। स्थानीय लोगों ने कहा कि अपने घरों को खाली करना और अन्य स्थानों पर जाना उनके लिए आसान विकल्प नहीं है।


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