7 साल में 30 बच्चियों की रेप के बाद हत्या, साइको किलर रविंद्र को उम्रकैद की सजा, जानिए सनकी की पूरी क्राइम कुंडली
नई दिल्ली। दिल्ली की रोहिणी कोर्ट ने गुरुवार को साइको किलर और रेपिस्ट रविंद्र कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई है। रविंद्र पर 7 साल में 30 बच्चियों की रेप के बाद हत्या करने का आरोप है। रविंद्र 2015 से जेल में है। अब उसे पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी। हालांकि कई लोगों का कहना है कि रविंद्र ने जैसा घिनौना अपराध किया है, उसके अनुसार उसे और कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी। रविंद्र को यह सजा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुनील कुमार की कोर्ट ने सुनाई है। पुलिस पूछताछ के दौरान रविंद्र ने 2008 से लेकर 2015 तक करीब 30 बच्चों से दरिंदगी की बात कबूली है।
रविंद्र एक सामान्य परिवार का है। उसने जिन बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाया, वो भी बेहद गरीब परिवार की थी। ज्यादातर बच्चियां सड़क किनारे फुटपाथ पर जीवन जीने वाले परिवारों की थी। रविंद्र को सजा सुनाए जाने के दौरान कोर्ट ने इसे रेयरेस्ट मामला माना। आइए जानते हैं साइको किलर रविंद्र कुमार की पूरी क्राइम कुंडली-
2008 में पहली घटना को दिया अंजाम
पुलिस ने बताया कि रविंद्र ने साल 2008 में पहली घटना को अंजाम दिया। तब वह मात्र 15 साल का था। वो ऐसे अपनी हवस मिटाने के लिए ऐसे गरीब बच्चों को चुनता था, जिनके माता-पिता दो वक्त की रोटी की चिंता में पूरा दिन बिता देते थे। बेटी के लापता होने पर कुछ दिन रोत-पिटते लेकिन बाद में फिर थक हार कर बैठ जाते। इसी का वो फायदा उठाता था। उसे लगता था कि कानून उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। और धीरे-धीरे उसने 30 बच्चियों की बेरहमी से हत्या कर दी।
रविंद्र पर कैसे चढ़ा बच्चियों से रेप करने का सनक
बताया गया कि 2008 से पहले रविंद्र खूब भूतिया फिल्में देखता था। इसी दौरान उसने एक अंग्रेजी फिल्म देखी, जिसमें तीन लोग बच्चों की हत्या कर उनसे कुकर्म या दुष्कर्म करते थे। बस इस फिल्म ने उसके दिमाग पर गहरा असर डाल दिया। अब वो भी ऐसा करने की सोचना लगा। यह फिल्म देखने के बाद वह भी शराब पीने लगा और उसके बाद सूखा नशा (साल्यूशन व व्हाइटनर आदि) करने लगा।
2012 में परिवार के साथ बेगमपुर शिफ्ट हुआ रविंद्र
रविंद्र के केस की छानबीन कर रहे पुलिस अधिकारी ने बताया कि साल 2012 में उसका परिवार बेगमपुर शिफ्ट हुआ। तब उसकी उम्र 19 साल थी। 2008 से 2012 तक लगतातर क्राइम करता जा रहा था, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लग रही थी। 2014 में रविंद्र ने बेगमपुर इलाके में एक बच्ची को हवस का शिकार बनाया। फिर उसकी गला रेतकर नाले में फेंक दिया। उसने सोचा कि बच्ची मर गई। लेकिन बच्ची की किस्मत अच्छी थी।
2014 में पहली बार मामला खुला, रविंद्र को हुई जेल
रविंद्र के केस की जांच कर रहे दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड एसीपी जगमिंदर दहिया ने बताया कि वर्ष 2014 में एक बीट कांस्टेलब ने बच्चे को नाले में पड़े देख लिया और वो बच गया। इस सिलसिले में मुकदमा दर्ज हुआ और रविंद्र को गिरफ्तार कर लिया गया। 2014 में से लेकर जुलाई 2015 तक आरोपी रविंद्र जेल में रहा।
पड़ोसी ने जमानत दी और बाद में उसे ही मारने की प्लानिंग की
2015 में रविंद्र के पड़ोसी ने उसकी जमानत कराई। बाद में वो उसी पड़ोसी के बेटे की खून का प्यासा हो गया। पुलिस अधिकारी ने बताया कि रविंद्र की पड़ोस के लड़के सन्नी से दोस्ती थी। सन्नी के पिता ही 2015 के केस में जमानती बने। जेल से आने के बाद रविंद्र का सन्नी के घर आना-जाना शुरू हुआ। इसकी वजह थी रविंद्र की मां। दरअसल सन्नी का रविंद्र की मां के साथ नाजायज संबंध थे।
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